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50 Years Of Anand: फिल्म में राजेश खन्ना की कास्टिंग को लेकर दुखी हो गए थे धर्मेंद्र, नशे की हालत में आधी रात को कर दिया था ऋषिकेश मुखर्जी को कॉल

'बाबूमोशाय जिंदगी बड़ी होनी चाहिए, लम्बी नहीं' ये लाइन सुनकर आपके दिमाग में तुरंद 'आनंद' यानी राजेश खन्ना का हंसता चेहरा सामने आ जाता है. आज से पचास साल पहले रिलीज हुई इस क्लासिक फिल्म ने लोगों को जीने का सही तरीका समझाया. साल 1971 में रिलीज हुई सुपरहिट फिल्म 'आनंद' में दिवंगत महान कलाकार राजेश खन्ना और महानायक अमिताभ बच्चन ने लीड रोल निभाया था. 'आनंद' बेहद भावुक कर देने वाली फिल्म थी. कैंसर के मरीज की जिंदगी पर आधारित इस फिल्म को जिसने भी देखा होगा, वो रोया जरूर होगा. ये फिल्म जितनी बेहतरीन है, इसके गाने भी उतने ही शानदार थे. फिल्म के डायलॉग और गाने अब भी लोगों की जुबान पर रहते हैं. वही जब ये फिल्म आई थी उस वक्त राजेश खन्ना एक  सुपरस्टार थे और फिल्म में उनका होना ही फिल्म हिट होना माना जाता था, लेकिन क्या आपको पता है कि इस फिल्म के लिए राजेश खन्ना पहली पसंद नहीं थे. 
फिल्म 'आनंद' का निर्देशन ऋषिकेश मुखर्जी ने किया था और वो अपनी फिल्म के लिए अभिनेता की तलाश कर रहे थे. उन्होंने फिल्म की कहानी सबसे पहले अभिनेता धर्मेंद्र को सुनाई थी. फिल्म की कहानी सुनकर धर्मेंद्र बड़े खुश हुए और उन्होंने कहा कि ये फिल्म तो मैं ही करूंगा. पर कुछ दिनों बाद अखबार में छपा कि फिल्म के हीरो राजेश खन्ना होंगे। फिर क्या था धर्मेन्द्र ने जमकर शराब पी और फिर देर रात ऋषिकेश दा को कॉल किया और कहा कि आप मेरे साथ ऐसा कैसे कर सकते हैं? ऋषि उन्हें शांति से समझाते रहे और कहते रहे कि हम सुबह बात करेंगे, लेकिन धर्मेंद्र थे कि लगातार अपनी बात दोहराए जा रहे थे. डायरेक्टर के बहुत समझाने पर भी धर्मेंद्र ने कुछ ही नहीं सुना था और उन्होंने रातभर ऋषिकेश दा को सोने नहीं दिया.

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तो वहीं उधर जब राजेश खन्ना को पता चला कि ये फिल्म बड़े-बड़े एक्टर्स के पास होकर उनके पास आई है. तो वो काफी खुश हुए और वो ऋषिकेश दा के पास पहुंचे और उनसे कहा कि मैं फिल्म करने के लिए तैयार हूं. तब ऋषिकेश दा ने उनसे कहा अगर आपको मेरे साथ काम करना है तो मेरी तीन शर्तें माननी होंगी. टाइम पर आना होगा, अधिक डेट्स देनी होंगी और तीसरी शर्त ये कि 1 लाख की फीस में ही काम करना होगा. राजेश बिना कुछ कहे उनकी सभी शर्तों को फौरन मान गए. राजेश खन्ना उन दिनों 8 लाख रुपये फीस लेते थे, लेकिन इस फिल्म के लिए उन्होंने सिर्फ 1 लाख रुपये फीस ली थी.


फिल्म 'आनंद' में आनंद सहगल (राजेश खन्ना) अपने प्रिय दोस्त डॉक्टर भास्कर बनर्जी (अमिताभ बच्चन) को 'बाबू मोशाय' कहकर संबोधित किया करते थे. कहा जाता है कि यह शब्द राजकपूर ने दिया था और राजकपूर ऋषिकेश दा को बाबू मोशाय कहा करते थे.  वहीं इसी फिल्म से सही मायनों में अमिताभ बच्चन को पहचान मिली थी. खुद अमिताभ ने एक बार बताया था कि जिस दिन फिल्म आनंद रिलीज हुई थी उस दिन अमिताभ ने मुंबई के एसवी रोड के एक पेट्रोल पंप पर अपनी कार रोकी जहां उन्होंने कार में पेट्रोल भरवाया. उस समय वहां कुछ ही लोगों ने उन्हें पहली बार एक एक्टर के रूप में पहचान लिया था. उसी दिन वो शाम को दोबारा उसी पेट्रोल पंप पर पहुंचे तो उन्हें जानने वालों की भीड़ बढ़ गई थी.

(Source: India Today)

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