पिछले साल 29 अप्रैल को अभिनेता इरफान खान ने हमेशा के लिए इस दुनिया को अलविदा कह दिया था. लेकिन आज भी इस बात पर यकीन कर पाना मुश्किल सा लगता है. मनमौजी, बेबाक और एक खुशमिजाज कलाकार जाते-जाते हर किसी की आंखें नम कर गया. अपनी आंखों में कई ख्वाहिशें रखने वाले इरफान जब पर्दे पर आते थे तो हर एक संवाद का एहसास उनकी आंखों से भी झलकता था. वहीं बहुत कम लोग जानते हैं कि उन्होंने अलविदा नाम की एक फिल्म को डायरेक्ट किया था. इस फिल्म में नवाजुद्दीन सिद्दीकी लीड स्टार थे. वहीं दिवंगत कलाकार को याद करते हुए, नवाजुद्दीन ने खुलासा किया कि उन्होंने इरफान से से क्या सीखा.
'अलविदा' के अपने शूट के दिनों को याद करते हुए नवाज ने एक किस्सा शेयर करते हुए बताया कि, 'जब वह मुझे 2003 के आसपास अलविदा में डायरेक्ट कर रहे थे, तो उन्होंने कम और कुरकुरा डायलॉग्स का इस्तेमाल करने के बारे में एक बहुत अच्छा तरीका बताया था. एक सीन में जहां मुझे एक लड़की को अपनी साइकिल पर आने और बैठने के लिए कहना था, इरफान भाई ने मुझसे कहा कि मैं ’चक्र’ शब्द को छोड़ सकता हूं क्योंकि फिल्में एक ऑडियो-विजुअल माध्यम हैं. उन्होंने मुझे सिखाया 'कम ज्यादा है'. यह एक सिद्धांत है जिसका पालन मैंने भी किया और उनकी इस सलाह ने मुझे और निखारा था.'
नवाज ने आगे कहा, 'वह 10 साल मुझसे सीनियर थे. उनका अभिनय बहुत प्रभावशाली था. उनकी परफोर्मेंस की जितनी तारीफ की जाए कम ही होगी. ऐसे कलाकार कभी कभी ही धरती पर जन्म लेते है.'
इरफान ने अपने लंबे फिल्मी करियर में 'पिता', 'कसूर', 'हासिल', 'मकबूल', 'लाइफ इन अ मेट्रो', 'स्लमडॉग मिलेनियर', 'पान सिंह तोमर', 'लाइफ ऑफ पाई', 'द लंचबॉक्स', 'मदारी', 'हिन्दी मीडियम', 'द नेमसेक' और 'मुंबई मेरी जान' जैसी अनगिनत ऐसी फिल्में दी हैं जिनमें इरफान के अभिनय में कोई कमी नहीं दिखी. वर्ष 2011 में उन्हें भारत सरकार की ओर पद्मश्री पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था. हिन्दी सिनेमा के अलावा इरफान ने अपने अभिनय का परचम हॉलीवुड में खूब फहराया. वह 'जुरासिक वर्ल्ड', 'स्पाइडर मैन' और 'इन्फर्नो' जैसी तमाम हॉलीवुड फिल्मों का हिस्सा रहे हैं. ऐसे में हॉलीवुड की बड़ी-बड़ी हस्तियां भी उनकी मुरीद हो गए थे.
(Source: TOI)