बॉलीवुड एक्टर्स को अपने इशारों पर नचाने वाली मशहूर कोरियोग्राफर सरोज खान इसी साल 3 जुलाई को दुनिया छोड़कर चली गईं. वहीं सरोज खान की पहली डेथ एनिवर्सरी पर टी सीरीज ने कोरियोग्राफर के संघर्ष और सफलता की कहानी को दिखाने का ऐलान किया है. टी-सीरीज़ को दिग्गज कोरियोग्राफर सरोज खान की बायोपिक को बनाने के राइट्स मिल गए है. सरोज ने अपना लगभग 50 सालों के करियर में हर बड़े कलाकार को डांस सिखाया. सरोज खान का जन्म 22 नवंबर 1948 को मुंबई में हुआ था. कम ही लोगों को पता है कि उनका असली नाम निर्मला नागपाल था. उनके पिता का नाम किशनचंद सद्धू सिंह और मां का नाम नोनी सद्धू सिंह था. विभाजन के बाद सरोज खान का परिवार पाकिस्तान से भारत आ गया था. मात्र तीन साल की उम्र में सरोज ने बतौर बालकार फिल्मों में काम करना शुरू कर दिया था.
इडस्ट्री में उन्हें सब मास्टर जी कहकर पुकारते थे. बॉलीवुड में अपनी जगह बनाने के लिए उन्हें बहुत संघर्ष का सामना करना पड़ा. उन्होंने अपने करियर में अब तक कुल 2000 गानों को कोरियोग्राफ किया था. हालांकि, उन्होंने इंडस्ट्री में अपने करियर की शुरुआत तीन साल की उम्र में एक चाइल्ड आर्टिस्ट के रूप, लेकिन उन्हें अपनी असली पहचान श्रीदेवी की 'मिस्टर इंडिया' के गाने 'हवा हवाई' से मिली. इसके अलावा उन्होंने माधुरी दीक्षित, ऐश्वर्या राय बच्चन और अन्य लीड एक्ट्रेसेस को सिल्वर स्क्रीन पर चार्टबस्टर्स देना का रास्ता अपनी कोरियोग्राफी से बताया. बतौर इंडिपेंडेंट कोरियोग्राफर अपने चार दशकों के करियर में, उन्हें डोला रे डोला (देवदास), ये इश्क हाय (जब वी मेट) और तमिल फिल्म श्रृंगारम के सभी गानों को कोरियोग्राफ करने के लिए नेशनल अवॉर्ड्स से सम्मानित किया गया था. इतना ही नहीं उन्हें 'लगान: वन्स अपॉन ए टाइम इन इंडिया' के लिए अमेरिकन कोरियोग्राफी अवॉर्ड से भी नवाजा गया था. उनका आखिरी गाना 2019 में 'कलंक' का तबाह हो गए था, जिसे उन्होंने अपनी पसंदीदा स्टूडेंट माधुरी दीक्षित के साथ किया था.
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सरोज खान की बायोपिक पर भूषण कुमार कहते हैं, 'सरोजजी ने न केवल अपने डांस मूव्स से कलाकारों के साथ दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया, बल्कि उन्होंने हिंदी सिनेमा में कोरियोग्राफी के मायने ही बदल दिए थे. वह दर्शकों को सिनेमाघरों में ले आई जिन्होंने अपने पसंदीदा अभिनेताओं को उनके कदमों पर नाचते देखा. 3 साल की छोटी सी उम्र में शुरू हुआ सरोज जी का सफर काफी उतार-चढ़ावों से भरा रहा और इंडस्ट्री से उन्हें जो सफलता और सम्मान मिला, उसे जीवंत करना होगा. मुझे याद है कि मैं अपने पिता के साथ फिल्म के सेट पर जाता था और उन्हें उनकी कोरियोग्राफी से गानों में जान डालता था। कला के प्रति उनका समर्पण प्रशंसनीय था. मुझे खुशी है कि सुकैना और राजू हमें उनकी मां की बायोपिक बनाने के लिए राजी हुए.'
राजू खान, जो खुद एक कोरियोग्राफर हैं, कहते हैं, 'मेरी माँ को डांस करना बहुत पसंद था और हम सभी ने देखा कि कैसे उन्होंने अपना जीवन डांस के लिए समर्पित कर दिया. मुझे खुशी है कि मैं उनके नक्शेकदम पर चला. मेरी मां को इंडस्ट्री ने प्यार और सम्मान दिया और यह हमारे, उनके परिवार के लिए सम्मान की बात है कि दुनिया उनकी कहानी देख सकती है. मुझे खुशी है कि भूषणजी ने खूबसूरत सरोज खान पर एक बायोपिक बनाने का फैसला किया है.'
वहीं सुकैना खान कहती हैं, "मेरी मां को पूरी इंडस्ट्री ने प्यार और सम्मान दिया था, लेकिन हमने उनके संघर्ष और लड़ाई को करीब से देखा है कि वह कौन थीं. हमें उम्मीद है कि इस बायोपिक के साथ, भूषण जी अपनी कहानी, हमारे लिए उनके प्यार, डांस के प्रति उनके जुनून और अपने कलाकार के प्रति उनके प्यार और इस बायोपिक के साथ पेशे के प्रति सम्मान बताने में सक्षम होंगे.'