अक्सर ऐसा होता है कि जब आप किसी एक्टर की डेब्यू फिल्म देखने जाते हैं, तो किसी तरह की एक्सपेक्टेशन्स लेकर थियेटर में नहीं घुसते. मगर जैसे ही फिल्म रफ़्तार पकड़ती है, आपको महसूस होता है कि किस लाजवाब और मंझे हुए कलाकार की फिल्म देखने आये हैं आप! कुछ ऐसा ही महसूस होगा आपको "धड़क" देखते वक़्त. एक तरफ शाहिद कपूर के भाई ईशान खट्टर हैं (जिनकी पहली फिल्म "बियोंड द क्लाउड्स" चौतरफा तारीफें बटोर चुकी है), और दूसरी तरफ हैं जाह्नवी कपूर (बेहतरीन अदाकारा श्रीदेवी की बेटी). लेकिन अगर आप ईमानदारी से फिल्म को आंकेंगे, तो इस स्टारकास्ट की तुलना आप शाहिद या श्रीदेवी से कतई नहीं करेंगे. अगर आपने डायरेक्टर शशांक खेतान की पहली दो फिल्में "हम्प्टी शर्मा की दुल्हनिया" और "बद्रीनाथ की दुल्हनिया" देखी हैं, तो आप अंदाजा लगा पाएंगे कि इस बार शशांक ने बिलकुल अलग हटकर सब्जेक्ट चुना है. हां, फिल्म की कहानी सुपरहिट मराठी फिल्म "सैराट" का अडॉप्टेशन है, लेकिन रीमेक वाली कोई फीलिंग आपको नहीं आएगी.
फिल्म की कहानी:
रंगबिरंगे, चित्रात्मक और प्रकृति मनोहर उदयपुर में शूट हुई यह फिल्म जात-पात और 'हॉनर किलिंग' के भंवर में फंसी एक प्रेम-कथा है. दो बिलकुल ही अलग लोगों की अपनी अलग-अलग दुनियां हैं. पहली नज़र का प्यार. और दो अलग दुनियां एक हो जाती हैं.
फिल्म का पहला हाफ आपको लम्बा लगेगा, लेकिन हंसमुख किस्सों के चलते आप बोर नहीं होंगे. फ़िल्म का दूसरा हिस्सा यथार्थवादी और गंभीर है, जिसमें आपको असुरक्षा और चुप्पी का एहसास होगा. बैकग्राउंड स्कोर पर काफी अच्छा काम किया गया है. फिल्म का क्लाइमेक्स भी एक मास्टरस्ट्रोक है. हालांकि कुछ सह-कलाकारों की एक्टिंग किसी कमाल की नहीं है. लेकिन शशांक की तारीफ़ इस बात के लिए ज़रूर बनती है कि फिल्म की इतनी स्ट्रांग कहानी होने के बावजूद भी उन्होंने प्लॉट ऐसा रखा है जिसे ऑडियंस एन्जॉय करे, और उससे बोर न हो. कुछ सीन ऐसे आएंगे, जब वाकई आपको खड़े होकर ताली बजाने का मन करेगा. दोनों किरदार काफी मज़बूत हैं. फिल्म के लगभग सभी डायलॉग्स बिल्कुल नैचुरल लगते हैं. इसके अलावा, अजय-अतुल ने काफी दिलचस्प म्यूज़िक दिया है. हां, फिल्म में एक स्ट्रांग मेसेज है जिसे आप बखूबी महसूस करेंगे.
क्या है फिल्म में खास, जो देखने पर करेगा मजबूर:
ईशान जितने बिंदास दिखे हैं, जाह्नवी उतनी ही सरल और सुंदर. फिल्म में कलाकारों की स्मूथ एंट्री, धीमी गति का रोमांस, सामंजस्यपूर्ण और सिंक्रनाइज़ म्यूज़िक, कलाकारों की बेहतरीन एक्टिंग - और सोने पर सुहागा है लाजवाब उदयपुर. फिल्म में मेवाड़ का कल्चर काफी खूबसूरती से दिखाया है.
इस सिम्पलिसिटी, सरलता, और कच्चे प्यार को 5 में से 4 मून देंगे.