सोमवार 27 अप्रैल को colon इन्फेक्शन के चलते इरफ़ान को मुंबई के कोकिलाबेन अस्पताल में भर्ती कराया गया. पत्नी सुतापा और दोनों बेटे बाबिल और अयान उनके साथ अस्पताल में मौजूद थे. किसी को नहीं पता था कि इस बार इरफ़ान जिंदगी से जंग हार जाएंगे. पीपिंगमून. कॉम के सोर्सेज को मिली जानकारी के अनुसार डॉक्टरों ने इरफ़ान के परिवार आगाह कर दिया था कि वह लास्ट स्टेज पर है.
डॉक्टरों की सलाह पर उन्हें कोकिलाबेन अस्पताल में भर्ती कराया गया. क्यूंकि घर पर उन्हें कुछ भी हो सकता था. इरफ़ान को अस्पताल के आईसीयू में रखा गया. कोरोना महामारी को देखते हुए इरफ़ान का कोरोना टेस्ट भी हुआ. इरफ़ान की स्मरण शक्ति कम हो रही थी और वो अपने आस- पास उपस्थित किसी को भी नहीं पहचान पा रहे थे.
कल दोपहर से उनकी तबीयत और बिगड़ने लगी.जिसके बाद डॉक्टरों ने उन्हें वेंटीलेटर पर रख दिया. 28 अप्रैल शाम 6 कब्जे तक डॉक्टर्स समझ गए थे कि उन्हें बचाना मुश्किल है. उन्होंने रिकवर होने के लिए 24 घंटे का समय दिया और उनके परिवार को घर भेज दिया. आधी रात को इरफ़ान का परिवार फिर से अस्पताल पहुंच गया. इरफ़ान जिंदगी और मौत के बीच जंग लड़ रहे थे. आज सुबह 10 बजे तक इरफ़ान ने वेंटिलेटर पर रिस्पॉन्स देना बंद कर दिया. अँधेरी स्थित मस्जिद में दोपहर की नमाज से ठीक पहले इरफ़ान ने दुनिया को अलविदा कह दिया.