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मजबूत कहानी, संवाद और बेहतरीन अभिनय का संगम है 'न्यूटन'

अच्छी फिल्म्स और अविस्मरणीय फि‍ल्म्स में बस एक अंतर है, एक दिल को छू जाती है और दूसरी दिल में बस जाती है. न्यूटन एक ऐसी फिल्म है जो आपके दिल मे घर कर लेगी, आपकी सोच को नया आयाम देगी और आपको खिलखिलाने का प्रयास भी करेगी. डायरेक्टर अमित मसूरकर ने फिल्‍म 'सुलेमानी कीड़ा' नामक फिल्म बनाई थी जिसकी क्रिटिक ने काफी तारीफ की थी, उसके बाद अब एक बार फिर से अमित मसूरकर ने भारत के चुनाव सिस्टम पर आधारित विषय पर अपना पक्ष रखते हुए 'न्यूटन' फिल्म की है. फिल्म में मंझे हुए कलाकारों की कास्टिंग भी है.

कहानी
यह कहानी नूतन कुमार (राजकुमार राव) की है जिसने अपने लड़कियों वाले नाम को दसवीं के बोर्ड में 'न्यूटन' लिख कर बदल लिया है और अब सभी लोग उसे न्यूटन के नाम से ही जानते हैं. न्यूटन ने फिजिक्स में एमएससी की पढ़ाई की है और अब उसकी आगामी इलेक्शन में ड्यूटी लगती है जिसके लिए उसे जंगल के नक्सल प्रभावित इलाके में जाकर वोटिंग करवानी पड़ती है. इलेक्शन की तैयारी के लिए न्यूटन की हेल्प संजय मिश्रा करते हैं उसके बाद एक
टीम जिसमें लोकनाथ (रघुबीर यादव), मालको (अंजलि पाटिल ), पुलिस अफसर आत्मा सिंह (पंकज त्रिपाठी) जंगली इलाके की तरफ बढ़ती है जहां जाने पर पता चलता है की कुल मिलाकर वहां के 76 वोटर्स की चर्चा है लेकिन वोट वाले दिन कोई नहीं आता, कुछ वक्त के बाद चीजें बदलती हैं और अंततः एक खास तरह का रिजल्ट सामने आता है जिसे जानने के लिए आपको फिल्म देखनी पड़ेगी.

प्लस पॉइंट
फिल्म की पटकथा और डायलॉग्स बहुत ही कमाल के हैं और गंभीर मुद्दे पर आधारित इस कहानी के संवाद के लिए मयंक तिवारी की जितनी भी तारीफ़ की जाए कम है , बहुत ही जबरदस्त तरीके से इलेक्शन वोटिंग जैसे गंभीर मुद्दे को मनोरंजन से भरपूर संवादों के साथ परोसा गया है. इलेक्शन के दौरान तरह तरह के चुनाव चिन्हो के साथ साथ उम्मीदवारों के बारे में भी अलग तरह से व्याख्यान किया गया है जिसे देखकर हंसी तो आती ही है साथ ही साथ सोचने पर भी हम विवश होते हैं.

फिल्म में राजकुमार राव ने एक बार फिर से अपनी उम्दा एक्टिंग का मुजाहरा पेश किया है और टाइटल रोल बखूब निभाया है, वहीं उनके अपोजिट अलग तरह के पुलिस अफसर के रोल में पंकज त्रिपाठी ने बेहतरीन एक्टिंग की है, और राजकुमार राव के साथ उनकी केमेस्ट्री बहुत उम्दा है. वहीं रघुबीर यादव ने भी मनोरंज की कोई कमी नहीं छोड़ी है, अभिनेत्री अदिति पाटिल का काम भी काफी सहज है और संजय मिश्रा की मौजूदगी आपके चेहरे पर मुस्कान जरूर लाती है. बहुत ही बढ़िया कास्टिंग है.

इसी के साथ बैकग्राउंड स्कोर और म्यूजिक भी कहानी के साथ जाती है. फिल्म खत्म होते-होते हंसी में कई अहम बातें कह जाती है. इस तरह की कहानी को दर्शा पाना बहुत ही मुश्किल काम था लेकिन अमित मसूरकर ने बड़ी ही सहजता के साथ डायरेक्शन किया है.

http://hindi.peepingmoon.com/rj-alok-unplugged/rj-alok-unplugged-newton-film-review-1644/

माइनस पॉइंट
इक्का दुक्का बातों को छोड़ दें तो फिल्म में ऐसी कोई बात नहीं है जो इसे कमजोर बनाती हो, हां इसमें आपको आइटम नंबर जैसी बातें नहीं मिलेगी और अलग तरह का क्लाइमेक्स भी देखने को मिलता है.

कमाई
प्रोडक्शन कॉस्ट और प्रोमोशन को मिलकर फिल्म का बजट लगभग 8-10 करोड़ बताया जा रहा है और फिल्म के लिए वर्ड ऑफ़ माउथ बहुत ही अहम रोल प्ले करेगा. फिल्म को 350 से ज्यादा स्क्रीन्स में रिलीज किया जाने वाला है.

हम देते हैं फिल्‍म को 4 स्‍टार.

 

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