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MOVIE REVIEW: 'नानू की जानू' ना ढंग से हंसा पाती है, ना डरा पाती है

डायरेक्‍टर फराज ने हॉरर कॉमेडी फ़िल्म ‘नानू की जानू’ के माध्यम से हंसाने और डराने की कोशिश की है. भूत एक ऐसा विषय है जो फ़िल्मकारों को हमेशा से लुभाते आये हैं क्योंकि भूत से वह हर चीज करवाई जा सकती है जो बड़े पर्दे पर बहुत ही सिनेमाई लगे. फिल्म में कई सालों के बाद अभय देओल दिखाई देने वाले हैं वहीं दूसरी तरफ अभिनेत्री पत्रलेखा भी नजर आने वाली है.

फिल्म की कहानी-
फिल्म की कहानी दिल्ली के रहने वाले नानू( अभय देओल) की है जिसका काम लोगों का मकान गलत तरीके से हथियाने का है, इस काम में नानू की मदद उसके बाकी दोस्त भी करते हैं. नानू की जिंदगी में बदलाव उस दिन से शुरू हो जाता है जब उसकी जानू उर्फ सिद्धि( पत्रलेखा) की एंट्री होती है. नानू जिस फ्लैट में रहता है उसमें तरह-तरह की गतिविधियां भी शुरू हो जाती है जिसे देखकर वह डर जाता है, एक समय पर किसी को भी डरा-धमकाकर फ्लैट हथियाने का काम करने वाला नानू ,अब भूत से डरने लगता है. कहानी में नानू की माता और जानू के पिता की भी मौजूदगी होती है जिसके साथ ही बहुत सारे मोड़ भी आते हैं, अंततः क्या होता है, यह जानने के लिए आपको फिल्म देखनी पड़ेगी.

कमजोर कड़ी
फिल्म की कहानी काफी कमजोर है और निराश करती है. वैसे तो फिल्म का मूड हॉरर कॉमेडी का है लेकिन बहुत कम पल ऐसे आते हैं जहां पर आप को डर लगता है या आप ठहाके मार कर हंस पाते हैं. फिल्म का क्लाइमेक्स भी बहुत कमजोर है जिसे दुरुस्त किया जाता तो यह काफी क्रिस्प फिल्म कहलाती. फिल्म का स्क्रीनप्ले भी काफी कमजोर है. फिल्म के साथ सबसे बड़ी दिक्कत है कि यह न पूरी तरह हंसा पाती है, न डरा पाती है.

क्‍या है फ‍िल्‍म में खास, जो देखने पर करेगा मजबूर-
अभिनेत्री पत्रलेखा के काफी कम सीन है लेकिन उन्होंने सहज अभिनय किया है, वहीं मनु ऋषि चड्ढा की लाइनें आपके चेहरे पर मुस्कान लाती है, फिल्म के दौरान कई बार कुछ ऐसे पल सामने आते हैं जब आपको हल्की-फुल्की हंसी भी आती है.

फ‍िल्‍म का बजट-
फिल्म का बजट लगभग 10 करोड़ बताया जा रहा है और सब कुछ पहले 3 दिन की कमाई पर निर्भर होने वाला है साथ ही यह फिल्म टेलीविजन पर ज्यादा देखी जा सकती है.

स्‍टार-
2.5 स्टार

फ‍िल्‍म के कलाकार-
फराज़ हैदर, अभय देओल,पत्रलेखा राजेश शर्मा ,मनु ऋषि चड्ढा

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