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मनोज बाजपेयी ने आई एंड बी मिनिस्ट्री द्वारा OTT प्लेटफॉर्म्स पर लगाए गए नियमों पर कहा- 'मैं इसका विरोध करता हूं, लेकिन मुझे विश्वास नहीं होता कि ये चुप रहने का आदेश है'

देश में चलने वाले ऑनलाइन न्यूज पॉर्टल और कंटेंट प्रोग्राम अब सूचना और प्रसारण मंत्रालय के तहत आएंगे. भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा इस आदेश पर हस्ताक्षर किए गए हैं जो कि तत्काल प्रभाव से लागू होगा. मनोज वाजपेयी ने आई एंड बी मिनिस्ट्री द्वारा OTT प्लेटफॉर्म्स पर लगाए गए नियमों पर अपनी राय रखते हुए इसका विरोध किया है. 

एक लीडिंग वेबसाइट से बात करते हुए मनोज ने कहा कि, 'मुझे विश्वास नहीं होता है कि यह एक चुप रहने का आदेश है. मैं सेंसरशिप का कड़ा विरोध करता हूं, लेकिन लोग यह समझने से पहले अनावश्यक रूप से प्रतिक्रिया कर रहे हैं कि यह क्या होता है. जब ओटीटी प्लेटफॉर्म शुरू में भारत आए थे, तो उन्हें पूरी आजादी थी. लेकिन कुछ फिल्ममेकर्स ने लीमिय से परे हो गए. पर वहीं आखिरकार, द फैमिली मैन, स्‍कैम 1992, असुर और दिल्‍ली क्राइम जैसी क्‍वालिटी कंटेंट ही काम में आता है. कई फिल्‍मकार जान-बूझकर और भी जिम्‍मेदार तरीके से कहानी कहने के लिए संयम बरत रहे है. पर हां मुझे कभी-कभी लगता है कि अभिनेताओं पर एक स्टैंड लेने के लिए एक अनचाहा प्रेशर होता है जब करोड़पति और अरबपति चुप रह जाते हैं.'

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बता दे कि अब तक भारत के पास विभिन्न प्रकार के ऑनलाइन सामग्री के नियमन के लिए कोई कानून या निकाय नहीं था. जबकि प्रिंट मीडिया को भारतीय प्रेस परिषद द्वारा विनियमित किया जाता है, समाचार प्रसारणकर्ता संघ (एनबीए) इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में विभिन्न समाचार चैनलों के काम को देखता है. एडवरटाइजिंग स्टैंडर्ड्स काउंसिल ऑफ इंडिया विज्ञापन से संबंधित मामलों और संगठनों पर काम करती हैं और केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (CBFC) सिनेमाघरों में रिलीज होने वाली फिल्मों की निगरानी के लिए जिम्मेदार है.

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