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Birthday Special: फॉर्मूला में फंसे बॉलीवुड को रामगोपाल वर्मा ने कैसे सिखाया रिस्क लेना, रामू की फैक्ट्री से निकले ये दिग्गज

रामगोपाल वर्मा आज अपना 58वां जन्मदिन मना रहे हैं.  उनका जन्म 7 अप्रैल 1962 को आंध्र प्रदेश में हुआ था. राम गोपाल फिल्म इंडस्ट्री में किसी पहचान के मोहताज नहीं. उनकी अलग सोच और फिल्ममेकिंग के डिफरेंट स्टाइल ने बॉलीवु़ड में उनका सिक्का जमाया. सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई छोड़कर राम गोपाल फिल्म निर्देशन के क्षेत्र में कूद पड़े. उन्होंने करियर के शुरूआती दिन नाइजीरिया में बिताए. वहां से वापस हैदराबाद लौटकर फिल्मों के वीडियो कैसेट किराए पर देने की दुकान खोली और फिर फिल्म डायरेक्टर बने. उनकी क्राइम बेस्ड फिल्मों ने बॉक्स ऑफिस पर झंडे गाड़े और ये अंडरवर्ल्ड फिल्में बॉलीवुड में गेम चेंजर बनीं. राम गोपाल ने अपनी पहली ही फिल्म 'शिवा' से न सिर्फ साउथ में बल्कि हिंदी सिनेमा में भी तहलका मचा दिया था. 

फिल्म 'शिवा (1990)' से रातों रात छा गए हिंदी सिनेमा में 
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राम गोपाल वर्मा ने 1989 में  तेलुगू फिल्म 'शिवा' से निर्देशन में कदम रखा. उन्होंने इस फिल्म के रिलीज होने के एक साल बाद इसी फिल्म का हिंदी रीमेक इसी नाम से बनाकर बॉलीवुड में शानदार एंट्री ली. यह फिल्म कॉलेज में होने वाली गुंडा गर्दी पर आधारित थी. कहा जाता है कि इस फिल्म का कुछ हिस्सा रामू ने अपनी कॉलेज लाइफ से लिया था. इस फिल्म से ही नागार्जुन की हिंदी सिनेमा में एंट्री हुई. इस ब्लॉकबस्टर फिल्म से राम गोपाल वर्मा के बारे में बॉलीवुड में भी बातें होने लगीं. 

'रंगीला' से हिन्दी सिनेमा में कायम किया दबदबा
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राम गोपाल वर्मा ने वैसे तो शिवा से अपना सिग्नेचर स्टाइल सबको दिखा दिया था लेकिन अभी भी एक  बड़े ब्रेकथ्रू की जरूरत थी. इस मामले में मील का पत्थर बनीं फिल्म 'रंगीला' (1995). हिंदी सिनेमा की ये उन चंद फिल्मों में है जिनका रीमेक हॉलीवुड तक ने किया. हॉलीवुड में ये फिल्म 2004 में 'विन अ डेट विद टेड हेमिल्टन' नाम से रिलीज हुई. 'रंगीला' में जैकी श्रॉफ, आमिर खान और उर्मिला मातोंडकर मुख्य भूमिका में थे.

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वर्मा की अंडरवर्ल्ड फिल्में बॉलीवुड में बनीं गेम चेंजर 
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क्राइम विषयों वाली फिल्मों के गुरु समझे जाने वाले राम गोपाल वर्मा की कई अंडरवर्ल्ड सब्जेक्ट पर बनीं फिल्में बॉलीवुड में गेम चेंजर बनीं. राम गोपाल की क्राइम थ्रिलर पर कमांड हैं ये कहना गलत नहीं होगा, चाहे वो शिवा (1989), ग्रेट रॉबरी (1996), दौड़ (1997), सत्या (1998), कंपनी (2002) या फिर साल 2005 में आई फिल्म सरकार हो.इन फिल्मों ने रामू को सबका फेवरेट बना दिया. 

इन हॉरर फिल्मों ने पब्लिक को जमकर डराया 
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क्राइम पर बनीं फिल्में ही नहीं राम गोपाल वर्मा की हॉरर थ्रिलर फिल्मों ने भी दर्शको को जमकर डराया. साल 2003 में आई 'भूत' हो या 'डरना मना है' या फिर 2006 में आई फिल्म 'डरना जरूरी है' ये वो फिल्में हैं जो दर्शको को अंदर तक रोमांचित करने और डराने में कामयाब रही. 

नए लेखकों की टीम ने वर्मा को बनाया मजबूत
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राम गोपाल वर्मा के पास सर्वश्रेष्ठ फिल्मों के अलाव बेस्ट राइटर्स की टीम भी थी. जिससे वो बॉलीवुड के सरकार बनें. आज के कई सक्सेसफुल डारेक्टर राइटर्स एक जमाने में राम गोपाल के असिस्टेंट हुआ करते थे. राम के करियर के शुरूआती दिनों में अब के मशहूर निर्देशक अनुराग कश्यप उनके असिस्टेंट थे जिनके साथ वर्मा ने 'सत्या', 'कौन' और 'शूल' जैसी सुपरहिट फिल्में दी. वहीं शिमित अमीन के साथ फिल्म 'अब तक छप्पन' बनाई थी. शिमित ने रामू से अलग होकर 'चक दे इंडिया' बनाई. वहीं लेखक जयदीप साहनी के साथ फिल्म 'जंगल' और 'कंपनी' बनाई थी. जयदीप ने रामू का साथ छोड़ कई हिट फिल्में लिखीं जिनमें बंटी और बबली, खोसला का घोसला के साथ चक दे डायलॉग पर काम किया. वहीं रामू के सबसे मजबूत राइटर डायरेक्टर श्रीराम राघवन ने 'एक हसीना थी' बनाई थी जबकि उनसे अलग होकर श्रीराम ने अंधाधुन और बदलापुर जैसी फिल्में दीं. सेक्शन 375 लिखने वाले मनीष गुप्ता ने रामू के साथ साल 2005 में उनकी सबसे बड़ी हिट 'सरकार' बनाई थी. 
लेकिन अच्छे राइटर्स को न संभाल पाने की वजह से रामगोपाल वर्मा की फिल्में डिजास्टर साबित होने लगीं. उन्होने एक्सपेरिमेंट तो जारी रखे लेकिन कोई भी प्रयोग कामयाब नहीं हुआ..यही वजह रही कि उन्हें हिंदी सिनेमा छोड़ फिर से साउथ का रुख करना पड़ा. लेकिन उनके सबसे बेस्ट राइटर रहे अनुराग कश्यप की मानें तो रामू का दौर फिर लौटेगा अगर वो लेखकों की मजबूत टीम फिर से तैयार करें. हम भी यही चाहेंगे की इंडियन सिनेमा के इस रिस्क टेकर की तरफ से अच्छी फिल्में हमें देखने को मिलें. 


पीपिंगमून की पूरी टीम की तरफ से राइटर, डायरेक्टर और प्रोड्यूसर राम गोपाल वर्मा को जन्मदिन की ढेर सारी शुभकामनाएं.

 

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