देश में फैल कोरोना वायरस के डर के बीच बिहार के ढाका के रहने कौशल किशोर के गीत 'मुस्कुराएगा इंडिया' पर बॉलीवुड एकजुट हो गया है. हौसला देते इस गाने का वीडियो खुद पीएम नरेंद्र मोदी ने अपने टि्वटर अकाउंट पर शेयर किया. पीएम ने माइक्रो ब्लॉगिंग साइट पर लिखा है, 'फिर मुस्कुराएगा इंडिया...फिर जीत जाएगा इंडिया... भारत लड़ेगा, भारत जीतेगा, फिल्म जगत की हस्तियों की शानदार पहल.'
लेखक कौशल किशोर के गीत को अक्षय कुमार, विकी कौशल, आयुष्मान खुराना, शिखर धवन, कार्तिक आर्यन, सिद्धार्थ मल्होत्रा, कियारा आडवाणी, भूमि पेडनेकर, तापसी पन्नू, राजकुमार राव, टाइगर श्रॉफ और कृति सैनन जैसे सितारे गुनगुनात नजर आ रहे हैं. 'फिर मुस्कुराएगा इंडिया' गीत को प्रोड्यूस अक्षय कुमार और जैकी भगनानी ने किया है. जबकि आवाज और म्यूजिक कंपोजिंग विशाल मिश्रा की है. पीपिंग मून ने लेखक और लिरिसिस्ट कौशल किशोर से एक्सक्लूसिव बातचीत की है.
रिपोर्टर- आप बिहार के ढाका से हैं. 17 साल की उम्र में मुंबई आए. घर में पहला कैसा रिएक्शन था जब आपने बोला की मुंबई जाना हैं, राइटर बनना हैं ?
कौशल- मेरे घर में ऐसी कोई दिक्कत नहीं हुई थी, क्योंकि पापा मेरे खुद राइटर थे और पापा को कभी इस तरह से मौका मिला नहीं अपने हुनर को दिखाने का, उनको कहीं ना कहीं था कि मेरा बेटा मेरा ड्रीम पूरा करेगा. पापा बोलते नहीं थे लेकिन मैंने हमेशा उनकी आखों में देखा है कि वो अपना सपना मेरे में जीते है, तो उन्होंने मुझे कभी रोका नहीं बहुत सपोर्ट किया मुझे. हद से ज्यादा सपोर्ट किया मुझे और उन्होने कभी ये भी नहीं बोला की पहले अपनी पढ़ाई पूरी करो या ये कर लो वो कर लो. बल्कि उन्होने कहा कि तुम्हें जो करना है करो ये दुनिया तुम्हारी है आसमां तुम्हारा है. ट्राई करो जो तुम्हे करना हैं मैं तुम्हारे साथ खड़ा हूं. जब तुम्हे लगे नहीं हो रहा है. मेरे पास आ जाना मैं सम्भाल लूगा तुम्हे. तो मैं बहुत ब्लेस्ड रहा हूं इस मामले में.
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रिपोर्टर- आपको पहला ब्रेक मलयालम फिल्म 'गांधार' से मिला था लेकिन आपको पहचान फिल्म 'नोटबुक' के गाने 'बुमरो-बुमरो' से मिली थी और अब 'फिर मुस्कुराएगा इंडिया'. अपनी जर्नी के बारे में बताएं ?
कौशल- 'गांधार' फिल्म में अमिताभ बच्चन जी और मोहनलाल जी थे. मोहनलाल जी के प्रोडक्शन हाउस की फिल्म थी और मोहन लाल जी ने ही मुझे ब्रेक दिया था और बहुत कम उम्र का था उस समय मैं. उनको भरोसा था मुझपर. मोहन लाल जी को मेरी राइटिंग पसंद आई थी. मैंने कुछ मेल वगैरह किए थे उनको, तो उन्होने मुझे मौका दिया. फिर मोहन लाल जी ने समीर चढ्डा जो म्यूजिक डारेक्टर है उनको बोला की इस लड़के से ट्राई करवाओं कुछ लिखवाओं . ये अच्छा लिख सकता हैं. हुनर हैं इसमें. तो मैंने लिखा सबको बहुत पसंद आया. ब्रेक मिला मुझे साल 2010 में कैलाश खैर ने गाया था वो गाना. फिर साल 2011 में एक फिल्म आई थी 'बबल गम' छोटी सी फिल्म थी पर बड़ी प्यारी फिल्म थी और लोगों ने बहुत पसंद किया था फिल्म को. उसके बाद मैंने र भी 2 3 फिल्में की. फिर एक मैंने एक सीरीयल लिखा 'भारत की शान' डीडी नेशनल पर आता था. मैं काम कर रहा था पर कही ना कही लग रहा था की ये मेरा बेस्ट नहीं है. मुझे अभी और पढ़ना चाहिए मैं तो सीधे आ गया हूं. अभी किताबें भी बहुत सारी नहीं पढ़ी हैं . फिर मैंने एक ब्रेक लिया. ब्रेक लेने के बाद मैं किताबें पढ़ने लगा. फिर में जम्मू-कश्मीर से लेकर कन्या कुमारी तक मुझे लगता है भारत में बहुत कम ऐसी जगह होगी जो मैंने नहीं धूमी है. मतलब मैंने ट्रेवल शुरू किया और आप इत्तेफाक देखिये मुझे जब भी फिल्म 'नोटबुक' का गाना मिलता है उसका नाम होता है 'सफर' तो मैंने इस पर लिखा 'सफर में हूं पर खोया नहीं तो सबकुछ रिलेट करती हैं चीजें. और बीच में मैंने बहुत सारी फिल्में की है, जिसमें एक फिल्म थी 'इश्क कभी करियो ना' जिसमें अरिजीत सिंह ने गाने गाएं हैं. जीत गांगुली और राघव सच्चर का म्यूजिक था. बहुत अच्छा हुआ था वो पर रिलीड नहीं हो पाई फिल्म. बहुत सी फिल्में है ऐसी जो मैंने की है पर रिलीज नहीं हो पाई है. लेकिन 'नोटबुक' मेरे लिए टर्निंग पाइंट था. विशाल मित्रा जी मेरे बहुत पुराने दोस्त हैं. साल 2013 से हम साथ काम कर रहे थे. उन्होने मुझे बुलाया और बोला कौशल भाई आप ये गाना लिखो और ये गाना आपका गाना है. विशाल भाई का जो भरोसा मुझ पर था. उस भरोसे से में और ज्यादा मजबूत हुआ हूं. डारेक्टर नितिन कक्कड़ ने भी कहा कि कौशल आप लिखो, यकीन हैं आप लिख लोगे. फिर मैंने सफर लिखा क्योकिं मैं सफर में बहुत रहा हूं लाइफ में. वो गाना जब आप सुनेंगे कश्मीरी पंडित जब वापस अपने घर कश्मीर जाता हैं ....वो बचपन में अपने घर से बाहर आया था...तो वो कहता है कि...'ये कैसा सफर है जो यूं डूबा रहा, जाता हूं कहीं या लौट के आ रहा' क्योंकि उसको लगता हैं वो कहीं जा रहा है पर जब वो अपने गांव पहुंचता है तो उसको समझ आता है...कि वो कहीं जा नहीं रहा है...अपने घर लौटा हैं. यह बहुत ही अच्छा वर्डप्ले था. वहां पर ये कि की ''यह चेहरे ये आंखें यह यादें पुरानी मुझे पूछती है नदिया का पानी यह बहता है कहता है कि मैं सफर में हूं पर कहीं खोया नहीं तू'' नदी का पानी जिस तरह से हिमालय से निकलता है और फिर एक दिन समंदर तक पहुंचता है और फिर जर्नी तय करके वह हिमालय तक पहुंचता हैं तो मेरे हर गाने में एक उम्मीद हमेशा रहती हैतो मेरे हर गाने में एक हो हमेशा रहती है यहां तक कि बुमरो बुमरो में मैंने कहा कि ''तितली से रंग तू ला, दुनिया पे रंग लौटा दे, फुलो से खुशबू ला, और गगन गगन मेहका दे, दुनिया पे रंग लौटा दे, फुलो से खुशबू ला, और गगन गगन मेहका दे, तू घूम घूम, तू झूम झूम, तो झुमे गाये अंबर, तू जान जान ले, थान थान ले, बदलेगा हर मंझर, आंखो को अपनी तार बनाके'' तो मेरा बच्चों से यहीं कहना चाहा है कि कश्मीर की स्थिति तभी बदलेगी जब आप लोग चाहेंगे. जब तक चाहेंगे मंजिल अपने आप मिल जाएगी. यहां तक कि बीच में मैंने एक सीरियल किया था जिसका नाम था 'सफर मंजिलों का' एक्टर मनोज बाजपाई उसमें एंकर थे और उसमें शंकर महादेवन ने 13 गाने गाए थे. ये प्रोग्राम सफाई के ऊपर था, तो मुझे कभी भी मौका मिला है कि मैं समाज पर कुछ इफेक्ट डाल सकूं मैंने कभी मौका नहीं छोड़ा है. एक सीरियल था 'चलो साफ करें'...इस सीरियल के डायलॉग्स मैंने लिखे थे यह सीरियल भी सफाई पर था. वैसे मैं ज्यादा सीरियल नहीं लिखता हूं क्योंकि मुझे लगता है कि सीरियल लिखने में बहुत ज्यादा वक्त चला जाता है पैसा तो मिलता है पर वक्त चला जाता है, क्रिएटिविटी उस लेवल की नहीं होती है, लेकिन जब मुझे लगता है यह सामाजिक मुद्दा है तो मैं फिर करने से पीछे नहीं हटता हूं. फिर अब मुझे यह जो गाना मिला है 'फिर मुस्कुराएगा इंडिया' मुझे लगता है यह जो मैं इतने दिन से कर रहा हूं यह इसका फल है. लोग इस गाने को इतना प्यार दे रहे हैं पसंद कर रहे हैं मेरे लिए बहुत गर्व की बात है कि मैंने देश के लिए कुछ लिखा है. मैं देश के लिए काम आया हूं. यह मेरे लिए सबसे बड़ी बात है. यह गाना देश के हर इंसान के मुंह पर नहीं तो कानों में जरूर हैं. यह गाना हर जगह हर लोगों को पसंद आ रहा है. मुझे बहुत खुशी हो रही है इस बात की देश के लिए लिखने का मौका हमेशा नहीं मिलता है
रिपोर्टर- लॉकडाउन में इस गाने की प्लानिंग कैसे की ?
कौशल- इस समय हम सब इमोशनल हो रखे हैं. देश में ऐसा समय चल रहा है कि हर कोई भावुक है. जब शुरू शुरू में लॉगडाउन की स्थिति आई थी तब मैं और विशाल भाई आपस में बात कर रहे थे कि आखिर हमारा हुनर कब काम आएगा ? जैसे कि मेडिकल स्टाफ है पुलिस है वह लोग आज की डेट में लड़ रहे हैं. हमारे लिए एकदम वह लोग खड़े है वो ही सही मायनों में वॉरियर्स है. मैं उनको सलाम करता हूं. देश में अभी जो लोग काम कर रहे हैं पुलिस से लेकर डॉक्टर या हमारे पीएम से लेकर एक गवर्नमेंट का छोटा सा कर्मचारी यह लोग एक तरीके से हमारे लिए युद्ध लड़ रहे हैं, तो मैं और विशाल भाई बात कर रहे थे कि हमारा हुनर क्यों नहीं काम आ सकता हैं. वो हुनर किस काम का जो जो देश के काम ना आए. मैं इस समय भी बोलते हुए थोड़ा भावुक हो रहा हूं. वहीं उस समय अक्षय कुमार और जैकी भगनानी कुछ प्लान कर रहे थे. इस गीत का कांसेप्ट अक्षय कुमार का है. अक्षय कुमार यह चाह रहे थे कि कोरोना से उत्पन्न माहौल में कोई ऐसा गाना बनाया जाए, जो हर आदमी के चेहरे पर मुस्कान ले आए. हर आदमी को उत्साह से भर दे. बस फिर क्या था दो चीजें मिल गई....तो जैकी भगनानी ने का कॉल विशाल भाई के पास आया. उन्होंने बोला कुछ ऐसा लिखो विशाल भाई की 'दुनिया पर फर्क पड़े' विशाल भाई की ये बात कभी नहीं भूलता हूं कि उन्होंने मुझे बोला कुछ ऐसा लिखो कि 'दुनिया पर फर्क पड़े'. ये मेरे लिए बहुत बड़ा काम था, पर हां मैंने सबके सामने यह शर्त रखी थी कि मैं गाने में ना कोई नेगेटिव वर्ड यूज करूंगा और ना ही 'करोना' शब्द यूज करूंगा. इस गाने में मुझे करोना शब्द इसलिए यूज़ नहीं करना था क्योंकि मैं उस चीज को आगे नहीं बढ़ाऊंगा जिस चीज में मेरे देश को पीछे कर दिया है. यह चीजें सब हुई फिर मैंने उसके बाद लिखा तो जैसा की गाने की पहली लाइन है 'फिर से शहरों में रौनक आएगी गांव में फिर से लौटेगी हंसी फिर से सारे आसपास होंगे' मैंने गाना वो सब चीजे सोच सोच कर लिखा जो जो चीज हम मिस कर रहे हैं...जैसा कि आईपीएल ओलंपिक सब या तो आगे हो गए या कैंसिल...तो मैंने लिखा है कि 'खेलों के मैदान सुने हैं'....अगर आप इस गाने को ध्यान से सुनेंगे तो आप एक वर्ड नोटिस करेंगे ...इस गाने में मैंने लिखा है 'बाटेंगे हम खुशियां और गम भी बाटेंगे' इसका मायने यह है कि हम एक ऐसे देश से हैं जहां बहुत सामाजिक लोग हैं. हम लोग बिना गले मिले मानते नहीं है, तो हमारे लिए यह बहुत मुश्किल है कि हम लोगों को हाथ नहीं मिलाना...घर में बच्चे बीमार पड़ते हैं तो मां-बाप दीदी भैया सब लोग मिलकर उस बच्चे की सेवा करते हैं. आज आज कोई बीमार पड़ रहा है तो उसको अकेले रहना पड़ रहा है. अकेले रूम में रख दे रहे हैं. यह हमारे लिए बहुत कष्ट की बात है. इस गाने में इस लाइन पर जोर दिया है कि 'बाटेंगे हम खुशियां और गम भी बाटेंगे' एक राइटर होने के नाते मैंने इस लाइन पर इसलिए बहुत फोर्स डाला है कि जल्द ही हम मिलकर अपने गम भी बाटेंगे. शर्त बस इतनी है 'जब साथ देगा सारा इंडिया तो जीत जाएगा इंडिया और फिर मुस्कुराएगा इंडिया.'
रिपोर्टर- अपने अपकमिंग प्रोजेक्ट के बारे में कुछ बताइए ?
कौशल- मेरा एक गाना अभी हाल ही में रिलीज हुआ है.विशाल मिश्रा जी का गाना है मैंने भी उस में उनके साथ मिलकर लिखा है. मेरा अगला प्रोजेक्ट आ रहा है जो टाइम म्यूजिक का है. इसी महीने के लास्ट में यह गाना रिलीज होगा. अनुराग साईकिया (saikia) जी ने कंपोज किया है. राघव चैतन्य एक नए सिंगर हैं, वो गाने गा रहे हैं इसमें. उन्होंने फिल्म 'थप्पड़' के गाने भी गाए थे. फिल्म 'थप्पड़' का 'एक टुकड़ा धूप का' राघव ने ही गाया हैं. बहुत अच्छा गाया हैं. इसके अलावा इस साल मेरे कम से कम 8 10 गाने आएंगे, तो अभी बहुत सारा काम कर रहे हैं हम लोग. विशाल मित्रा जी के साथ और भी बहुत अच्छे अच्छे लोग हैं जिसके साथ मैं काम कर रहा हूं.