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Short Film Review: ईशा देओल की 'केकवॉक' छोड़ जाएगी आपके मुंह में मीठा स्वाद

फिल्म: केकवॉक
डायरेक्टर: राम कमल मुखर्जी
कास्ट: ईशा देओल तख्तानी, तरुण मल्होत्रा, अनिंदिता बोस, सिद्धार्थ चटर्जी

शॉर्ट फिल्म 'केकवॉक' के साथ लंबे गैप के बाद ईशा देओल तख्तानी पर्दे पर वापस आ रही हैं. फिल्म की कहानी में कोलकाता शहर की झलक दिखती है, इसमें जिंदगी के रंग को खूबसूरत तरीके से दिखाया गया है और साथ ही रिश्ते कितने जटिल हो सकते हैं इसे भी दर्शाया गया है.

'केकवॉक' 27 मिनट की एक खूबसूरत यात्रा है, जिसमे आप मुख्य किरदारों के बीच खाने को लेकर समानता देख सकते हैं. बता दें कि डेब्यूटेंट डायरेक्टर राम कमल मुखर्जी की फिल्म के खत्म होते ही आपके मुंह में एक मीठा स्वाद आ जायेगा.

केकवॉक शिल्पा सेन (ईशा) के साथ शुरू होती है जो कि एक तलाकशुदा महिला होती है. शिल्पा को अपने ऑफिस जाने की जल्दी होती है. ऑफिस जाते हुए उसकी मुलाकात लेनदारों से हो जाती है, जो कि उसे लोन चुकाने के लिए कहते हैं. लोन की राशि 2 लाख रुपये होती है. वहीं दूसरी तरफ शिल्पा ऑफिस में देर से पहुंचती है लेकिन काम पर यह एक साधारण दिन, उसके लिए सबसे कठिन साबित होता है.

इसी बीच होटल का हेड शेफ सभी को सूचित करता है कि एक बड़ा शख्स अपनी सालगिरह मनाने के लिए होटल में आ रहा है. चूंकि यह क्लाइंट होटल के लिए खास होता है, उसके इस खास दिन को लेकर यह बात बताई जाती है कि जो शेफ अपने बेकरी क्रिएशन से उसे प्रभावित करने में सफल रहेगा उसे 2 लाख रुपये का पुरस्कार मिलेगा. जिसके बाद सिद्धार्थ चटर्जी जिन्होंने फिल्म में ईशा के बॉस की भूमिका निभाई है, वह उन्हें अपना स्पेशल केक "अलास्का" बनाने के लिए कहता है. जिसके बाद फिल्म में दिखाया जाता है कि ईशा प्रतियोगिता जीतती है, क्योंकि उसके केक को सबसे अच्छा चुना जाता है और वह तरुण मल्होत्रा ​​द्वारा निभाए गए क्लाइंट को प्रभावित करने में सफल हो जाती है. लेकिन इसी बीच इमोशनल उथल-पुथल भी देखा जाता है.

हालांकि, फिल्म में ट्विस्ट तब आता है जब तरुण और उसकी पत्नी अनींडिता बोस केक को टेस्ट करते हैं; जिसके बाद उन्हें यह एहसास होता है कि इसे किसी जानपहचाने वाले शख्स ने बनाया है, जो कि और कोई नहीं बल्कि उसकी एक्स-वाइफ शिल्पा होती है. इसमें हमें देखने मिलता है कि कैसे वे अपने रिश्ते में अलग हो जाते हैं और कैसे तरुण ईशा को यह एहसास दिलाता है कि जीवन एक केकवॉक नहीं है!

इस शार्ट फिल्म में ईशा का प्रदर्शन अप-टू-द-मार्क है, यहां तक कि कम संवादों के साथ भी उनके एक्सप्रेशन बहुत कुछ कहता है. फिल्म के अंतिम सीन में जहां वह तरुण से फ़ोन पर बात करती है, वहां वह विजेता के रूप में सामने आती है. वहीं फिल्म में घरेलू लड़ाई के सीन्स में आप उनकी बेबसी आप देख सकते हैं. साथ ही अपनी सीमित भूमिका में अनिंदिता बोस इस बात के बारे में एक छोटा सा सन्देश देती है कि फिल्म की क्या कहानी है. इस दौरान उनकी डायलॉग डिलीवरी और स्क्रीन पर उपस्थिति बिलकुल सही है.

'केकवॉक' एक शानदार फिल्म है जिसे एक बार देखना बनता है. इस फिल्म को देख आप एक बात समझ जाएंगे कि जिंदगी में जो कुछ भी होता है उसके पीछे कोई अच्छी वजह होती है.

पीपिंगमून 'केकवॉक' शार्ट फिल्म को देता है 3.5 मून.

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