फिल्म: कोई जाने ना
कास्ट: कुणाल कपूर, अमायरा दस्तूर, नेहा महाजन, अश्विनी कालसेकर, अतुल कुलकर्णी, करीम हाजी, विद्या मालवडे
निर्देशक: अमीन हाजी
रेटिंग: 3 मून्स
आमिर खान के लॉन्ग टाइम फ्रेंड अमिन हाजी ने आखिरकार कुणाल कपूर और अमायरा दस्तूर स्टारर अपनी फिल्म 'कोई जाने ना' के साथ अपना डायरेक्टोरियल डेब्यू कर दिया है. यह थ्रिलर फिल्म इस फ्राइडे सिनेमाघरों में रिलीज हुई है. इस मर्डर मिस्टरी में नेहा महाजन, अश्विनी कालसेकर, अतुल कुलकर्णी, करीम हाजी, अचिंत कौर, विद्या मालवडे, आदित्य लाखिया और राज जुत्शी भी महत्वपूर्ण भूमिकाओं में हैं.
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कोई जाने ना, की कहानी एक प्रसिद्ध लेखक कबीर कपूर (कुणाल) के इर्द-गिर्द घूमती है. वह रात में अपराधों को रोकने के लिए एक उद्धारकर्ता के रूप में कार्य करता है, जबकि उसकी खुद की पर्सनल लाइफ मुश्किल में उलझी हुई होती है. कबीर की पूर्व पत्नी (विद्या), जिसने उसे धोखा दिया है और उस पर मुकदमा चलाना चाहती है. वह पंचगनी बंगले की मांग करती है, जिसमे कबीर के गहरे काले राज छिपे होते हैं. संदिग्ध पूर्व पत्नी कबीर की जासूसी करने के लिए एक जासूस सह रिपोर्टर रिकी रोसारियो (करीम) को काम पर रखती है.
जैसा कि कबीर अपनी अगली बुक के लिए पंचगनी जाता है, वहां उसकी मुलाकात सुहाना (अमायरा) से होती है. जिसके बाद दोनों को प्यार होता है और दोनों लिव-इन में रहने लगते हैं. हालांकि, कहानी में अचानक एक बड़ा मोड़ आता है, एक के बाद एक मर्डर पंचगनी को हिला कर रख देते हैं. और इसके प्रमुख संदिग्ध कबीर बनकर सामने आता है.
निर्देशक अमीन कहानी के फर्स्ट हाफ में कई किरदार को लेकर आते हैं, जो बाद के आधे हिस्से में अचानक गायब हो जाते हैं. कबीर की पूर्व पत्नी द्वारा रखे गए जासूस और शुरुआती हत्या के पीछे का रहस्य पूरी फिल्म में स्पष्ट नहीं किया गया है. कोई जाने ना की शुरुआत एक आकर्षक नोट से होती है, लेकिन कहानी अंत तक किसी और ओर चली जाती है. फिल्म का फर्स्ट हाफ अच्छी कहानी का वादा करता है, लेकिन पूरी तरह से फिल्म की कहानी छाप छोड़ने में असफल रही है.
कुणाल कबीर की भूमिका में अच्छी तरह से ढल गए हैं. अमायरा ने भी अपने किरदार के साथ न्याय किया है. हालांकि, अश्विनी कालसेकर एक सख्त कॉप की भूमिका में सभी का ध्यान अपनी तरफ आकर्षित करती हैं. नेहा महाजन के पास फिल्म में करने के लिए ज्यादा कुछ नहीं है. करीम का किरदार अधूरा लगता है, जबकि अतुल कुलकर्णी की भूमिका व्यर्थ है. विद्या को उनके टैलेंट के मुताबिक इस्तेमाल नहीं किया गया है.
आमिर खान और ऐली अवराम की हर फन मौला 'कोई जाने ना' का आकर्षण है और अच्छी तरह से फिट बैठती है. फिल्म का बैकग्राउंड म्यूजिक भी प्रभावशाली है. फिल्म के बजट को देखते हुए प्रोडक्शन वैल्यू भी सभ्य है. हालांकि सिनेमैटोग्राफी बेहतर हो सकती थी.
अगर आप क्राइम थ्रिलर के फैन हैं तो, कोई जाने ना सिनेमाघरों में देखने के लिए एक सही चॉइस हो सकती है.
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