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'डॉली किटी और वो चमकते सितारे' रिव्यू: भूमि पेडनेकर और कोंकणा सेन शर्मा की फिल्म सामाजिक मानदंडों को तोड़ना सिखाती है 

फिल्म: डॉली किटी और वो चमकते सितारे 

ओटीटी प्लेटफॉर्म: नेटफ्लिक्स 

स्टारकास्ट: भूमि पेडनेकर, कोंकणा सेन शर्मा, विक्रांत मेस्सी 

निर्देशक: अलंकृता श्रीवास्तव 

रेटिंग्स: 3 मून्स

दो बहनों में जो प्यार होता है वो शायद ही किसी और रिश्ते में देखने को मिलता होगा और निर्देशिका अलंकृता श्रीवास्तव ने 'डॉली किटी और वो चमकते सितारे' में बखूबी इसे दिखाने की कोशिश की है. फिल्म में भूमि पेडनेकर और कोंकणा सेन शर्मा बतौर मैन लीड दो कजिन्स बहनों के किरदार में दिखाई देती हैं. 

'डॉली किटी और वो चमकते सितारे' दो ऐसी स्वतंत्रतावादी और विचित्र महिलाओं की कहानी है, जिन्हे अपनी आजादी की तलाश होती है. वो दुनिया में खुद अपना रास्ता बना लेती हैं जो हमेशा उन्हें उनके 'संस्कार' की याद दिलाता रहता है.

ग्रेटर नोएडा पर आधारित कहानी की शुरुआत डॉली यादव (कोंकणा सेन शर्मा) की चचेरी बहन भूमि पेडनेकर (काजल) के साथ होती है, जो हाल ही में नौकरी की तलाश में शहर में शिफ्ट होती है. डॉली यादव (कोंकणा सेन शर्मा) और काजल (भूमि पेडनेकर) भी ज्यादातर बहनों की तरह प्यार और नफरत का रिश्ता शेयर करती हैं. हालांकि बहुत जल्द उनका रिश्ता उतर चढ़ाव से गुजरता है जब डॉली अपने पति अमित (आमिर बशीर) के सतह खुश नहीं होती है और दो बच्चों की मां एक डिलीवरी बॉय उस्मान (अमोल पराशर) के प्यार में पढ़ जाती है. 

दूसरी तरफ काजल एक ' रेड रोज रोमांस चैट' कंपनी जॉइन कर लेती है जो अच्छे पैसे देती है और वहां उनका नाम 'किटी' होता है. लोगों के अकेलेपन को दूर करने के लिए काजल को कुछ ऐसा काम करना होता है जिसे करने उसे बिलकुल पसंद नहीं होता. आंखों में सपने लिए और ढेर सारू उम्मीदों के साथ किटी इस नए रास्ते पर चल पड़ती है जहां उसे अपने क्लाइंट प्रदीप (विक्रांत मेस्सी) से प्यार हो जाता है. इस दौरान दोनों दोनों की जिंदगी में बहुत कुछ होता है. फिल्म का टाइटल तब समझ आता है जब डॉली का डिलीवरी बॉय लवर उस्मान हर बार उसे 5 स्टार रेटिंग देने के लिए रिक्वेस्ट करता है और किटी हर फ़ोन कॉल के बाद 5 रेटिंग अचीव करने की कोशिश में होती है जिससे उसका अच्छा रिकॉर्ड रहे. 

आजादी पाने के लिए फिल्म में दोनों के सफर को दिखाया गया है. हालांकि कई बार कहानी थोड़ी उलझी हुयी दिखाई  देती है. फिल्म का सब्जेक्ट क्लियर होने के बाद भी क्लाइमैक्स को थोड़ा और अच्छा किया जा सकता था. मनोरंजन पर अधिक जोर देने के बावजूद 120 मिनट लंबी फिल्म में कुछ सीन्स सुस्त और फोर्स्फुल लगे. डॉली और किटी की फिल्म ने उन सभी महिलाओं के लिए बहुत जरूरी संदेश पेश किया, जो समाज के दबाव के कारण स्वतंत्र होने से डरती हैं - अपनी शर्तों पर जीवन जीते हैं, चाहे कुछ भी हो.

भूमि और कोंकणा की परफॉर्मेंस सराहनीय है. कोंकणा सहजता से एक बड़ी बहन की भूमिका में ढल जाती है जो उस अदृश्य झोपड़ी को तोड़ने के लिए कुछ भी करेगी जो उसे उस जीवन से दूर रखती है, जो वह अपने लिए बनाती है. वह बोल्ड है, मुश्किल परिस्थितियों से (एक व्हिस्की शॉट के साथ) निपटना जानती है और जरूरत पड़ने पर अपनी बहन के लिए खड़ी भी होती है. किटी के रूप में भूमि भी कमाल हैं, जो छोटे शहर में इस वजह से आती है की उसके सारे सपने जादू की तरह पूरे हो जाएंगे. 

फिर बारी आती है प्रदीप उर्फ़ विक्रांत मेस्सी की जो सुशिल और भूमिम के सच्चे आशिक होते हैं. सह कलाकारों की लिस्ट में कई अच्छे एक्टर्स के नाम हैं. कुब्रा सैट, करण कुंद्रा और नीलिमा अजीम के स्पेशल रोल्स हैं जबकि आमिर बशीर और अमोल पराशर पर्फेक्ट्ली अपने किरदार में बैठते हैं.  

फिल्म निर्माता अलंकृता श्रीवास्तव का निर्देशन सही है लेकिन उनका लेखन थोड़ा परेशान करता है. कहानी बहुत सारे कैरेक्टर्स और कम क्लैरिटी के साथ दोषपूर्ण लगती है. अर्जुन हरजाई, क्लिंटन सेरेजो और साधु तिवारी द्वारा संगीत फिल्म के प्रदर्शन से मेल खाता है. सिनेमेटोग्राफर जॉन जैकब पेयापल्ली छोटी चीज पर भी ध्यान केंद्रित करते हुए उसे अच्छे से कैप्चर करते हैं. दुर्भाग्य से आरती बजाज के एडिटिंग जादू नहीं दिखा पाती. कुछ सीन्स के दौरान यह अधूरा और प्रतिबंधित लगता है.

जरुर देखें 'डॉली किटी और वो चमकते सितारे लेकिन 5 स्टार एक्सपीरियंस की उम्मीद न करें. 

पीपिंगमून 'डॉली किटी और वो चमकते सितारे' को 3 मून्स देता है. 

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