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गीतकार जावेद अख्तर को लगता है कि लोग नेपोटिज्म के नाम पर हो रहे है भ्रमित, कहा- 'फिल्म इंडस्ट्री में तो भाई-भतीजावाद संभव ही नहीं है'

काफी टाइम से बॉलीवुड में नेपोटिज्म, इंसाइडर्स वर्सेज आउटसाइडर्स और ग्रुपिज्म पर बहस छिड़ी हुई है. कई एक्टर्स, संगीतकार, राइटर, डायरेक्टर्स इस पर खुल कर बोल चुके है. इन डिबेट्स को लेकर कई सेलेब्स को आए दिन सोशल मीडियो पर यूजर्स के गुस्से का सामना करना पड़ रहा हैं. वहीं कई सेलेब्स ने इन डिबेट्स से किनारा करते हुए अपने आप को सोशल मीडिया से अलग कर लिया वहीं कई सेलेब्स एंटी बॉलीवुड, नेपोटिज्म जैसे मुद्दो पर खुलकर बात कर रहे हैं. वहीं हमेशा अपने बेबाकी के लिए जाने जाने वाले दिग्गज गीतकार जावेद अख्तर ने भी इन विभिन्न मुद्दों पर टिप्पणी करते हुए कहा कि कुछ लोग भाई-भतीजावाद से भ्रमित हो रहे हैं. 

एक लीडिंग वेबसाइट से बात करते  जावेद अख्तर ने कहा कि, 'विरासत को नेपोटिज्म नहीं कहा जा सकता है. मुझे लगता है कि लोग भाई-भतीजावाद के साथ विरासत को भ्रमित कर रहे हैं. फिल्म इंडस्ट्री में भाई-भतीजावाद संभव ही नहीं है क्योंकि जो भी लोग बॉक्स ऑफिस पर टिकट खरीद रहा है, वह मतदाता है और इसमें कोई धांधली नहीं की जा सकती है. हो सकता है कि फिल्मी परिवार में पैदा हुए किसी व्यक्ति को आसानी से काम तो चलो मिल जाए पर राह तो खुद बनानी होगी. उसमें को कोई कुछ कर नहीं सकता, आखिर में हर कोई सिर्फ अपने टैलेंट के दमपर ही टिक सकता है.'

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 हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में फैसे ड्रग्स के कारोबार के आरोपों पर जावेद ने कहा कि, 'जहां तक ड्रग्स का ,सवाल है. यह समाज का द्वेष है. मैंने केवल सुना है और मैंने अपनी आँखों से कोई ड्रग्स देखा नहीं है. लेकिन मैंने सुना है कि युवा लोग ड्रग्स का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन यह सिर्फ फिल्म इंडस्ट्री में ही नहीं है, यह समाज का मौजूदा द्वेष है.  इस पर गौर किया जाना चाहिए और मुझे नहीं पता कि क्या अवैध है और क्या कानूनी है.'
(Source: Hindustan Times) 

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