महिमा मकवाना छोटे पर्दे की उम्दा अदाकारा है. उन्होंने कई हिट सीरियल्स में काम किया है. एक्ट्रेस ने कलर्स के शो 'बालिका वधु' में गौरी के किरदार के साथ अपने करियर की शुरुआत की. सीरियल 'सपने सुहाने लड़कपन के' बड़ा शो था. इसके बाद वह कलर्स के शो शुभारंभ' में नजर आयी थी. हाल ही में पीपिंगमून के साथ एक्सक्लूसिव बातचीत में महिमा ने अपने करियर की शुरुआत, लेटेस्ट फोटोशूट, सपने सुहाने लड़कपन में रचना का रोल मिलने जैसे विषयों पर बात की.
करियर के बारे में बात करते हुए महिमा ने कहा कि मैंने उस समय अपने करियर की शुरुआत की जब मैं 9 साल की थी. इन सब चीजों की शुरुआत ऑडिशन देने से हुई थी मैं स्कूल स्टडी और एक्टिंग को बैलेंस कर रही थी. एक्टिंग मेरे लिए एक सुपर कॉन्शियस डिसीजन था कि मैं यह करना चाहती हूं, लेकिन कहीं न कहीं मैं इसके लिए इच्छुक थी, वही चीज आगे जाकर इंट्रेस्ट बन गयी और अब यह पैशन बन गया है. अब यह एक ऐसी चीज है जो मैं अपनी पूरी जिंदगी करना चाहती हूं, जो मुझे बहुत खुशी देती है. इस प्रोफेशन का हिस्सा बनना इतना आसान नहीं है. बतौर मेन लीड मुझे मेरा पहला शो तब मिला जब मैं सिर्फ 13 साल की थी. शुरुआत में मुझे टेक्निकेलिटी के बारे में कुछ नहीं पता था, मुझे तो यह भी नहीं पता था कि एक्टिंग कैसे करनी है. मैं कहूंगी कि मैंने अपना क्राफ्ट और अपना प्रोफेशन अपने सेट पर ही सीखा है. मैंने बहुत पहले ही सीखना शुरू कर दिया था जैसे कि जब कोई चीज आप सीख जाते हैं तो वह हमेशा के लिए आपके साथ रहती हैं.
इंटरव्यू-
- जब आपको पहला प्रोजेक्ट मिला उस समय आप बहुत छोटी थी, परिवार में किसी ने कहा नहीं कि इससे आपकी पढ़ाई पर असर होगा ?
जवाब: चूंकि पढ़ाई पर भी मेरा ध्यान था. मैं जानती हूं कि यह बहुत ही मुश्किल चीज है. उस समय जब मैं टीनएजर का किरदार निभा रही थी, हम 14 से 15 घंटे काम करते थे. कभी-कभी हमारी दो शिफ्ट होती थी. इन सब के बाद स्कूल और एग्जाम को बैलेंस करना यह हर किसी के बस की बात नहीं है. मुझे पता था कि मुझे यह करना है लेकिन मैंने पढ़ाई नहीं छोड़ी. बहुत सारे ऐसे लोग भी थे तुम मुझे एनकरेज करते थे कि अब मेरे पास अपना प्रोफेशन है तो पढ़ाई क्यों करना. मैं इस बात का ध्यान रखती थी कि मैं दोनों चीजों को बैलेंस कर सकूं.
- सपने सुहाने लड़कपन में रचना का रोल कैसे मिला था ?
जवाब: मैंने बहुत सारे ऑडिशंस दिए थे. इनफैक्ट मुझे तो याद भी नहीं है कि मैंने सपने सुहाने के पहले कितने ऑडिशंस दिए होंगे क्योंकि उससे पहले मैंने काफी सारे सपोर्टिंग रोल्स किए थे. जब आप किसी शो में लीड कैरेक्टर करते हैं तो बहुत मुश्किल होता है, बहुत बड़ी रिस्पॉन्सिबिलिटी होती है. पूरा शो आपके कंधे पर होता है. यह खुद पर पूरी जिम्मेदारी लेने जैसा होता है. वह मेरे लिए बहुत मुश्किल था और वह भी ऐसी उम्र में जहां पर मुझे पढ़ाई भी करनी है, स्कूल भी जाना है, अपनी एकेडमिक्स भी रखनी है. मैं ध्यान रखती थी कि मैं अपनी पढ़ाई के साथ कोई कोम्प्रोमाईज़ ना करूं क्योंकि जो आप पढ़ते हैं जो नॉलेज आप लेते हैं वह आपका फाउंडेशन तैयार करता है. अगर इस प्रोफेशन में आपके पास पैशन नहीं है तो मुझे नहीं लगता कि कोई यहां पर ज़्यादा समय तक टिक सकता है, क्योंकि आख़िर में कॉम्पिटिशन बहुत ज्यादा है. कम उम्र में सब कुछ मैनेज करना मेरे लिए बहुत चैलेंजिंग था लेकिन मैं कहूंगी कि मैंने किया है.
- किसी भी तरह का ट्रांफॉर्मशन आसान नहीं होता, इसमें बहुत मेहनत और डेडिकेशन की जरुरत होती है, क्या कहना चाहती है इसपर ?
जवाब: मैं आपको कुछ बताना चाहती हूं, जब एक एक्टर को कोई नरेशन दिया जाता है, सबसे इंपॉर्टेंट होता है कि वह एक्टर उस कैरेक्टर में खुद को विजुलाइज करें, यह एक इंपॉर्टेंट रीज़न था मेरे लिए. पोर्टफोलियो एक एक्टर के लिए इंपॉर्टेंट तो होते ही हैं, लोगों का परसेप्शन चेंज करने के लिए और परसेप्शन बिल्ड करने के लिए कि मैं सिर्फ ऐसे ही नहीं लग सकती हूं, मेरे कुछ और भी लेयर्स हैं. आज कल एक्टर्स हर तरह का काम कर रहे हैं फिर चाहे वह टीवी हो, फिल्म हो, थिएटर हो या फिर वेब सीरीज हो. यह फोटोशूट करवाने का मेरा सबसे बड़ा रीजन यही था कि मैं अपनी इमेज को बिल्ड करना चाहती थी कि मेरे और भी बहुत सारे लेयर्स हैं. फोटोशूट इस चीज में भी मदद करते हैं ताकि आपको देखने का ऑडियंस का नजरिया भी बदल सके. फोटोशूट करते वक्त मैंने एक चीज ध्यान में रखी थी कि जो मेरी सिंपलीसिटी है और ऑथेंटिसिटी है वह मैं ना भूलूं . जिन लोगों ने मेरी जर्नी की सराहना की है और जो मेरी जर्नी का हिस्सा रहे हैं, मैं ऑडियंस की बात कर रही हूं वह मेरे साथ है क्योंकि इन बीतें सालों में वह सिंपलीसिटी और ऑथेंटिसिटी मैंने अपने में रखी है. हां मैंने अपने आपको ट्रांसफॉर्म किया है अगर मैं प्रिपरेशन की बात करूं तो फोटोशूट के पहले मैंने खुद को मेंटली ट्रांसफार्म करना चाहा. मैं खूब वर्कआउट कर रही थी. मैंने मार्शल आर्ट सीखना शुरू किया था लेकिन उसके बाद लॉक डाउन हो गया तो मैं ज्यादा सीख नहीं पाई. मैंने रीडिंग करना शुरू किया, मैंने स्क्रिप्ट पढ़ने शुरूकी थी. ये जो छोटी-छोटी चीजें होती है ये आपको ट्रांसफार्म करने में हेल्प करती हैं. आपको समझ नहीं आता है कि ये जो छोटी-छोटी चीजें आप कर रहे हैं ये आपको आपके गोल तक पहुंचाने में मदद कर रही हैं.
-क्या कोई ट्रिगर मोमेंट था जब आपको लगा कि अब स्वीट और इनोसेंट बहु की इमेज चेंज करनी है ?
जवाब- मैं यह नहीं कहूंगी कि कोई ट्रिगर मोमेंट था या मुझे पसंद नहीं है कि लोग मुझे जिस तरह से देखते हैं लेकिन मुझे लगता है कि जीवन में आपको आगे बढ़ते रहना चाहिए. चाहे कोई भी प्रोफेशन हो आपको हमेशा बदलते रहना चाहिए. अगर आप मुझे सेम चीजें करते हुए देखेंगे तो आप बोर हो जाओगे और आपसे ज्यादा मैं बोर हो जाऊंगी. मुझे स्टेगनेंट रहना पसंद नहीं है. मैंने ऐसे लुक के बारे में रिसर्च किया जो मुझपर सूट करें, जो अनटैप्ड हो जिस तरीके से मैं पहले कभी लगी नहीं. क्योंकि फोटोशूट एक तरह से आपका परसेप्शन बदल देते हैं, लोगों का नजरिया बदल देते हैं. अगर मैं कहूं तो यह फिजिकल ट्रांसफॉरमेशन से ज्यादा यह डीप रूटेड ट्रांसफॉरमेशन था, इसलिए फोटोशूट करवाने से पहले मैंने इन सब बातों का ध्यान रखा.
- आपने पेंडेमिक में अपने क्राफ्ट और वर्कआउट पर कितना काम किया है. क्या इसने आपको ग्रूम करने में बहुत मदद की ?
जवाब: मेरे लिए यह एक ब्लेसिंग था लेकिन पेंडेमिक को ध्यान में रखते हुए मैं यह भी नहीं भूल सकती कि बहुत सारे ऐसे भी लोग हैं जिन्होंने अपना जीवन को दिया है और बहुत ही मुश्किल समय से गुजर रहे हैं. तो ऐसे समय में खुद को मेंटली स्टेबल रखना या ठीक रखना बहुत ही मुश्किल है. मैं कहना चाहूंगी कि अगर आप कुछ नहीं कर रहे हो तो भी ठीक है. अगर मैं इस पांडेमिक की बात करूं तो मैं हर दिन वर्कआउट करने की कोशिश करती हूं. मैंने मेडिटेट करना शुरू किया है. मैं हमेशा से चाहती थी कि बुक पढूं लेकिन किताबें पढ़ना कभी मेरा कप ऑफ टी रहा ही नहीं लेकिन मैं ये सब कर रही हूं तो अगर आप दिन में एक घंटा भी अपने लिए देते हैं तो भी बहुत है.