टीवी से बड़े पर्दे का रुख कर चुके अभिनेता विक्रांत मेस्सी अब तक 'लूटेरा', 'दिल धड़कने दो', 'छपाक' और 'अ डेथ इन द गुंज' जैसी कमाल की फिल्मों में नजर आ चुकें हैं. हाल ही में विक्रांत ने नेपोटिज्म, इनसाइडर आउटसाइडर डिबेट, स्टार किड्स और फिल्मों में अपने स्ट्रगल पर बात की. विक्रांत ने बताया कि किस तरह सेट पर जूनियर आर्टिस्ट्स के साथ बात की जाती है और कहा अगर कोई इंसान फिल्म में नौकर का किरदार निभा रहा है तो उसे भी एक जैसा माना जाना चाहिए.
हर किसी का संघर्ष अलग होने की बात करते हुए विक्रांत ने कहा, 'सबके स्ट्रगल्स अलग होते हैं लेकिन हम ऐसी संस्कृति में बड़े हुए हैं, जहां फिल्मों को आदर्शवादी माना जाता है. हम फिल्म निर्माताओं को आइडल बनाते हैं और फिल्म स्टार बनना पसंद करते हैं. जब आप फिल्म अभिनेता बनने की कोशिश करते हैं तो वे सभी धारणाएं नष्ट हो जाती है.
जब विक्रांत ने टीवी से फिल्मों में जाने का फैसला किया तब यह उनके लिए आसान नहीं था. उन्होंने बताया, 'टीवी एक्टर्स को फिल्मों में बड़े पार्ट्स नहीं मिलते. दो तीन सीन्स के रोल मिलते हैं. यह परसेप्शन बन गया है और यह एक हद तक सही भी है. लोग सोचते हैं कि घर- घर लोग आपको जानते हैं, आपके पास फ्रेश अपील की कमी है. मेरे मुंह पर पर कहा गया कि मैं हीरो मटेरियल नहीं हूं. मैं उस तरह का लड़का नहीं हूं जिसके बाइसेप्स होते हैं. यह सब सुनके आपकी हिम्मत टूट जाती है. ये कमैंट्स पॉजिटिव नहीं थे और मैंने इन्हे पर्सनली लिया. मैं गुस्सा में था लेकिन मैंने उस गुस्से का इस्तेमाल इन लोगों को गलत साबित करने के लिए किया. एक अभिनेता के रूप में मेरे पास 10 साल का टीवी का अनुभव है लेकिन वह काउंट नहीं होता. आपको शुरू से शुरू करना होता है. क्योंकि ये दोनों अलग-अलग प्राथमिकताओं के साथ अलग-अलग माध्यम हैं.
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विक्रांत ने आगे कहा, 'अगर आप एक अच्छे अभिनेता नहीं आप इंडस्ट्री में सर्वाइव नहीं कर सकते. स्टारकिड्स के पास वो पहुंच होती है जो हमारे पास नहीं है. उनको धुप में बिठा के नहीं रखते. उनको ऑडिशंस नहीं देने पड़ते. मैं खुशनसीब था कि मुझे लूटेरा मिली. मुझे रणवीर सिंह अनुराग कश्यप और विक्रमादित्य मोटवानी के साथ काम करने का मौका मिला. वो बात अलग है कि मुझे लूटेरा की स्क्रिप्ट नहीं मिली क्यूंकि मैं सपोर्टिंग रोल निभा रहा था. जब उनसे पूछा तो उन्होंने मुझसे कहा कि हम तुम्हे अभी नहीं दे सकते. रणवीर को एडवांस में स्क्रिप्ट मिल गयी थी और यह ज्यादातर फिल्मों में होता है. बड़े स्टूडियोज आपको स्क्रिप्ट नहीं देंगे जब तक कि आप लीड रोल न निभा रहे हो. हीरोज को अलग तरीके से ट्रीट किया जाता है. चीजें अब बदल गयी हैं क्यूंकि अब मुझे ब्रेकआउट स्टार माना जाता है. मुझे आज स्क्रिप्ट मिल जाती है.
विक्रांत ने मीडिया, टीवी और दर्शकों पर विचारधारा न तोड़ने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा, 'लोग उतने ही इम्पॉटेंट हैं जितना उन्हें इम्पोर्टेंस दिया जाता है. क्या सिर्फ बड़े प्रोडक्शन हाउसेस फिल्में बना रही हैं. उनकी मान्यता आपके लिए इतनी इम्पोर्टेन्ट क्यों है? एक बड़े प्रोडक्शन हाउस ने मुझे लीड के रूप में कास्ट करने से मना कर दिया था, क्योंकि मैंने लुटेरा में एक छोटी भूमिका निभाई थी. उन्होंने विनम्रता से मुझे मना कर दिया और मेरे काम की प्रशंसा की. मुझसे कहा गया कि छोटे रोल्स ही दे सकते हैं.
नेपोटिज्म पर विक्रांत ने कहा, 'जब मकबूल में मैंने इरफान की परफॉर्मेंस देखि मैं समझ गया कि मुझे किस तरह का काम करना है. मैं बलराज साहनी, नसीरुद्दीन शाह जैसे अभिनेताओं को देखते हुए बड़ा हुआ हूं. कुछ लोग रितिक रोशन की तरह बनना चाहते हैं जब कि कुछ इरफ़ान साहब की तरह बनना चाहते हैं. आपको जानना होगा कि क्या करना है. दोस्तों और परिवार के बीच रहना बहुत मददगार साबित होता है. यदि भाई-भतीजावाद मौजूद है, तो स्वतंत्र और निष्पक्ष अवसर भी मौजूद हैं. आपको लगातार सोचना है कि अच्छा काम करना है. इस पेशे में 16 साल बाद मैं अभी भी तीन-चार साल दूर हूं जहां मैं ये तय कर सकूं कि किस तरह का काम मुझे करना है.रातों- रात सक्सेस जैसा कुछ नहीं है. आप एक लंबी दौड़ के लिए इसमें हैं. यह अच्छा है कि अब हम समान अवसरों और पारदर्शिता के लिए लड़ रहे हैं, क्योंकि वास्तविक प्रतिभा उन अवसरों की हकदार है.
(Source: Bombay Times)