सुशांत सिंह राजपूत के सुसाइड के बाद से ही हर जगह नेपोटिज्म की बहस छिड़ी हुई है. वहीं, एक्टर जीशान अय्यूब ने भी नेपोटिज्म समेत बॉलीवुड में चल रहे कई मुद्दों पर अपनी राय बताई. एक इटरव्यू के दौरान उन्होंने कहा कि इस समय नेपोटिज्म पर बहस करना गलत है. नेपोटिज्म के अलावा भी कई गम्भीर मुद्दे हैं.
जीशान अय्यूब ने एक इंटरव्यू में कहा, 'इसको थोड़ा अजीब बनाया जा रहा है. ये सारी डिबेट नेपोटिज्म को लेकर हो रही है....लेकिन असल मसला इससे भी ज्यादा बड़ा है. सबसे बड़ी बात है कि हमसे झूठ बोला जाता है. आपको कहा जाता है कि आपको ये करना है, साथ ही आपको पोस्टर पर भी जगह देने का वादा किया जाता है. लेकिन मेकर्स असल में आपको कैरेक्टर ये कहकर बेचते हैं कि ये पोस्टर लायक है. लेकिन फिल्म करते-करते ये साइड कैरेक्टर बन जाते हैं.'
'नो वन किल्ड जेसिका (2011)', 'रांझणा (2013)', 'तनु वेड्स मनु: रिटर्न्स (2015)', 'ट्यूबलाइट (2017)' और 'आर्टिकल 15 (2019)' जैसी फिल्मों में अभिनय कर चुके अभिनेता अय्यूब ने आगे कहा कि शूटिंग के दौरान एक्टर को बिना बताए स्क्रिप्ट में बदलाव कर दिया जाता है. उन्होंने कहा,'प्रमोशन के वक्त कोई इस फाइट की बात नहीं करता. जो एक्टर्स काम करते हैं, उनके पास फाइट करने का टाइम नहीं होता. हमें लगता है कि पोस्टर के बारे में कौन फाइट करेगा या क्रेडि़ट्स के दौरान जैसा वादा किया गया था वैसा नाम क्यों नहीं दिया गया. कुछ को छोड़ कर, लभगभग सभी फिल्मों में मुझसे कहा गया कि आप पोस्टर में होंगे, लेकिन मैं देखता कि क्या हुआ. पोस्टर में मैं नहीं होता था. इस तरह के बदलाव ऑडियंस के प्रति आपका नजरिया बदलते हैं.'
जीशान ने कहा कि, 'सुशांत की मौत के बाद चली इनसाइडर और आउटसाइडर की डिबेट में कई लोग अपना व्यक्तिगत लाभ हासिल कर रहे हैं. उन्होंने कहा, कुछ लोग तो अपना पर्सनल पापड़ सेक रहे हैं. मुझे बुरा लग रहा है कि हमारे एक साथी की मौत हो गई और ये लोग गेम खेल रहे हैं. बहुत ही नकारात्मकता फैली हुई है.'
(Source: Hindustan Times)