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यौन उत्पीड़न के मामले में एक्टर विजय राज को बॉम्बे हाई कोर्ट ने दी अंतरिम राहत

एक्टर विजय राज पर उनकी अगली फिल्म 'शेरनी' के सेट पर एक महिला क्रू मेंबर ने छेड़छाड़ के आरोप लगाए थे. यह घटना 2 नवम्बर को बालाघाट (मध्य प्रदेश) में हुई थी. जिसके बाद विजय को गिरफ्तार कर लिया गया था. 2 नवंबर को देर रात गोंडिया पुलिस ने विजय राज को गिरफ्तार किया था. अगली सुबह उन्हें एक स्थानीय न्यायालय ने सशर्त जमानत पर रिहा कर दिया था. वहीं अब छेड़छाड़ के एक मामले में उन्हें नागपुर हाई कोर्ट की ओर से अंतरिम निषेधाज्ञा मिल गयी है. 

एक सप्ताह पहले विजय राज ने छेड़छाड़ एफआईआर को लेकर बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ में याचिका दाखिल की थी. इस मामले में सुनवाई के बाद अदालत ने एफआईआर पर अंतरिम निषेधाज्ञा लगा दी. अब विजय राज पर गोंदिया में कोई ट्रायल नहीं चेलगा. इस मामले पर बात करते हुए विजय राज की वकील सवीना बेदी ने बताया कि 'नागपुर कोर्ट के आदेश के बाद विजय पर गोंदिया में कोई ट्रायल नहीं होगा. उनको अब गोंदिया पुलिस बुला भी नहीं सकती. बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ एफआईआर को खत्म करना है या नहीं इस पर फैसला करेगा.' 

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बता दें कि कोर्ट में वकील सवीना का तर्क था कि ' कथित घटना वाले दिन विजय राज सुबह 6:30 बजे होटल से फिल्म शूटिंग के लिए गए थे। वहीं, सेट पर उस दिन आरोप लगाने वाली असिस्टेंट डायरेक्टर भी मौजूद थीं, लेकिन एफआईआर में लिखा गया कि उसी दिन सुबह 9 बजे विजय राज ने होटल में आरोपी से संपर्क बनाने का प्रयास किया. ये दोनों चीजे एक साथ कैसे संभव हो सकती है। लिहाजा, ये आरोप निराधार, मनगढ़ंत और काल्पनिक है.'
वहीं अपने उपर लगे आरोपों पर चुप्पी तोड़ते हुए विजय राज ने कहा था कि, 'महिला सुरक्षा सबसे बड़ी जिम्मेदारी है. मेरी खुद की एक 21 साल की बेटी है इसलिए मैं इसकी जरूरत को बेहतर तरीके से समझता हूं. मैं हर तरह से तहकीकात में मदद करने के लिए तैयार हूं. हालांकि, बिना किसी जांच के मेरी आने वाली फिल्मों से मुझे निष्कासित कर देना, निकाल देना, चौंकाने वाला है. इसे बताने के लिए मेरे पास शब्द नही हैं. ये रहने के लिए खतरनाक जगह है. इस फिल्म इंडस्ट्री में मैं 23 सालों से काम कर रहा हूं. बहुत मेहनत से मैंने अपना करियर बनाया है. तिनका-तिनका जोड़ के मैंने अपना घर बनाया है. कोई किसी का भी करियर बर्बाद कर सकता है? किसी ने बोल दिया और आपने मान लिया कि मैं एक उत्पीड़क हूं? लोग मजबूर होते हैं कि वे कहानी का दूसरा हिस्सा सुने बगैर ही निर्णय सुना देते हैं. इस केस का निर्णय कुछ भी हो, आप पर एक ठप्पा तो लग ही जाता है. जांच के पहले ही मुझे दोषी करार दे दिया गया है. रोजगार कमाने का मेरा हक बुरी तरह प्रभावित हुआ है. क्या यहां मैं पीड़ित नही हूं? दिल्ली में रह रहे मेरे पिता और मेरी युवा बेटी को भी समाज का सामना करना पड़ता है.'

विजय राज ने आगे कहा था कि, 'इस क्रू के साथ मैं पिछले एक साल से काम कर रहा हूं. हम सेट पर क्रिकेट खेलते हैं. हम साथ में ऐसे रहते हैं. फिर भी जब मुझे बताया गया कि वह असहज थीं, मैंने माफी मांग ली. यह सारी क्रू के सामने हुआ था. मेरी माफी का यह मतलब था कि मैं आपकी भावनाओं को समझता हूं. लेकिन इसका ये मतलब बिलकुल भी नहीं कि मैं पुलिस स्टेशन में आपके लगाए आरोपों को स्वीकार करता हूं. माफी मांगने का यह मतलब यह नहीं कि आप गलत हैं. इसका मतलब यही है कि आप किसी की भावनाओं की कद्र करते हैं. बिना किसी जांच के अगर लोग चीजों के निष्कर्ष पर पहुंच जाएंगे तो मेरी इतने सालों की मेहनत खड्डे में चली जाएगी. यह एक तरफा नहीं होना चाहिए. सच हमेशा रहता है लेकिन नुकसान तो हो चुका है.'

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