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पंकज त्रिपाठी स्टारर 'कागज़' के प्रेजेंटर बने सलमान ख़ान, निर्देशक सतीश कौशिक को अब अच्छी थियेट्रिकल रिलीज़ की उम्मीद

बॉलीवुड एक्टर सतीश कौशिक का जन्म 13 अप्रैल, 1956 को हुआ था. सतीश इंडस्ट्री में एक बड़ा मुकाम रखते हैं. एक्टर ने इंडस्ट्री में अभिनय कर सभी को खूब हंसाया. उन्होंने फिल्मों का निर्देशन किया. इसके अलावा वे कुछ फिल्मों के निर्माता भी रहे. इसी के साथ उन्होंने कुछ ऐसी फिल्मों का निर्देशन भी किया है जिन्हें लोगों द्वारा पसंद किया गया. सलमान खान की 'तेरे नाम' इसका उदाहरण है. 
 

हिंदी फिल्‍मों के डायरेक्‍टर, प्रोड्यूसर और अभिनेता सतीश कौशिक पंकज त्रिपाठी स्टारर फिल्म 'कागज़' के साथ निर्देशन में कमबैक कर रहे है, सतीश और उनकी टीम ने लॉकडाउन की वजह से सिर्फ दो दिन शूटिंग रहने के बावजूद शूट बंद करना पड़ा. वहीं फिल्म से सलमान खान का नाम जुड़ने से सतीश कौशिक को  'कागज' को लेकर बेफिक्र हो गए है. सतीश ने फिल्म को लेकर एक लीडिंग वेबसाइट से बहुत ही मजेदार किस्से शेयर किए है. 

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एक लीडिंग वेबसाइट से बात करते हुए कौशिक ने कहा कि, 'मैं उनकी कहानी से रोमांचित था और मैंने अखबार की कटिंग बना रखी थी. जब 'मैरीकॉम' और 'पान सिंह तोमर' जैसी वास्तविक जीवन की कहानियों ने स्क्रीन पर अपना रास्ता तलाशना शुरू किया, तो मैंने तय किया कि मेरी फाइलों से मृतक लाल बिहारी को बाहर लाने का समय आ गया है. उन्होंने आगे कहा, "मैं गुंजन सक्सेना की बायोपिक और '83' फिल्म के बाद इस फिल्म को लाना चाहता था क्योंकि दोनों बड़ी फिल्मों में पंकज की भूमिका थी. 'कागज' उनकी पहली सोलो हीरो फिल्म है.'


सतीश आगे बताते हैं कि, 'वो लोग जब माल्टा में फिल्म ‘भारत’ की शूटिंग कर रहे थे. इसी दौरान अच्छे सिनेमा और टैलेंट को प्रमोट करने में सलमान खान के रोल की बात हो रही थी. इसी दौरान सलमान ने सतीश के पूछा कि वो अभी किस चीज़ पर काम कर रहे हैं. सतीश ने ‘कागज़’ का आइडिया सुनाया. सलमान को ये कहानी पसंद आई. इसके बाद सतीश के कहने पर सलमान फिल्म से बतौर प्रोड्यूसर जुड़ गए.'

 

अपनी नई रिलीज़ डेट के बारे में बताते हुए कौशिक ने कहा, “यह नई लाइन-अप पर निर्भर करेगा. बड़ी फिल्मों के लिए अधिक उपयुक्त तारीख की प्रतीक्षा में, हमारी जैसी छोटी फिल्मों को पहले एक खिड़की मिल सकती है. यह तय करना बहुत समयपूर्व है लेकिन मेरी सलमान की वजह से मुझे अभी भी एक अच्छी थियेट्रिकल रिलीज़ की उम्मीद हैं.''

बता दें, फिल्म ‘कागज़’ की कहानी यूपी के आजमगढ़ से आने वाले एक किसान लाल बिहारी के बारे में है. लाल बिहारी को उनके रिश्तेदार ने एक करप्ट अफसर की मदद से सरकारी रिकॉर्ड में मरा हुआ डिक्लेयर करवा दिया था. ताकि वो उनकी जमीन हथिया सकें. लाल ने 1975 से 1994 तक ज़िंदा रहने के बावजूद मरे हुए आदमी की ज़िंदगी जी. इसका पता उन्हें तब चला जब उन्हें बैंक से लोन लेने के लिए आइडेंटिटी प्रूफ की ज़रूरत पड़ी. लेकिन वो हार नहीं माने लड़ते रहे. एक बार तो वो राजीव गांधी के खिलाफ चुनाव में भी खड़े हुए, जिससे ये साबित हो सके कि वो ज़िंदा हैं. 18 साल तक लड़ने के बाद लाल ने 1994 में कानूनी तौर से ये साबित कर दिया कि वो ज़िंदा हैं.
 

‘कागज़’ सतीश की कमबैक फिल्म बताई जा रही है. क्योंकि सतीश कौशिक ने अपनी पिछली फिल्म ‘गैंग्स ऑफ घोस्ट्स’ साल 2014 में डायरेक्ट की थी. सतीश इस फिल्म को बनाने के प्रयास 2012 से कर रहे थे. 

(Source: Mumbai Mirror)

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