मोदी सरकार ने शुक्रवार को सिनेमैटोग्राफ (संशोधन) बिल 2021 के मसौदे पर सार्वजनिक टिप्पणियों की मांग की, जो दर्शकों की शिकायतों की प्राप्ति के बाद केंद्र सरकार को पहले से सर्टिफाइड फिल्म के फिर से रीसर्टिफिकेशन का आदेश देने की शक्ति के साथ पेश करती है -एक ऐसा कदम जो सेंट्रल बोर्ड फॉर फिल्म सर्टिफिकेशन (सीबीएफसी) द्वारा संचालित मौजूदा प्रक्रिया में एक और परत जोड़ती है.
जबकि मंत्रालय का कहना है कि ओरिजिनल सिनेमैटोग्राफ अधिनियम ने केंद्र सरकार को अधिकार दिया है, "यदि स्थिति इतनी जरूरी है ... किसी खास फिल्म को प्रमाणित करने में सीबीएफसी के फैसले को बदलने के लिए". सुप्रीम कोर्ट का यह विचार कि बोर्ड द्वारा एक फिल्म को प्रमाणित करने के बाद सरकार को सेंसरशिप की मांग करने का कोई अधिकार नहीं है, ने केंद्र को शक्तिहीन बना दिया है.
(यह भी पढ़ें: एडवांस सेंसर टेक्नोलॉजी की मदद से अक्षय कुमार ने की मुंबई पुलिस की सहायता, 1000 सेंसर रिस्ट बैंड किए दान)
अपने नोट में, मंत्रालय ने कहा कि "कभी-कभी एक फिल्म के खिलाफ शिकायतें प्राप्त होती हैं जो सिनेमैटोग्राफ अधिनियम, 1952 की धारा 5 बी (1) के उल्लंघन का संकेत देती हैं, जब एक फिल्म प्रमाणित हो जाती है," और सरकार उन पर कार्रवाई करने में सक्षम नहीं है. क्योंकि अदालतों ने कहा है कि सीबीएफसी द्वारा फिल्म को प्रमाणित करने के बाद उसके पास कोई शक्ति नहीं है.
अगर सभी चीजे सही से रही तो, संशोधित बिल को आखिर में संसद की मंजूरी मिल जाएगी. इस तरह से नए कानून से केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) के कुछ नियमों में संशोधन हो जाएगा. इसके अलावा फिल्म सर्टिफिकेशन में एक बदलाव किया जाएगा, जिसके तहत अब उम्र के हिसाब से U/A 7+, U/A 13+ और U/A 16+ यानी तीन तरह के होंगे. फिलहाल की बात करें तो, फिल्म सर्टिफिकेशन U, A और U/A के तहत दिया जाता है.
वहीं, सूचना और प्रसारण मंत्रालय (MIB) ने आम जनता से 2 जुलाई तक मसौदा विधेयक पर अपनी टिप्पणी भेजने को कहा है.
सिनेमैटोग्राफ अधिनियम, 1952 के तहत सर्टिफिकेशन के मुद्दों की जांच के लिए 2013 में न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) मुकुल मुद्गल की अध्यक्षता में एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया था.
सिनेमैटोग्राफ अधिनियम और नियमों के दायरे में सर्टिफिकेशन के लिए व्यापक दिशानिर्देश विकसित करने के लिए 2016 में श्याम बेनेगल की अध्यक्षता में विशेषज्ञों की एक और समिति का गठन किया गया था.
मंत्रालय ने कहा कि दोनों समितियों द्वारा की गई सिफारिशों की मंत्रालय में जांच की गई है और विभिन्न हितधारकों के परामर्श से अधिनियम की आंतरिक समीक्षा के माध्यम से सभी प्रासंगिक मुद्दों पर विचार करने का प्रयास किया गया है.
(Source: The Wire)