विधि और न्याय मंत्रालय ने आज एक नोटिस जारी कर कहा है कि केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) के आदेशों से आहत फिल्म निर्माताओं की अपील सुनने के लिए गठित फिल्म सर्टिफिकेशन अपीलेट ट्रिब्यूनल (एफसीएटी) को भंग कर दिया गया है. बदलाव को तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया गया है.
अब से, प्रोड्यूसर्स और फिल्ममेकर्स को अपनी शिकायतों का समाधान करने के लिए सीधे उच्च न्यायालय का रुख करना होगा जो एक बोझिल और महंगी कसरत साबित हो सकती है. FCAT को 1983 में सिनेमैटोग्राफ अधिनियम, 1952 के तहत स्थापित किया गया था. FCAT के माध्यम से, फिल्म निर्माता CBFC के प्रमाणन आदेश के खिलाफ अपील कर सकते हैं, एक फिल्म को प्रमाणित करने से इनकार कर सकते हैं, बोर्ड द्वारा सुझाए गए संशोधन और अन्य शिकायतें.
Such a sad day for cinema
FILM CERTIFICATION APPELLATE TRIBUNAL ABOLISHED | 6 April, 2021
— Vishal Bhardwaj (@VishalBhardwaj) April 6, 2021
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हंसल मेहता, विशाल भारद्वाज, ऋचा चड्ढा, गुनीत मोंगा और अन्य सहित कई फिल्म सेलेब्स द्वारा इस फैसले पर निराशा जाहिर की गयी है. उन्होंने ट्रिब्यूनल के उन्मूलन को मनमाना, अनावश्यक और प्रतिबंधात्मक बताने के लिए ट्विटर जा सहारा लिया है.
How does something like this happen ?
Who decides ? https://t.co/04uXPQx1dW
— Guneet Monga (@guneetm) April 6, 2021
Do the high courts have a lot of time to address film certification grievances? How many film producers will have the means to approach the courts? The FCAT discontinuation feels arbitrary and is definitely restrictive. Why this unfortunate timing? Why take this decision at all?
— Hansal Mehta (@mehtahansal) April 7, 2021
FCAT ने कई मौकों पर CBFC के आदेशों को खारिज कर दिया था. हाल ही में अलंकृता श्रीवास्तव की लिपस्टक अंडर माय बुरखा, जहां इसने कुछ एडिट करने के बाद ‘A’ सर्टिफिकेट दिया था, सीबीएफसी ने फिल्म को प्रमाणित करने से मना कर दिया था. इसने कुशन नंदी के बाबूमोशाई बन्दूकबाज़ को 8 छोटे कट्स के साथ रिलीज होने दिया था, जबकि सीबीएफसी ने इसे ‘A’ सर्टिफिकेट देने के बाद फिल्म में 48 कट के आदेश दिए थे.
(Source: Live Law/Twitter)