कोरोना की वजह से फिल्म इंडस्ट्री मुश्किलों के दौर से गुजर रही है. जहां पहले 'सूर्यवंशी' जैसी बड़ी रिलीज को टालना पड़ा वहीं 31 मार्च तक देश में लॉकडाउन और कई इलाकों में कर्फ्यू लगने से अब 31 मार्च या उसके आगे आने वाले हफ्ते भी फिल्मों की रिलीज को तरसेंगे. किसी को नहीं अंदाजा कि ये बंद कब खत्म होगा क्योंकि कोरोना का कोहराम बढ़ता ही जा रहा है. इन सबके बीच ट्रेड एक्सपर्ट्स मानते हैं कि कोई भी फेस्टिव डेट अब किसी एक की नहीं रही। न तो ईद, न दीवाली न ही इंडिपेंडेंस डे या फिर क्रिसमस. मगर इतना जरूर है कि सबसे बेस्ट फ्राइडे होगा वो शुक्रवार जब कोराना थमेगा और पहली बार स्क्रीन्स लोगों को लिए खुलेंगी.
ट्रेड एनालिस्ट तरण आदर्श ने पीपिंगमून से एक्सक्लुसिव बातचीत में कहा कि फिल्मों का डोमेस्टिक मार्केट तो धराशायी हो ही चुका है , ओवरसीज से भी खबरें अच्छी नहीं हैं क्योंकि भारतीय फिल्में भारत से बाहर भी रिलीज होती हैं और दुनियाभर के बड़े देशों का क्या हाल है वो किसी से छिपा नहीं है. Covid-19 अमेरिका, कनाडा, यूरोप और मिडिल ईस्ट हर तरफ फैल चुका है और ये सभी बॉलीवुड के लिए हमेशा से बड़े बाजार रहे हैं.
ट्रेड एक्सपर्ट जोगिंदर टूटेजा कहते हैं कि ''जैसे ही भारत सिनेमाहॉल्स को खोलने का फैसला करेगा उसके बाद फिल्मकारों में होड़ होगी अपनी फिल्मों को सबसे पहले रिलीज करने की क्योंकि एक एक दिन के साथ उनका नुकसान बड़ा होता जा रहा है. सूर्यवंशी जो 125 करोड़ के बजट में बनी है मार्च या अप्रैल की रिलीज का राह देख रही है.''
वहीं फिल्म क्रिटिक सैबल चटर्जी का कहना है कि ''जिस तरह फिल्मों की रिलीज टली है उसे देखते हुए रिलीज कैलेंडर बहुत बुरी हालत में पहुंच गया है जिसे संभालना आसान नहीं होगी.''
मार्च में रिलीज होने को तैयार थी अक्षय कुमार की 'सूर्यवंशी' और उसके बाद अप्रैल में रणवीर सिंह स्टारर '83' लेकिन ये हो न सका और अब कूली नंबर-1, लक्ष्मी बॉम्ब, राधे जैसी बिग बजट बड़े स्टार वाली फिल्में कब रिलीज होंगी कहना मुश्किल है. अतुल मोहन जो कि ट्रेड मैगजीन कंप्लीट सिनेमा के संपादक हैं उनका कहना है कि ''फिल्म बिजनेस से जुड़े लोगों को अब सबकुछ बिलकुल शुरुआत से करना पड़ेगा. उन्हें 15-20 दिनों की जरूरत होगी ताकि हालात सामान्य होने के बाद वो अपनी फिल्मों तक दर्शकों को खींच पाएं क्योंकि लोग उस वक्त भी थोड़े डरे होंगे और शायद तुरंत भीड़भाड़ वाली जगहों पर जाने.''
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सैबल चटर्जी इसमें आगे बात बढ़ाते हुए कहते हैं कि ''इस बात से हम इंकार नही कर सकते कि कोई भी बड़े बैनर की फिल्म तब तक रिलीज का जोखिम नहीं लेगी जबतक वाकई हालात सही नहीं हो जाते.''
वहीं नई फिल्मों अलावा अगर इरफान खान की अंग्रेजी मीडियम को देखें जिसने कोरोना का सबसे ज्यादा नुकसान झेला क्योंकि रिलीज के अगले दिन से ही सिनेमाहॉल्स बंद होने का सिलसिला शुरु हो गया था. ऐसे में फिल्म के रि-रिलीज होने की अटकलों पर बात करते हुए ट्रेड एक्सपर्ट तरण आदर्श कहते हैं कि '' किसी फिल्म की रि-रिलीज से कितना फर्क पड़ेगा ये कहना जल्दबाजी होगी, क्योंकि थियेटर जाने की आदत लोगों को दुबारा लगे इसमें समय तो लगने वाला है क्योंकि लोग डरे हुए हैं.फिलहाल के लिए मनोरंजन लोगों के दिमाग में कहीं नहीं है.''
वहीं जोगिंदर टूटेजा कहते हैं कि '' री-रिलीज टोटल बिजनेस का सिर्फ 50 प्रतिशत फायदा पहुंचाएगी, बागी -3 और अंग्रेजी मीडियम अगर रि-रिलीज होती हैं तो उन्हें प्रमोशन की जरूरत नहीं होगी लेकिन इन फिल्मों को थियेटर में देखने की दिलचस्पी जो शुरु में थी वो नहीं रहेगी.''
इन सबके बीच बड़े स्पोर्टिंग इवेंट जैसे आईपीएल और ओलंपिक खेलों के होने से भी फिल्म कारोबार पर असर पड़ेगा. बॉलीवुड बफ इस बात से भी इंकार नहीं करते कि क्या वाकई ईद, दीवाली या इंडिपेंड्स डे पर 2020 में फिल्में रिलीज हो पाएंगी या नहीं। सैबल कहते हैं, ''इस बात में अनिश्चितता है कि अप्रैल या मई तक भी हालात सुधर जाएं.ये बद से बदतर भी हो सकता है.इसलिए जो फिल्में साल के पहले हाफ में रिलीज होने की राह देख रही हैं उन्हें सबसे ज्यादा परेशानी होगी.
जोगिंदर कहते हैं कि "साल 2019 जबरदस्त था, पहले क्वार्टर में ही फिल्मों ने 1100 करोड़ का कारोबार कर लिया था. इस साल सिर्फ 750 करोड़ का कारोबार हुआ है.दूसरी तिमाही जीरो ही रहेगी क्योंकि फिल्में रिलीज नहीं हो रहीं. अगले 6 महीनों में हम रिकवरी की हालत में नहीं होंगे. अब उम्मीद 2021 से ही करनी होगी.''