ये कहना गलत नहीं होगा कि देश में मौजद शिक्षा तंत्र समाज की सबसे जरूरी होने के साथ ही सबसे भ्रष्ट संस्थाओं में से एक है. ऐसी ही चीजों पर रोशनी डालती है जाने माने लेखक जीशान कादरी द्वारा लिखी गयी फिल्म 'हलाहल'. बता दें कि जीशान 'गैंग्स ऑफ वासेपुर' जैसी कमाल की फिल्मों की कहानी लिखी और साथ ही साथ वह एक्टिंग भी करते हैं, ने PeepingMoon के साथ आज रिलीज हो चुकी सचिन खेडेकर और बरुन सोबती स्टारर फिल्म 'हलाहल' के रोमांच कहानी से जुड़े कुछ मजेदार सवालों के जवाब दिए हैं.
'हलाहल' नाम किसने चुना था और क्यों?
हमारे मन में सवाल था कि हलाहल क्या होता है, फिर हमें पता चला की हलाहल का मतलब जहर होता है. जो शिव जी ने खुद समुंद्र मंथन के समय पर पिया था. ऐसे में हमने अपने लीड एक्टर के नाम शिव रखने की प्लानिंग की और इस तरह से शिव के किरदार का नाम डॉ.शिव रखा गया.
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फिल्म के लिए बॉलीवुड से जुड़े कास्ट को ना लेकर आपने टीवी और मराठी सिनेमा से एक्टर्स को क्यों लिया? खर कर के बरुन और सचिन खेडेकर को चुनने का कारण?
जब हलाहल की स्क्रिप्ट फाइनल हुई थी, जब हमें ऐसे एक्टर की तलाश थी हो अच्छी एक्टिंग करने के साथ अच्छा भी दिखे और बजट में भी फिट बैठे और इस तरह से बरुन को फाइनल किया गया. बरुन ने कभी इस तरह का किरदार किया नहीं था और इस तरह से जल्दी से तैयार हो गए.
बरुन जो ओरिजिनल चॉकलेट बॉय की इमेज रखते हैं, उन्हें आपने किरदार के हावभाव और इस तरह के मूछों वाले लुक के को अपनाने के लिए कैसे मनाया ?
दरअसल, बरुन खुद मेरे पास आये थे और उन्होंने कहा था की किरदार के मुताबिक ढलने के लिए मैं मूछ रख सकता हूं और पुलिस के किरदार के मुताबिक गाली भी दे सकता हूं.
'हलाहल' की कहानी आपको दर्शकों को दिखानी है, यह क्यों महसूस हुआ?
ये वाला कांसेप्ट मुझे अपने नजरिए से अपने तरीके से लोगो को दिखाना था, साथ में स्कैम का बैकग्राउंड लेकर मुझे एक इमोशनल कहानी भी बनानी थी. जिसमे थ्रिल, इमोशन और साथ ही साथ रियलिटी का टच हो. और ये सब मुझे दर्शकों को दिखाना था, जो उन्हें देखने में मजा आता है.
आपने कई फिल्मों की डायरेक्शन की कमान संभाली है, तो इसे क्यों नहीं डायरेक्ट किया आपने ?
ऐसा इसलिए क्योंकि मैंने रणदीप में एक अच्छे डिरेक्टो को देखा और मुझे पता था कि वो मेरा विजन अच्छे से दिखा सकते हैं. वह बहुत ही मेहनती इंसान हैं और मुझे पहले से ही पता था कि इस फिल्म को मुझे किसी और से डायरेक्ट करना है और वो शख्स रणदीप ही है.
आपको लगता है कि आपका कोई काम 'गैंग्स ऑफ वासेपुर' को भी पीछे छोड़ सकता है?
मैं उसी कोशिश में हूं और मुझे उम्मीद है कि मैं जल्द ही उस लेवल को पार कर लूंगा.