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नेपोटिज पर बोले पंकज त्रिपाठी, 'अगर आपके पास टैलेंट नहीं है तो आप इंडस्ट्री में सर्वाइव नहीं कर सकते'

'गैंग्स ऑफ़ वासेपुर', 'सेक्रेड गेम्स', 'स्त्री' 'मिर्जापुर' और 'गुंजन सक्सेना' जैसी फिल्मों में दमदार परफॉर्मेंस देकर पंकज त्रिपाठी ने दर्शकों के दिल में एक अलग जगह बनायीं है. जूनियर आर्टिस्ट से लेकर मेनस्ट्रीम हीरो तक पंकज का फ़िल्मी सफर उन लोगों के लिए बहुत इंस्पायरिंग है, जो कुछ सालों के स्ट्रगल के बाद जल्दी हर मान जाते हैं. 

ई टाइम्स के साथ एक्सक्लूसिव बातची में पंकज ने नेपोटिज्म पर बात करते हुए ' नेपोटिज्म ने मुझे कभी किसी तरह से परेशान नहीं किया. मैं हमेशा अपने क्राफ्ट पर काम करने में व्यस्त रहा हूं. लोगों को शायद लगे कि मैं झूठ बोल रहा हूं जब मैं कहता हूं कि मैंने कभी भी इंडस्ट्री में असहज महसूस नहीं किया लेकिन यह सफर और एक्सपीरियंस मेरा रहा है इसलिए केवल मैं बता सकता हूं कि अब तक यह कैसा था. मेरी सच्चाई यह है कि मैंने अपने हिस्से का संघर्ष किया है. मैंने फिल्मों में भूमिकाओं के लिए बहुत मेहनत की है. लोग मुझे पहचाने उससे पहले मैंने आठ साल तक संघर्ष किया है.

'गैंग्स ऑफ़ वासेपुर' में सुलतान कुरैशी हो या फिर 'गुंजन सक्सेना' में जान्हवी के पिता का रोल, पंकज त्रिपाठी ने शिद्दत से निभाया हर किरदार 

मेरा ऐसा कोई अनुभव नहीं था, फिर भी मैं इस बात से इनकार नहीं करूंगा कि मैंने इन चीजों को इंडस्ट्री में दूसरों के साथ होते देखा है. स्टार किड्स को दूसरों की तुलना में जल्दी मौके मिलते हैं क्योंकि वे एक निश्चित परिवार से ताल्लुक रखते हैं. मुझे कभी इतनी आसानी से आसानी से मौका नहीं मिला. हालांकि मुझे भी किसी ने नहीं रोका. अगर आपके पास टेलेंट नहीं है तो आप इंडस्ट्री में सर्वाइव नहीं कर सकते. ऑडियंस बहुत स्मार्ट है. उन्हें पता है कौन टेलेंटेड है और कौन नहीं.'

पंकज ने आगे बताया, 'इस इंडस्ट्री के लोग बहुत अच्छे है. मुझे हमेशा प्यार और सम्मान देते हैं. इस इंडस्ट्री का हिस्सा बनने के बाद भी मैंने अपने आपको जरा भी नहीं बदला. मैं अब भी गांव का वही इंसान हूं.मैं केवल अपने क्राफ्ट की शिल्प कला को सिखने के अर्थ में बदला हूं. जहां तक मेरे लुक्स और पोशाक की बात है, तो मैं अब भी वही पहनता हूं, जिसमें मैं सबसे ज्यादा सहज हूं. मैंने अपनी मौलिकता कभी नहीं बदली है.

 

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