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MOVIE REVIEW: मनोरंजन के साथ-साथ इतिहास की कुछ दबी हुई चीजों से रूबरू कराती है 'परमाणु'

1998 पोखरण परमाणु टेस्ट पर बनी ये फिल्म परीक्षण के पीछे की कहानी को दिखाने की कोशिश की है. डायरेक्टर अभिषेक शर्मा इस कहानी को दिखाने में कई हद तक सफल भी हुए हैं. फ‍िल्‍म लगभग दो घंटे दस मिनट की है. ये फिल्म आपको पूरी अवधि में सीट से बांधकर रखेगी. फिल्म में जॉन अब्राहम एक देशभक्त आईएएस ऑफिसर अश्वत राणा के रोल में है.

फिल्म की कहानी-
कहानी की शुरुआत 1995 से होती है जब पीएमओ के एक जूनियर ब्यूरोक्रेट अश्वत रैना (जॉन अब्राहम) भारत के परमाणु परीक्षण पर एक रिपोर्ट तैयार करके सरकार को देते हैं. लेकिन उस रिपोर्ट को पूरी तरह से नहीं पढ़ पाने की एवज में परमाणु मिशन धरा का धरा रह जाता है. मिशन के फेल होने का पूरा ठीकरा अश्वत के सिर पर फोड़ दिया जाता है इसके बावजूद कि उसकी रिपोर्ट को किसी ने भी ठीक से नहीं पढ़ा था और कई चीजों को नजरअंदाज कर दिया था. इस वजह से अश्वत को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ता है और दिल्ली से वापस मसूरी की ओर रुख करना पड़ता है.

अश्वत की लाइफ में तब बदलाव आता है जब देश की सरकार बदल जाती है. एक दिन पीएम के प्रमुख सचिव हिमांशु शुक्ला (बोमन ईरानी) उनके परमाणु टेस्ट के आइडिया पर काम करने के लिए कहते हैं. जॉन अपनी बेस्ट टीम को चुनते हैं जिसमें अंबालिका (डायना पेंटी) भी होती हैं और मिशन पोखरण शुरू होता है.

अश्वत अपने हिसाब से टीम की रचना करता है, जिसमें BARK,DRDO, आर्मी के साथ-साथ अंतरिक्ष वैज्ञानिक और इंटेलिजेंस के भी लोग होते हैं. एक बार फिर से 1998 में परमाणु परीक्षण की तैयारी की जाती है, जिसके बारे में अमेरिका को कानोंकान खबर ना हो इसका सबसे ज्यादा ख्याल रखा जाता है. इसी बीच भारत में अमेरिका और पाकिस्तान के जासूसों की मौजूदगी इस परीक्षण को किस तरह से नाकामयाब किया जाए उसका भी ध्यान देती है. अंततः इन सभी विषम परिस्थितियों के बावजूद भारत न्यूक्लियर पावर के रूप में सबके सामने नजर आता है और एक बड़ी शक्ति के रूप में दिखाई देता है यही फिल्म में दर्शाया गया है.

क्‍या है फ‍िल्‍म में खास, जो देखने पर करेगा मजबूर-
फिल्म सत्य घटनाओं पर आधारित है. 1998 में भारत में परमाणु परीक्षण के बाद अमेरिका के साथ-साथ आस-पास के देश भी हिल गए थे. अभिषेक शर्मा अपने कसे हुए निर्देशन और इस फिल्म के रिसर्च के लिए बधाई के पात्र हैं. फिल्म का स्क्रीनप्ले जबरदस्त है, जिसके लिए इसके लेखक सेवन क्वाद्रस, संयुक्ता चावला शेख और अभिषेक शर्मा बधाई के पात्र हैं. फिल्म का डायरेक्शन, सिनेमेटोग्राफी और लोकेशन बढ़िया है. इसी के साथ समय समय पर प्रयोग में लाई जाने वाली 90 के दशक की फुटेज भी काफी कारगर है, जिन्हें बड़े ही अच्छे अंदाज से फिल्म के स्क्रीनप्ले में प्रयोग में लाया गया है. जॉन अब्राहम ने एक बार फिर से गंभीर लेकिन उम्दा अभिनय किया है. उनकी पत्नी के रूप में अनुजा साठे ने बड़ा ही अच्छा काम किया है. अनुजा इसके पहले बाजीराव मस्तानी और ब्लैकमेल फिल्म में भी अच्छा अभिनय करती हुई दिखाई दी हैं. डायना पैंटी, बोमन ईरानी के साथ-साथ विकास कुमार, योगेंद्र टिंकू, दर्शन पांडेय, अभीराय सिंह,अजय शंकर और बाकी सभी किरदारों ने बढ़िया अभिनय किया है.

फ‍िल्‍म का बजट
फिल्म का बजट लगभग 45 करोड़ रुपए बताया जा रहा है, जिसमें से कि 35 करोड़ रुपए प्रोडक्शन कास्ट है और 10 करोड़ रुपए प्रिंट और पब्लिसिटी में खर्च किए गए हैं.

स्‍टार-
4

फ‍िल्‍म का कलाकार-
जॉन अब्राहम, बोमन ईरानी, डायना पैंटी, विकास कुमार, योगेंद्र टिक्कू, दर्शन पांडेय,अनुजा साठे

https://www.youtube.com/watch?v=dFrKIWsPE_8

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