बड़े परदे पर अंडरग्राउंड रैपर्स के बीच बैटल-ग्राउंड में अचानक एक एंथम शुरू होता है, और थिएटर में आपके आजू-बाजू बैठे सब लोग साथ में पूरे जोश से गाते हैं - "अपना टाइम आएगा" !! यकीन मानिये, इस रोंगटे खड़े कर देने वाले एक्सपीरियंस को आप मिस नहीं करना चाहेंगे. छोटे गली कस्बों में रहते हुए भी बड़े सपने देखने की हिम्मत रखने वालों की कहानी है 'गली बॉय'. वाकई में आजकल का यूथ आम ज़िंदगी और मैंटौस ज़िंदगी के बीच जो फर्क तलाशता है, उसी की कहानी है 'गली बॉय'. यह महज़ फिल्म नहीं, एक तरह का तिलस्म है - यहांं असलियत है, अस्वीकृति है, मजबूरियांं हैं, बेबसी है; लेकिन उस सब के बीच सपने हैं, बंदिशें तोड़ने की ख्वाहिशें हैं, प्यार है, और ढेर सारा न्यू ऐज म्यूज़िक भी.
ज़ोया अख्तर द्वारा निर्देशित इस फिल्म में लीड रोल में हैं रणवीर सिंह और आलिया भट्ट. अपनी पहली ही फिल्म में सिद्धांत चतुर्वेदी ने जता दिया है कि वह लंबी रेस के घोड़े हैं. फिल्म में विजय वर्मा, कल्कि केकला और विजय राज के रोल छोटे हैं लेकिन इतने जानदार हैं कि इनके बिना फिल्म पूरी नहीं हो सकती थी.फिल्म की कहानी मुंबई के अंडरग्राउंड रैपर्स 'डिवाइन' उर्फ विवियन फर्नांडीस और 'नेज़ी' उर्फ नावेद शेख के जीवन से प्रेरित बतायी जा रही है. फिल्म देखकर आपको कुछ हद तक '8 माइल' की याद आ सकती है, जो पॉपुलर रैपर एमिनेम के जीवन पर आधारित थी. लेकिन बॉलीवुड में यह अपनी तरह की पहली और बिलकुल यूनीक फिल्म है.
कहानी:
'गली बॉय' एक 22 साल के लड़के मुराद (रणवीर सिंह) की कहानी है जो मुंबई की एक बस्ती से है. मुराद का पिता (विजयराज) एक ड्राइवर है और चाहता है कि मुराद पढ़ लिखकर एक अच्छी नौकरी में लग जाए. अंकल की सिफारिश से एक काम भी मिलता है, लेकिन कभी भी मुराद को इस सोच से बाहर नहीं जाने दिया जाता कि वो एक नौकर है. इसी बीच मुराद का पिता दूसरी बीवी को घर ले आता है. घर में होने वाली कलह-क्लेश के दौरान ही मुराद को एहसास होता है कि उसकी किस्मत उसे एक रैपर बनाने को आवाज़ दे रही है. सोसाइटी में अपनी क्लास को भुलाकर अपनी कला को कैसे दिशा देता है मुराद, यही कहानी है 'गली बॉय' की. फिल्म की कहानी साधारण लग सकती है, लेकिन स्क्रीनप्ले और डायरेक्शन ने दर्शकों के रोंगटे खड़े कर दिए. फिल्म का स्क्रीनप्ले रीमा कागती और जोया ने लिखा जो बेहद टाइट है.
जानिये आखिर फिल्म को क्यों देख सकते हैं:
रणवीर सिंह ने एक बार फिर साबित कर दिया कि वो हर बार एक अलग रोल में नज़र आ सकते हैं और उसे पूरी ईमानदारी के साथ निभा भी सकते हैं. ज़ोया अख्तर ने जिस खूबसूरती के साथ यह फिल्म बनायी है, उसके बलबूते यह वाकई बॉलीवुड में एक मील का पत्थर साबित होगी. इससे पहले ज़ोया की फिल्म 'ज़िंदगी न मिलेगी दोबारा' ने भी दर्शकों पर ऐसा ही जादू फेरा था. फिल्म का संगीत बिलकुल अलग किस्म का है. यह पूरी तरह से यूथ ओरिएंटेड फिल्म है और आपको अपने सपनों को पूरा करने के लिए प्रेरित करती है.
म्यूज़िक:
एक्सेल एंटरटेनमेंट और टाइगर बेबी के बैनर तले बनी इस फिल्म में संगीत दिया है अंकुर तिवारी ने. फिल्म में कुल मिलाकर करीब 18 गाने हैं, लेकिन अधिकतर गाने रैप स्टाइल में ही हैं - जो कि बॉलीवुड में पहली बार हुआ है. लेकिन म्यूज़िक नए ज़माने का है और आपको बोर बिलकुल नहीं करता. हर रैप में आप खुद को भी थिरकते हुए पाएंगे. लीड ट्रैक "अपना टाइम आएगा" तो वाकई इंडिया में आज यूथ के लिए एक तरह का एंथम बन चुका है.
बजट:
लगभग 55 से 60 करोड़ रुपये है.
मून:
4