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Movie Review: अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ मोर्चा लेने आ गई 'मणिकर्णिका'

कंगना रनौत, अंकिता लोखंडे और जीशु सेनगुप्ता की ऐतिहासिक फिल्म 'मणिकर्णिका' दर्शकों के हवाले होने के लिए तैयार है. फिल्म 25 जनवरी को रिलीज होगी लेकिन उससे पहले पीपिंग मून आपको बताएगा कि यह फिल्म आपको देखनी चाहिए या नहीं. 'मणिकर्णिका' झांसी की रानी लक्ष्मी बाई के साहसी और शक्तिशाली पराक्रम को दिखाती है.

यूं तो लक्ष्मीबाई के बारे में बचपन से स्कूली किताबों में बहुत पढ़ा है, लेकिन एक अरसे बाद पर्दे पर ऐसी फिल्म आई है. यह फिल्म लक्ष्मीबाई के जीवन और 1857 के भारतीय विद्रोह के दौरान ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ उनकी लड़ाई पर आधारित है.

फिल्म की कहानी
फिल्म की कहानी वाराणसी से शुरू होती है, जहां अंतिम पेशवा बाजीराव द्वितीय के सेवक 'मोरोपंत ताम्बे' बेटी का नामकरण करने के लिए वाराणसी घाट आते है, जिसका नाम 'मणिकर्णिका' रखा जाता है. मनु पिता के साथ बिठूर आ जाती है. एक दिन गांव में जंगली शेर घुस आता है. गांववालों को उस शेर से बचाने के लिए मनु उसे मारने की जगह सिर्फ घायल करती हैं, मनु का यह पराक्रम देख कुलभूषण खरबंदा महाराज गंगाधर राव से मनु की शादी का प्रस्ताव लेकर बिठूर जाते है. फिल्म का पहला हिस्सा बहुत बड़ा है. हर दो मिनट में गाने आ जाते है. कहानी में एंट्री होती है झलकारी बाई उर्फ़ अंकिता लोखंडे की. अंकिता अचानक से आती है और फिर गायब हो जाती है. फिल्म में वह क्या कर रही है, यह किसी को समझ नहीं आता. उनपर एक गाना भी फिल्माया गया है, जिसकी मेकर्स को क्या ज़रूरत पड़ती है, पता नहीं. गाने में वो अपना साइज जीरो फिगर दिखाने लगती है.

गंगाधर राव और रानी लक्ष्मीबाई के बीच रोमांस, साथ ही लक्ष्मीबाई के मां बनने की खबर के साथ कहानी बहुत ही धीमी गति से आगे बढ़ती है. जहां एक तरफ झांसी का हर नागरिक अपने राज्य को अंग्रेजो के चंगुल से बचाना चाहता है, वहीं 'सदाशिव' नाम का एक आस्तीन का सांप होता है, जो झांसी पर राज करने के लिए अंग्रेजो का साथ देता है. सदाशिव का किरदार मोहम्मद ज़ीशान आयूब निभा रहे हैं, जिन्हे आपने शाहरुख़ खान के साथ फिल्म 'जीरो' में देखा था. इन्ही सब उतार चढ़ाव के साथ कहानी आगे बढ़ती है.

रानी के मां बनने की खबर सुन सदाशिव नन्हे बालक 'दामोदर' को मारने की योजना बनाता है और इसमें वह कामयाब भी होता है लेकिन उसके घिनौने इरादों पर तब पानी फिरता है, जब गंगाधर राव और रानी लक्ष्मीबाई सदाशिव के बेटे की जगह किसी और के बेटे को को झांसी के उत्तराधिकारी के रूप में चुनते है. अब यह कौन है यह आपको फिल्म देखने के बाद पता चलेगा.

एक्टिंग
कंगना ने अपने अभिनय का प्रमाण क्वीन, 'तनु वेड्स मनु' और 'तनु वेड्स मनु रिटर्न' में दिया है. वह इस फिल्म में भी लाजवाब है. अंकिता लोखंडे की यह डेब्यू फिल्म है लेकिन इसमें वह ओवर एक्टिंग की दुकान लगी. बाकी सभी कलाकरों ने अपने किरदार के साथ न्याय करने की कोशिश की. डैनी डेन्जोंगपा फिल्म में आपको गुलाम गौज़ खान के किरदार में दिखाई देंगे, वह रानी की एक अनुभवी, साहसी और समझदार सेनापति हैं. जबकि अंकिता लोखंडे झलकारी बाई का रोले निभा रही है. वह एक निडर योद्धा होती हैं. 'मणिकर्णिका' में कंगना ने एक ऐसा किरदार निभाया है, जो प्रेरित करता है और महिला सशक्तीकरण का प्रतीक है. कंगना का लुक, एक्शन सब कुछ जबरदस्त हैं.

कमजोर कड़ियां
फिल्म का पहला हिस्सा बहुत कमजोर है. आप इंटरवल होने का इन्तजार करेंगे. डायलॉग की बात करें तो ठीक है लेकिन उन्हें और भी अच्छे से लिखा जा सकता था. वीएक्स का इस्तेमाल और बेहतर तरीके से हो सकता था.

फिल्म क्यों देखनी चाहिए
कंगना के अभिनय को हमने उनकी पिछली फिल्मों में देखा है. फिल्म में अच्छे डायलॉग है और कुछ पंचेस भी है. अगर आप सिर्फ कंगना के फैन है तो आपको यह फिल्म जरूर देखनी चाहिए. कंगना ही इस पूरे पूरे जहाज की कप्तान है.

कास्ट
कंगना रनौत, अंकिता लोखंडे, डैनी डेन्जोंगपा, अतुल कुलकर्णी, सुरेश ओबेरॉय, जीशु सेनगुप्ता, निहार पांड्या

मून
3 मून

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