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20 Years of Lagaan: फिल्म को ऑस्कर नहीं मिलने पर बोले आमिर खान और आशुतोष गोवारिकर, कहा- 'अवॉर्ड से ज्यादा हमारे लिए हमारे दर्शकों का खुश होना है जरूरी'

आमिर खान की फिल्म लगान को 20 साल पूरे हो गए हैं. साल 2001 में 15 जून के ही दिन यह फिल्म रिलीज हुई थी और इसे भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी काफी पसंद किया गया था. ऑइकॉनिक फिल्म लगान को आशुतोष गोवारिकर ने डायरेक्ट और आमिर खान ने प्रोड्यूस किया था. आशुतोष गोवारिकर के डायरेक्शन में बनी 'लगान' को फॉरेन लैंग्वेज फिल्म की कैटिगरी में ऑस्कर अवॉर्ड्स में भेजा गया था. पर अफसोस फिल्म को ऑस्कर नही मिल पाया. वहीं फिल्म के 20 साल पूरा होने पर आशुतोष गोवारिकर औ आमिर कान ने फिल्म को ऑस्कर नहीं मिलने पर अपनी राय रखी. 

मीडिया से बात करते हुए आमिर खान ने कहा, 'मुझे नहीं पता कि 'लगान' भी हमेशा वैसे ही पसंद की जाएगी जैसे मुगल-ए-आजम, मदर इंडिया, गंगा जमुमा या शोले को पसंद किया जाता है। मुझे नहीं पता कि आगे भी लोग इसे पसंद करेंगे या नहीं। मेरे लिए लगान एक बेहतरीन सफर था जिसमें मैंने बहुत कुछ सीखा. मेरे अंकल नासिर हुसैन कहते थे- जो बेहतरीन फिल्में बनती हैं वो आप बनाते नहीं हो, वो बन जाती हैं. कोई आपको बोलेगा दोबारा बनाओ, तो आप शायद खुद नहीं बना पाओगे. मुझसे अक्सर पूछा जाता है कि ऑस्कर नहीं जीतने पर आप कितने निराश हुए थे? जाहिर तौर पर मैं निराथ था और जीतना चाहता था. कुछ लोगों ने कहा कि हो सकता है कि गानों और फिल्म की लंबाई के कारण यह ऑस्कर नहीं जीती? सच्चाई तो यह है कि फिल्म टॉप 5 नॉमिनेशंस में शामिल थी और अकैडेमी मेंबर्स को पसंद आई थी. आप फिल्मों की आपस में तुलना नहीं कर सकते. आप लगान की तुलना दंगल से नहीं कर सकते. शायद जूरी को दूसरी फिल्म ज्यादा पसंद आई हो. ऑस्कर के कारण फिल्म को दुनियाभर में पहचान मिली और जिन लोगों ने लगान नहीं देखी थी उन्होंने भी देखी और लोगों को पसंद आई. और अवॉर्ड्स से ज्यादा फिल्म को ऑडियन्स ने पसंद किया हमारे लिए ये बहुत बड़ी बात है.'

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वहीं इस पर आशुतोष गोवारिकर ने पीपिंगमून से बात करते हुए कहा कि, 'जब हमे पता चला की फिल्म ने ऑस्कर नॉमिनेशन में जगह बनाई ये हमारे लिए ही नहीं पूरे देश के लिए प्राउड मोमेंट था. हम बहुत रोमांचित थे कि हम टॉप 5 में थे, लेकिन जब हम जीत नहीं पाए तो बहुत बड़ी निराशा हुई थी. मुझे सच में लगता है कि हमारी फिल्म उस समय जीतने की हकदार थी, सिर्फ इसलिए कि यह विभिन्न शैलियों का एक अजीब संयोजन था. ऐसी फिल्म कम ही देखने को मिलती है. मैं एक अकादमी के नजिए से बात कर रहा हूँ. यह एक पीरियड ड्रामा है, इसमें खेल हैं, इसमें हक की लड़ाई है. इसमें ऐसे विषय हैं जो अंतर्राष्ट्रीय हैं और साथ ही, यह गाने और डांस के बारे में भी है. अब, यह एक दुर्लभ संयोजन है. इसलिए, मैं बहुत निराश था कि यह जीत नहीं पाई. लेकिन हां मैं खुश हूं कि हिन्दी फिल्मों को अंतरराष्ट्रीय मंच पर एक तरह की लाइमलाइट मिली.'

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