वेब सीरीज: आश्रम चैप्टर 2 - द डार्क साइड
OTT: एमएक्स प्लेयर
कास्ट: अदिति पोहनकर, बॉबी देओल, चंदन रॉय सान्याल और दर्शन कुमार
निर्देशक: प्रकाश झा
रेटिंग: 3 मून्स
(आश्रम 2, 9-भाग वाली सीरीज के पहले 3 एपिसोड पर आधारित है.)
प्रकाश झा अपनी राजनीति, लोकतंत्र, पुलिसिंग, आरक्षण और जाति व्यवस्था को आगे ले जाते हुए, एमएक्स प्लेयर शो आश्रम के दूसरे भाग के साथ वापस आ गए हैं. आश्रम चैप्टर 2 - द डार्क साइड, शो असल में भारत के छद्म-गॉडमैन कल्चर के पीछे के अंधेरे पक्ष को दिखाता है जो जबरन वसूली, शोषण, यौन शोषण और घृणित अपराधों से भरा है.
बॉबी देओल, अदिति पोहनकर, चंदन रॉय सान्याल और अन्य टैलेंटेड कास्ट वाले आश्रम चैप्टर 2 एक फर्जी गॉडमैन की सच्चाई को उजागर करने की कोशिश कर रहे एक भक्त पर आधारित है. सीरीज के पहले भाग में हमने हमारे देश में गुरु-भक्ति की दीवानगी की झलक देखी थी, जबकि दूसरा चैप्टर उस गंदी राजनीति पर प्रकाश डालती है, जो आश्रम के बंद दरवाजों के पीछे ले जाती है.
दूसरे भाग की शुरुआत वही से होती है, जहां पहला भाग खत्म होता है. पम्मी (अदिति पोहनकर) बाबा निराला (बॉबी देओल) के आश्रम में है और वह बाबा के अंध भक्त में तप्दील हो गयी होती है. वह आश्रम के अंदर फलती-फूलती रहती है, लेकिन जैसे काशीपुर वाले बाबा निराला के असली चेहरे का पता चलता है, वैसे-वैसे आश्रम से जुड़ी कई गुप्त रहस्यों सब-इंस्पेक्टर उजागर सिंह (दर्शन कुमार) और कांस्टेबल साधु (विक्रम कोचर) द्वारा खोजी जाती है. दूसरी ओर, एक प्रसिद्ध पॉप-स्टार तिनका सिंह की भूमिका में, बाबा युवाओं के आइकॉन के रूप में उभरता है. इस बढ़ती लोकप्रियता और प्रसिद्धि के साथ, बाबा आगामी राजनीतिक चुनाव लड़ने वाले दोनों राजनीतिक उम्मीदवारों के लिए आकर्षण का केंद्र बन जाता है.
जल्द ही, पम्मी को पता चलता है कि बाबा की मसीहा की पवित्र छवि के पीछे, एक राक्षस है, जो युवा लड़कियों का शोषण करता है. वह फिर फैसला करती है कि वह खुद को और अपने भाई (तुषार पांडे) को बाबा के गहरे सांठगांठ में अन्य पीड़ितों की तरह नहीं फसने देगी. पम्मी खुद को वहां से निकालने का प्लान बनाती है.
पहले सीज़न की तरह, दूसरा चैप्टर भी धीमा है, लेकिन इस बार बेहतर ट्विस्ट और टर्न के साथ. पावर-पैक प्रदर्शन के बावजूद, शो कहीं न कहीं अपने वास्तविक आधार पर पूरी तरह से ध्यान केंद्रित करने में विफल होता नजर आ रहा है.कहानी कुछ भी लगती है लेकिन कुछ पॉइंट पर स्मूथ होती है और कुछ जगहों पर एपिसोड जबरदस्ती खींचा हुआ लगता है. आश्रम चैप्टर 2 को आसानी से एक मिनी सीरीज के रूप में बनाया जा सकता था.
सीरीज में एक्टर्स द्वारा दिया गया परफॉरमेंस उसे कहीं न कहीं बचाता है. बॉबी देओल का मेनिंग एक्ट किसी की कल्पना से अधिक गहरा है. इस तरह से वह किरदार के लिए खुद को सही चॉइस साबित करते हैं. लेकिन सीरीज में अदिति पोहकर द्वारा निभाई गयी पम्मी की भूमिका सभी का ध्यान अपनी तरफ आकर्षित करती है. एक्ट्रेस ने अपने किरदार के साथ बेहतरीन तरीके से न्याय किया है.
चंदन रॉय सान्याल ने दूसरे चैप्टर में भी अपना प्रभाव छोड़ा है. सीरीज में उनके द्वारा निभाया गया अच्छा और बुरा पक्ष बराबर हिस्से में है.
तुषार पांडे, अनुप्रिया गोयनका, अध्यायन सुमन, त्रिधा चौधरी, अनिल रस्तोगी और सचिन श्रॉफ ने अपनी-अपनी भूमिकाओं कहानी के अनुसार अच्छी तरह से निभाया है.
आश्रम को एक अच्छी तरह से रिसर्च किया गया शो बनाने का श्रेय डायरेक्टर प्रकाश झा को जाता है. उन्होंने सोसिओ-पोलिटिकल जलवायु के अपने ज्ञान के प्रति सच्चा रहते हुए सीरीज के फ्लो को स्थिर रखा है. माधवी भट्ट, अविनाश कुमार, संजय मासूम, तेजपाल सिंह रावत और कुलदीप रुहिल द्वारा लिखी गयी इस सीरीज की स्टोरीलाइन में कहीं न कहीं शक्ति की कमी है. शो धीमा है और यह अपना प्रभाव छोड़ने के लिए बहुत लंबा समय लेता है. छायाकार चंदन कोवली का विस्तार पर ध्यान स्पष्ट है और गॉडमैन कल्चर एनवायरनमेंट को जोड़ता है.
प्रकाश झा के शानदार डायरेक्शन के साथ बॉबी देओल और अदीति पोहनकर की A1 एक्टिंग देखने लिए 'आश्रम चैप्टर 2 ' बेहद सही चॉइस है.