कुछ महीने पहले ही सिनेमाघरों में फिर से फिल्में रिलीज होनी शुरू हुयी थी. कई फिल्में रिलीज के लिए लाइन अप में है. थिएटर मालिकों और निर्माताओं से लेकर सिने प्रेमियों तक हर कोई थिएटर में फिल्मों की रिलीज से खुश है. हालांकि कोरोना ने एक बार फिर से अपनी रफ़्तार पकड़ ली है और कयास लगाए जा रहे है की लॉकडाउन होने की संभावना है.
मनोज बाजपेयी जिन्हें हाल ही में फिल्म 'भोंसले' में उनके प्रदर्शन के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता की श्रेणी में राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से सम्मानित किया गया था, कुछ दिन पहले कोरोना से संक्रमित हो गए थे. सेल्फ क्वारंटीन होने के बाद अब वह सभी सेट पर लौटने और अपनी फिल्मों की शूटिंग शुरू करने के लिए तैयार हैं. मनोज फिर से देश में कोरोना की बढ़ती संख्या को लेकर चिंतित है. ETimes के साथ एक खास बातचीत में उन्होंने इसपर चर्चा की.
मनोज का कहना है, 'कोरोना के बढ़ते मामलों की वजह से देश में सिनेमाघरों की कैपेसिटी फिर से 50% कर दी गयी है. मैं ओटीटी और सेटेलाइट के अलावा मैं पेरेलल मीडियम चाहता हूं ताकि इंडस्ट्री के लोगों के पास नौकरियां हो और उनके पास चुनने के लिए विभिन्न माध्यम हों. सिर्फ एक मीडियम नहीं है जो इंडस्ट्री पर शासन कर रहा है क्योंकि यह किसी के लिए भी अच्छा नहीं होगा. थिएटरों को अच्छा करना चाहिए. मैं वास्तव में चाहता हूं कि फिर सबकुछ नॉर्मल हो जाए जो केवल तभी संभव होगा जब टीका सभी तक पहुंच जाए और हर कोई जिम्मेदारी से व्यवहार करना शुरू कर देगा.'
'मुझे पहले के कुछ प्रदर्शनों के लिए नेशनल अवॉर्ड नहीं जीतने पर लगा था बुरा': मनोज बाजपेयी
उन्होंने आगे कहा, 'मैं चाहता हूं कि सिनेमाघरों को 100% ओक्यूपेन्सी पर चलाया जाए. हालांकि यह फैसला सरकारी अधिकारियों द्वारा लिया गया हजो हमसे बेहतर स्थिति को समझते है. वो बड़े पिक्चर को देख रहे हैं. सभी अधिकारी महामारी को नियंत्रित करने के लिए दिन रात काम कर रहे हैं. लोगों को ज़िम्मेदार होना चाहिए और चल रही स्थिति का ध्यान रखना चाहिए ताकि जो फ़िल्में लाइन में हैं वे समय पर रिलीज़ हो सकें. यह इंडस्ट्री में हर एक के लिए बेहतर होगा.'
मनोज ने बताया कि लॉकडाउन ख़त्म होने के बाद उन्होंने थिएटर में दो फिल्में देखी. उनमें से एक उनकी फिल्म 'सूरज पे मंगल भारी' थी क्यूंकि लॉकडाउन में थोड़ी छूट मिलने के बाद वह पहली फिल्म थी जो थिएटर में रिलीज हुयी थी और दूसरी फिल्म टेनेट थी.