'मिर्ज़ापुर 2' में इस बार कई बड़े बदलाव देखने को मिलेंगे. नए किरदारों की पूरी फौज के बीच डिम्पी पंडित का कमाल का ट्रांसफार्मेशन शो की सबसे बड़ी यूएसपी में से एक है. सीरीज़ की पहली किस्त में हिंसा से नफरत करने वाली डिम्पी अब वायलेंस की राह चुन चुकी है. इस किरदार को निभाने वाली एक्ट्रेस हर्षिता गौर ने पीपिंग मून से खास बातचीत में क़िरदार से लेकर मिर्जापुर के अपने पर्सनल कनेक्शन पर दिल खोलकर की बात. पेश है इस बातचीत के खास अंश...
सवाल- मिर्जापुर पार्ट 1 में डिम्पी पूरी तरह नॉन वायलेंट थी, अपने पिता के उसूलों पर चल अहिंसा को सही मानती थी. लेकिन इस बार पूरा मामला बदल गया है..आपने यू टर्न ले लिया है. इस ट्रांसफॉर्मेशन में कितना री इन्वेंट किया खुद को ?
जवाब- डिम्पी ने क्या किया है और डिम्पी ने यू-टर्न क्यों लिया ये तो आपको शो देखने के बाद ही पता लगेगा. हां लेकिन एक कनफ्लिक्ट तो है, पहले वह पापा के उसूलों पर चलने वाली लड़की थी लेकिन फिर रियलिटी से उसका सामना होता है. डिम्पी ने अपना एक भाई और एक दोस्त खोया है, तो यह सब चीजें देखकर अब वह बदल रही है. यह आपको शो देखने के बाद ही पता लगेगा की डिम्पी का अगला स्टेप क्या होगा अब वह क्या करेगी. मुझे लगता है ऑडियंस जब यह शो देखेगी तब उनको इस किरदार की बारीकियां अच्छे से समझ आएंगी. हां लेकिन मेरे लिए मिर्जापुर प्रोफेशनल स्तर पर ऐसी सीरीज है जिसमें मुझे खुद को तलाशने का का मौका मिला है. खुश हूं कि मेरे साथ ये सीरीज मेरे साथ हुई है. पहले पार्ट में अहिंसा के साथ थी डिम्पी. अपने भाई गुड्डू और बबलू पंडित की सोच से अलग रहा है डिम्पी का किरदार. मिर्जापुर 2 में डिंपी ने यू टर्न लिया है. उसूलों पर चलने वाली लड़की का गुनाह के रास्ते पर चलने के बीच का एक बहुत बड़ा संघर्ष है. बाकी वो क्या करेगी और कैसे करेगी इसके लिए आपको मिर्जापुर 2 देखना होगा.
सवाल- यूपी के स्टेट मिर्जापुर से आपका ताल्लुक है. आप वहां से भली भाती वाकिफ है. सीरिज़ से पहले क्या आप इस तरह के हिंदी हार्टलैंड के वायलेंस के बारे में जानती थीं या अब ज़्यादा जाना ?
जवाब- बचपन में मेरी मिर्जापुर के आतंक से हल्की सी मुलाकात हुई है. हां, मैंने ऐसा खास बड़ा नहीं देखा है. मेरे नानाजी मिर्जापुर में पले-बढ़े हैं. मेरी मां इकलौती संतान है. मुझे याद है कि बचपन में मेरी मां जाती थी तो हम भी नानाजी के यहां मिर्जापुर गए थे. वहां मैंने बंदूक देखी है. वहां के किस्से भी सुने हैं. मैं पांचवी या छठी क्लास में पढ़ती थी जब मेंने देखा था कि वहां पर औरतें कमर तक घूंघट रखती थी. कुछ सालों बाद मेरे नाना की फैमिली को अमृतसर शिफ्ट होना पड़ा क्योंकि मिर्जापुर में जमीन को लेकर विवाद इतना बढ़ गया था कि कुछ लोग हमारे परिवार को जान से मारने की धमकी तक देने लगे थे. मेरे नानाजी को मिर्जापुर ना चाहते हुए छोड़ना पड़ा. मैंने बचपन से ये सारी बातें सुनी हैं. ऐसे में मिर्जापुर की कहानी सुनने के दौरान मेरे लिए वो चौंकाने वाला नहीं था कि अरे ऐसा भी होता है? हां लेकिन उतनी नहीं जितनी इस सीरीज में दिखाई गई है.
सवाल- मिर्जापुर के वुमेन्स पॉवर के बारे में कुछ बताइए ?
जवाब- हां इस बार सीरीज में वुमेन्स पावर है और मुझे लगता है ऐसा होना भी चाहिए. मिर्जापुर के जरिए केवल पुरुष किरदार ही नहीं बल्कि महिला किरदारों को भी एक दमदार संदेश के जरिए दर्शकों के बीच पेश किया जा रहा है. ये सीरीज बताती है कि औरतों को कमजोर नहीं समझना चाहिए. हर स्तर और सोच वाला महिला किरदार मिर्जापुर की कहानी को मजबूत तरीके से पेश करता है. इस मिथ्या को मिर्जापुर तोड़ता है कि औरतें ऐसी होती है जो घर के भीतर रहती हैं. नाजुक होती हैं. ऊंची आवाज में बात नहीं करती हैं. पुरुष प्रधान समाज में कई बार महिलाओं को कमजोर समझा जाता है. मिर्जापुर महिला सशक्तिकरण पर भी रोशनी डालती है. डिम्पी, गोलू और बीना की भूमिका इसे साफ तौर पर दर्शाती है.
सवाल- 'मिर्जापुर' ने हर्षिता की ज़िंदगी कहाँ तक बदली है ?
जवाब- मिर्जापुर करने के बाद मेरी जिंदगी काफी बदली है पहले लोग मुझे संयुक्ता के नाम से जानते थे अब लोग मुझे डिम्पी पंडित के नाम से जानते हैं. यह मेरे लिए बहुत बड़ी बात है कि मेरे किरदार के नाम से लोग मुझे जानते हैं. अगर देखा जाए सीरीज में कि किसका कितना पार्ट है तो उस हिसाब से मेरा पार्ट बहुत कम है फिर भी लोगों ने मुझे मेरे किरदार से पहचाना. मुझे इस किरदार के लिए लोगों का बहुत प्यार मिला. पहले के मुकाबले ऑडिशन देने में स्ट्रगल कम हुआ है. मिर्जापुर के बाद अब शायद मुझे एक टीवी विज्ञापन के लिए दो घंटे ऑडिशन में खड़ा नहीं होना पड़े या तो शार्ट लिस्ट ऑडिशन के लिए बुलाया जाए या फिर सीधे ऑफर दिया जाए. जब आपकी किरदार से आपकी पहचान हो जाती है तो लोग आपको और बेहतर रोल्स भी देते हैं.
सवाल- सीजन रिलीज होने वाला है. कैसा फील हो रहा है. कितनी एक्साइटेड हैं आप. आपको कितना भरोसा है कि ये सीरीज पहले पार्ट की तरह की ब्लॉकबस्टर हो जाएगी ?
जवाब- मुझे भरोसा तो है लेकिन हां अभी तो हम इतना ही बोल सकते हैं कि शो के सारे किरदार ने अपना 100 परसेंट दिया है. सब ने बहुत मेहनत की है. बस यही चाहते कि लोग इस शो से कनेक्ट हो और जैसा पहले पार्ट को प्यार मिला दूसरे सीजन को भी उतना ही प्यार मिले. सीरीज पर विश्वास तो पूरा है पर ऑडियंस पर डिपेंड करता है, ऑडियंस का फैसला ही अंतिम फैसला है. यह तो अब सीरीज आने के बाद ही पता लगेगा कि क्या होने वाला है.
सवाल- आपको लगता है कि मिर्जापुर में कई सीजन्स बनने का पोटेंशियल है क्योंकि इंडिया में बहुत कम सीरीज होती है जिनके 2 से आगे पार्ट बनते है.
जवाब- जी मुझे बिल्कुल लगता है, कि मिर्जापुर के अंदर बहुत पोटेंशियल है. और जो हमारे राइटर हैं पुनीत कृष्णा है उनके बारे में तो मैं क्या ही बोलूं, इस पूरे प्रोजेक्ट के पीछे एक वही दिमाग है जो चलता रहता है. मिर्जापुर की राइडर्स की टीम नहीं है सिर्फ एक ही राइटर पुनीत और डायरेक्टर का ही ताना-बाना है. मिर्जापुर को लोग इतना पसंद करते हैं मुझे पूरी उम्मीद है कि इस शो में कई सीजन्स का पोटेंशियल है. लेकिन हां अब सीजन 2 पर डिपेंड करता है कि सीजन 3 आएगा या नहीं. जैसे कि पहला सीजन इतना धमाकेदार रहा किसी सीजन 2 बनाने में बहुत मजा आया. अब सीजन 2 के हिसाब से अगला सीजन बनाया जाएगा.