फिल्म 'सरदार का ग्रैंडसन' ओटीटी प्लेटफॉर्म नेटफ्लिक्स पर रिलीज के लिए तैयार है. फिल्म का प्रीमियर 18 मई को नेटफ्लिक्स पर होगा. फिल्म में नीना गुप्ता, अर्जुन कपूर, रकुल प्रीत सिंह, जॉन अब्राहम और अदिति राव हैदरी मुख्य किरदारों में नजर आने वाले हैं. इस फिल्म को काश्वी नायर ने डायरेक्ट किया है. फिल्म की कहानी एक पोते के दृढ़ संकल्प के इर्द-गिर्द घूमती है, जो अपनी दादी की इच्छा को पूरा करने के लिए संघर्ष करता है. फिल्म में नीना गुप्ता, अर्जुन कपूर की दादी का किरदार निभा रही हैं. नीना अमृतसर से लाहौर जाने की इच्छा जाहिर करती हैं, जहां उन्होंने अपने पति संग घर बनाया था. हर कोशिश करने के बाद नीना की अर्जी खारिज हो जाती है. ऐसे में अर्जुन तय करते हैं कि लाहौर वाला घर वह अमृतसर में लेकर आएंगे, अगर नीना को जाने की इजाजत नहीं मिल रही है तो. वहीं फिल्म की रिलीज से पहले, नीना गुप्ता, अर्जुन कपूर, काश्वी नायर और रकुल प्रीत सिंह ने पीपिंगमून के साथ एक्सक्लूसिव इंटरव्यू किया.
एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में, नीना और अर्जुन ने इस बारे में बात की कि कैसे फिल्म भारत-पाकिस्तान पर एक अलग रूप पेश करती है और साथ ही बताया कि भारत पाक मुद्दे पर बनी सरदार और ग्रैंडसन की कहानी में नफरत के लिए कोई जगह नहीं है. फिल्म की प्रेम कहानी के बारे में बात करते हुए, नीना ने कहा, 'हम लोग है ना प्यार मतलब वो सेक्स वाला प्यार सोचते हैं बस. लेकिन और भी बहुत सी चीजें हैं. लेकिन हम उसे प्यार कहने में बहुत शर्माते हैं. अगर मैं आपको पसंद करती हूं, तो मैं आई लव यू बोलकर गले नहीं लगाउंगी. क्योंकि उसमें तो शर्म आती है, ये तो सिर्फ बॉयफ्रेंड गर्लफ्रेंड में ही होता है. इस फिल्म में, यह सरदार और उसके पोते के बीच एक प्रेम कहानी है और क्यों नहीं. मुझे याद है कि जब मैं छोटी थी तो प्यार शब्द को बोलने में ही बहुत शर्माती थी. लेकिन अब ऐसा नहीं है. वक्त के साथ प्यार की अहमियत समझ आई है. प्यार की परिभाषा ही अलग होती है. बधाई हो के लिए पुरस्कार मिलने के बाद, मैंने अपने डायरेक्टर अमित शर्मा को 'आई लव यू' कहा. उनको ही नहीं मैं बहुत से लोगों को 'आई लव यू' कहती हूं. क्योंकि प्यार मतलब प्यार है, चाहे किसी से भी हो. फिल्म में भी आपको सरदार और पोते की प्यारी सी प्रेम कहानी दिखेंगी. जो पहले कभी नहीं बनीं.'
वहीं अर्जुन ने नीना की बातों से सहमत होकर कहा कि, 'लोग तो प्यार करते हैं. अगर आप हमारे फिल्म को एंड तक देखोंगे तो एंड में एक स्थिति आती है जहां मैं बोलता हूं कि, और अपनी ये फिल्म की लाइन मुझे बहुत पसंद है. मैं कहता हू कि, आप चाहे जैसे भी हो पर आपके मुल्क के लोग अच्छे हैं. हर देश, हर शहर, हर जगह में 99% अच्छे लोग हैं, 1% लोगों के साथ कुछ नोकझोक हो जाती है. कंक्लूशन ये है कि यहा पर ये हमे ये महसूस होता है कि यह एक अलग तरह का प्यार है. प्यार रिश्तों से बढ़कर है और यह फिल्म उसी का एक उदाहरण है.'