फिल्म: वेल्ले
कास्ट: करण देओल, अभय देओल, मौनी रॉय, अन्या सिंह
डायरेक्टर: देवेन मुंजाल
रेटिंग: 2.5 मूंस
वेल्ले की कहानी में कई किरदारों वाली कहानी है. देवेन मुंजाल द्वारा डायरेक्ट की गयी इस फिल्म में करण देओल, अन्या सिंह, अभय देओल, मौनी रॉय, जाकिर हुसैन, विशेष तिवारी, सावंत सिंह प्रेमी और अन्य हैं. जो फिल्म में साथ चलने वाली तीन कहानियों के अलग-अलग किरदार हैं. फिल्म में पहली कहानी ऋषि सिंह (अभय देओल) की है, जो एक राइटर है और साथ ही एक महत्वाकांक्षी डायरेक्टर. ऐसे में काम ढूंढ़ते हुए ऋषि की मुलाकात पॉपुलर एक्ट्रेस रोहिनी मौनी रॉय) से होती है, इस तरह से वह अपने मंज़िल के करीब पहुंच जाता है.
तो इस तरह से ऋषि रोहिनी को तीन दोस्तों R3 की कहानी सुनाता है, जो स्कूल में पढ़ते कम और स्कूल के बाहर ज्यादा समय बिताते हैं. लेकिन उनका यह गैंग जल्द ही R3 से R4 बन जाता है. दरअसल, स्कूल में पढ़ने वाले तीन दोस्त राहुल (करण देओल), रेम्बो (सावंत सिंह प्रेमी) और राजू (विशेष तिवारी) होते हैं. उनके ग्रुप में फिर प्रिंसिपल (ज़ाकिर हुसैन) की बेटी रिया (अन्या) की एंट्री होती है, जो विद्रोही स्वभाव के साथ जिंदगी खुलकर जीने वाली लड़की होती है. हालांकि, उसके आने के साथ उनकी मुसिबतो का सिलसिला शुरू हो जाता है. इन मुसिबतो का सामना ये चारो दोस्त कैसे करते है ये इस फिल्म में मजेदार लगता है लेकिन ये कहानी को थोड़ा उलझाता भी है और कई जगहों पर कहानी भटकी हुई भी नजर आती है.
फिल्म की कहानी आपको कुछ जगहों पर अपनी कॉमिक टाइमिंग से हंसाएंगी भी लेकिन बाकी जगहों पर फिल्म में ज्यादा ट्विस्ट देने के चक्कर में लैक ऑफ़ क्रिएटिविटी नजर आती है. फिल्म में अभय देओल और मौनी रॉय के सीन्स और जोड़ी काफी अच्छी है. अभय के सीन्स अच्छे हैं और उनकी दमदार एक्टिंग ने फिल्म की परफॉरमेंस को मजबूत किया है. ज़ाकिर हुसैन की भी परफॉरमेंस काफी अच्छी है और फिल्म की कहानी के साथ दर्शकों को जोड़े रखने में कामयाब हुए हैं.
राहुल (करण), रैम्बो (सावंत सिंह प्रेमी) और राजू (विशेश तिवारी) ये पूरी तरह से फिल्म के अहम किरदार हैं. लेकिन सनी देओल के बेटे यानी करण की इस दूसरी फिल्म में ही उनकी प्रदर्शन पहले फिल्म के मुकाबले अच्छी हुई है. दोस्तों के किरदार में सावंत सिंह प्रेमी और विशेष तिवारी ने भी अच्छी भूमिका निभाई है. प्रिंसिपल की भूमिका में अन्या सिंह ने भी अच्छा प्रदर्शन किया है.
पंकज मट्टा की यह एक-दूसरे से जुड़ी कहानी इंटरेस्टिंग लग सकती थी, अगर उसे अच्छे से प्रेजेंट किया गया होता. लेकिन स्क्रीनप्ले ज्यादा कंफ्यूज करने वाली है, जिसमे क्लैरिटी की कमी है. जिसे देवेन मुंजाल भी संभल नहीं पाएं हैं.
सिनेमेटोग्राफी और एडिटिंग में क्रिएटिविटी की कमी है। एडिटिंग में कई गलतियां साफ़ देखि जा सकती हैं. एक सीन से दूसरे में जाने के लिए तकनीकी पहलू कमजोरी पड़े हैं. जबकि, रोचक कोहली, सोहेल सेन का संगीत ठीक ठाक है.
फिल्म का फर्स्ट हाफ आपको कुछ हद तक एंटरटेनिंग लगेगा, लेकिन सेकेंड हाफ कहानी के ट्विस्ट देने के चक्कर में हुई गड़बड़ी की वजह से कमजोर पड़ गया है. फिल्म मे ट्विस्ट देने की कई जगह अच्छी कोशिश है जो रोमांच पैदा करती है. ये फिल्म स्कूल के दिनों की यादों को ताजा करती है, जिसमे हम बच्चों की उनके पेरेंट्स के साथ के रिलेशनशिप की भी झलक देख सकते हैं.
PeepingMoon वेल्ले को 2-5 मूंस देता है!