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अनुपम खेर ने बताया, पिता के निधन के बाद रॉकबैंड बुलाकर मनाया जश्न, इस तरह मां ने बदली जिंदगी 

अनुपम खेर एक अच्छे अभिनेता होने के साथ- साथ एक अच्छे इंसान भी है. मॉर्निंग वाक पर जाते समय गरीब बच्चों से मिलना हो जिन्हे वो अपना फ्रेंड कहते है या फिर उन्हें एक अच्छे रेस्टोरेंट में खाना खिलाना हो. वो हमेशा नेक काम करने के लिए जाने जाते है. हाल ही में एक सोशल मीडिया पोस्ट के जरिये उन्होंने अपनी जिंदगी के कई और खुलासे किये है. इस पोस्ट में उन्होंने बताया कि सिर्फ 37 रुपये लेकर वो मुंबई आये थे और किस तरह उन्होंने पिता के निधन के बाद उनकी मौत का जश्न मनाया. 

 'ह्यूमन्स ऑफ बॉम्बे' के पेज पर अपने जीवन के बारे में साझा करते हुए अनुपम ने बताया, 'पिता की मौत के बाद मैं और मां करीब हो गए, उन्होंने अपना पार्टनर खो दिया था और मैंने सबसे अच्छा दोस्त.  चौथे पर मैंने कहा कि रोने से अच्छा है हम उनकी जिंदगी का जश्न मनाएं. हमने रंगीन कपड़े पहने और एक रॉकबैंड बुलाया. हमने पापा के साथ अपनी अच्छी यादों का जिक्र किया. मां बोलीं, मुझे पता नहीं था कि मैंने इतने बेहतरीन इंसान से शादी की थी। इसके बाद अब वह मेरी सबसे अच्छी दोस्त बन गई हैं.' 

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अनुपम ने आगे बताया कि उनकी ने मां उन्हें अच्छे स्कूल में पढ़ाने के लिए अपने गहने तक बेच दिए थे. उन्होंने पोस्ट में यह भी बताया है कि वह पढ़ाई में ज्यादा अच्छे नहीं थे, जिसके चलते उनकी मां परेशान रहती थी. वहीं अनुपम खेर के पिता उन्हें काफी दुलार करते थे. ऐसे में अभिनेता की मां उनके पिता को ज्यादा दुलार करने से मना करती थीं. ताकि वह ध्यान लगाकर पढ़ाई करें. अनुपम खेर ने पोस्ट में एक किस्सा बताते हुए कहा है कि उन्हें अलग शख्सियत बनाने में उनकी मां का हाथ है.

 

'मैं उस वक्त 10 साल का था जब एक साधू स्कूल में आया. मां ने मुझे पांच पैसे दिए और कहा कि मैं उस साधू को दे दूं, लेकिन मैंने साधु को दो पैसे दिए और बाकी अपने बैग में रख लिए. जब मां ने मुझसे पूछा तो मैंने उनसे झूठ बोल दिया. कुछ समय बाद मां ने मेरे बैग की तलाशी ली और बाकि के पैसे निकले. इसके बाद उन्होंने मुझे सजा के तौर पर तीन घंटे घर के बाहर खड़ा किया. मां ने तब तक मुझे घर में घुसने नहीं दिया जबतक कि मैंने अपनी गलती को स्वीकार नहीं किया. 

अभिनेता ने पोस्ट में आगे लिखा, 'अपनी गलती मानने के बाद मां ने दोबारा ऐसा न करने की सीख दी. मां के इन्हीं आदर्शों को लेकर मैं मुंबई कलाकार बनने आया. उस समय मेरी जेब में कुल 37 रुपये थे. उन दिनों मैं रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म पर सोता था, लेकिन यह बात मैंने कभी अपनी मां हो नहीं बताई और उस समय जब वह बीमार हुईं तो उन्होंने भी मुझे कुछ नहीं बताया. हम दोनों एक-दूसरे की ऐसी ही सुरक्षा करते थे.'

अनुपम खेर ने पोस्ट में आगे लिखा, 'जब मैं फिल्में करने लगा तो मेरे मां ने जमीन से जुड़े रहने की सीख दी. उन्होंने मुझसे कहा कि तुम कितने भी ऊपर चले जाओ या फिर कितने भी ऊपर उड़ो, लेकिन हमेशा विनम्र रहना'.   

ह्यूमन्स ऑफ़ बॉम्बे के इस पोस्ट को लोग बहुत पसंद कर रहे है और उनके फैंस इसे शेयर भी कर रहे है.

 

(Source: Humans Of Bombay) 

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