फिल्म: चोक्ड -पैसा बोलता है
ओटीटी: नेटफ्लिक्स
डायरेक्टर: अनुराग कश्यप
कास्टिंग: सैयामी खेर, रोशन मैथ्यू, अमृता सुभाष, राजश्री देशपांडे और उदय नेने
नेटफ्लिक्स ओरिजिनल और अनुराग कश्यप द्वारा डायरेक्टेड 'चोक्ड: पैसा बोलता है' को देख को यकीन हो जाएगा कि सच में पैसा आज की दुनिया में बोलता है. बता दे कि यह एक किचन रामा है जिसकी कहानी में किचन एक अहम किरदार निभाता है.
सरिता पिल्लई (सैयामी खेर) एक बैंक कैशियर होती है. उसका पति सुशांत (रोशन मैथ्यू) एक स्ट्रगलिंग म्यूजिशियन होता है, जो कर्ज में डूबा होता है. ऐसे में आप समझ गए होंगे कि घर की पूरी जिम्मेदारी सरिता ही उठाती है. घर में रहने वाले उसके बेटे को लेकर कुल 3 लोग रहते हैं, जिनकी जरूरतों का वह ध्यान रखती है. लेकिन वह सभी इतने सिंपल नहीं होते जितने वह नजर आते हैं. सुशांत बेरोजगार घर पर रहने वाला पति होता है. जबकि सरिता एक सिंगर बनना चाहती थी, लेकिन एक परफॉरमेंस के दौरान चोक्ड हो जाती है और ये डर उसके मन में घर कर जाता है. एक तरह से कहना गलत नहीं होगा कि सरिता और सुशांत के रिश्ते में प्यार की जगह संगर्ष लेलेता है. इस तरह मुंबई की भागदौड़ में उनके सपने भी कहीं न कहीं पीछे छूट जाते है.
मुंबई के छोटे से अपार्टमेंट में रहने वाली सरिता को यह अंदाजा नहीं होता कि आने वाले समय में होने वाली नोटबंदी उसके जीवन में एक बड़ा बदलाव लेकर आएगी. अक्सर पाइप में सब्जियां अटक जाने की वजह से परिवार को दिक्कत देने वाली सिंक, एक रात 3 बजे सरिता को आश्चर्यचकित कर देती है. दरअसल किचन के फर्श पर फैले सिंह के गद्दे पानी मैं सरिता को प्लास्टिक के पैकेट में लिपटे हुए कुछ नोट नजर आते हैं. निहित भावे द्वारा लिखा गया स्क्रीनप्ले सस्पेंस से भरा हुआ है, जिसमें कश्यप ने अपने डायरेक्शन का तड़का लगाया है, लेकिन वह भी एक हद तक.
सरिता अचानक मिले इन पैसों की मदद से अपने कुछ सपने पूरे करना चाहती है लेकिन इसी बीच प्रधानमंत्री द्वारा 2016 में की गयी नोटबंदी की घोषणा उसकी जिंदगी उथल-पुथल कर देती है. दूसरी ओर उसका पति सुशांत इस खबर को लेकर खुश हो जाता है कि काला धन अब सामने आएगा और अच्छे दिन आएंगे. जैसे कि सरिता बैंक में काम करती है ऐसे में उसके पड़ोसी भी उसका फायदा उठाना चाहते हैं. बस इस तरह से जहां सरिता को अच्छे-खासे पैसे मिलने लगते हैं तो वहीं कई तरह की परेशानियां भी आ जाती हैं.
फिल्म में आप नीता (राजश्री देशपांडे) को हर बात में नाक घुसाने वाली पड़ोसन के किरदार में देखेंगे, जबकि शारवरी ताई (अमृता शुबाश), एक सिंगल मदर बनी हैं, जो अपनी बेटी की शादी के लिए पैसे रखी रहती है, जो अचानक हुए नोटबंदी से बेकार हो जाते हैं.
अनुराग की फिल्म में आपको अच्छी कहानी के साथ पॉलिटिक्स का तड़का भी देखने मिलेगा. फिल्म का सबसे अहम इशारा इस बात की तरफ भी है कि नोटबंदी का असर जैसा सोचा गया था वैसा हुआ नहीं. फिल्म एक्टर्स द्वारा की गयी एक्टिंग की बात करें तो सयामी खेर ने फिल्म की शुरुआत से लेकर अंत तक अपने किरदार के साथ न्याय किया है. दूसरी ओर बात करें रोशन मैथ्यू की तो उनकी ये पहली हिंदी फिल्म होने के बावजूद बतौर सपोर्टिंग स्टार शानदार काम किया है. अमृता सुभाष ने भी अपने किरदार को बखूबी निभाया है. राजश्री देशपांडे और उदय नेने (ग्राउंड फ्लोर पर रहने वाले पड़ोसी) ने शानदार तरीके से अपना किरदार निभाया है.
फिल्म का अंत आपको वैसा होते हुए नहीं मिलेगा जैसा कि आप उम्मीद कर रहे होंगे, हालांकि इसे हम अनुराग की फाइनेस्ट फिल्म नहीं बोल सकते, लेकिन 'नो स्मोकिंग' के बाद की उनके द्वारा बनाई गयी क्रेजिएस्ट फिल्म जरूर कहा जा सकता है. अपने फिल्म में फिल्म मेकर ने वही बेबाकी दिखाई है, जो वह अक्सर सोशल मीडिया पर सरकार की आलोचना करते समय दिखाते हैं.
बता दें कि लॉकडाउन के दौरना इस फिल्म को आप अपने परिवार साथ देख 4 साल पहले हुई नोटबंदी के दिनों और मुश्किलों को आप एक बार फिर ताजा कर सकते हैं.
(Transcripted By: Nutan Singh)