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अपनी परछाईं के साथ डांसिंग सीखने वाली लेजेंड्री सरोज खान ने 3 साल की उम्र से शुरू कर दिया था काम, 3 बार नेशनल फिल्म अवॉर्ड जीतकर बनाया था रिकॉर्ड

कोरियोग्राफर सरोज खान ने इस दुनिया से अलविदा कह दिया है. 72 साल की उम्र सरोज खान का कार्डियक अरेस्ट की वजह से मुंबई के बांद्रा स्थित गुरु नानक अस्पताल में निधन हो गया. सरोज जी बचपन में अपनी परछाईं देख नाचती थीं.माँ ने सोचा बेटी को किसी साए ने जकड़ रखा है.नीम हकीम से जब बात न बनी तो बीमारी समझ डॉक्टर के पास ले गईं.डॉक्टर ने कहा आपकी बच्ची में ये ईश्वर का दिया गुण है.इसे जी भर के नाचने दीजिए.रोक टोक बिलकुल न कीजिए. हो सके तो कोशिश करके फ़िल्म लाइन में भेजिए.इस घटना के बाद सरोज जी ने अपने हुनर को कुछ ऐसा निखारा कि 3 साल की उम्र से काम करना शुरु कर दिया. 

सरोज खान का जन्म 22 नवंबर 1948 महाराष्ट्र के मुंबई में हुआ था. सरोज खान के पिता किशन चंद सद्दू सिंह और माता का नाम नोनी सद्दू सिंह विभाजन के समय भारत आये थे और सरोज खान का जन्म मुंबई में हुआ था. उन्होंने अपने करियर की शुरुआत तीन साल की उम्र में बाल कलाकार के रूप में फ़िल्म नज़राना से बाल श्यामा के रूप में की थी. 

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सरोज खान ने महज तीन साल की उम्र से काम करना शुरू कर दिया था. उनकी पहली फिल्म 'नजराना' थी जिसमें उन्होंने श्यामा नाम की बच्ची का किरदार निभाया था. 
10 साल की उम्र में सरोज खान ने फिल्म 'हावड़ा ब्रिज' के गाने 'आइए मेहरबां' में डांस करती नजर आई थीं. केवल भारतीय क्लासिकल डांस ही नहीं सरोज खान वेस्टर्न डांस के हर फॉर्म में माहिर थीं.

सरोज ने 1950 के दशक के मशहूर कोरियाग्राफर बी. सोहनलाल के साथ ट्रेनिंग ली थी और बाद में इन्हीं के साथ शादी कर ली. बी. सोहन लाल से सरोज से 30 साल बड़े थे. शादी के दौरान सरोज खान 13 साल की थी. इतना ही नहीं, शादी से पहले सरोज ने इस्लाम धर्म भी कबूल किया. उनका असली नाम निर्मला नागपाल था.
सरोज खान ने अपनी शादी को लेकर कहा था कि शादी के दौरान वह स्कूल में पढ़ती थी और सोहनलाल उनके डांस मास्टर थे. उन्होंने उनके गले में काला धागा बांध दिया, जिसे शादी मान लिया गया. सोहनलाल पहले से ही शादीशुदा थे और सरोज उनकी दूसरी पत्नी थी, लेकिन सरोज को ये बात बच्चे पैदा होने के बाद पता चली. सोहनलाल ने इन बच्चों को अपना नाम देने से इनकार कर दिया. इसके बाद दोनों अलग हो गए.

पति से अलग होने के बाद सरोज खान ने मजबूती के साथ कई तरह की कठिनाइयों का सामना किया. 50 के दशक में सरोज खान ने बैकग्राउंड डांसर के तौर पर काम करना शुरू किया. सरोज खान ने पहली बार साल 1974 में रिलीज हुई फिल्म 'गीता मेरा नाम' के गानों को कोरियोग्राफ किया. इसके बाद उन्होंने कई मुकाम हासिल किए. उन्हें भारत में मदर्स ऑफ डांस/कोरियाग्राफी की मां कहा जाने लगा. 

उनके करियर में उछाल आया श्री देवी की फिल्म मिस्टर इंडिया में 'हवा हवाई' (1987), नगीना (1986) और चांदनी (1989). माधुरी दीक्षित के साथ, तेजाब (1988), इसके बाद फिल्म 'बेटा' के गाने 'धक धक करने करने लगा' से उनका कारीर एकदम ऊपर गया. इस समय तक उनका नाम भारत की बेस्ट और सबसे सफल कोरियोग्राफर के तौर पर उभर चुका था.

एक कोरियोग्राफर के तौर पर उनको सबसे अधिक तीन बार नेशनल फिल्म अवार्ड दिया गया है. साल 2003 में रिलीज हुई फिल्म 'देवदास' के सॉन्ग 'डोला रे डोला' के लिए नेशनल फिल्म अवॉर्ड मिला. इसके अलावा साल 2006 में आई फिल्म 'श्रृंगारम' के सभी गानों और साल 2008 में आई 'जब वी मेट' के लिए यह इश्क हाए के लिए भी नेशनल अवार्ड मिला.

सरोज खान ने बॉलीवुड में करीब 4 दशक तक काम किया. सरोज खान ने 1989 से 1991 तक लगातार 3 साल तक फिल्मफेयर अवार्ड जीतने के बाद हैट्रिक की थी. उन्होंने सबसे ज्यादा 8  फिल्मफेयर बेस्ट कोरियोग्राफर अवार्ड जीतने का रिकॉर्ड भी बनाया हैं. जिसमें साल 2008 में आई फिल्म 'गुरु', साल 2003 में 'देवदास', साल 2000 में 'हम दिल दे चुके सनम', साल 1994 में 'खलनायक', साल 1993 में 'बेटा', साल 1991 में 'सैलाब', साल 1990 में 'चालबाज' और साल 1989 में 'तेज़ाब' के लिए शामिल हैं. 
सरोज खान के करियर की बतौर नृत्य निर्देशक आखिरी फिल्म रही 'कलंक' जिसमें उन्होंने तबाह हो गए गाने का नृत्य निर्देशन किया था. इसके अलावा उनके हिट गानों में अलबेला सजन आयो रो, बरसो रे मेघा मेघा, जरा सा झूम लूं और मेहंद लगाके रखना भी शामिल है. सरोज खान को हाल ही में सिने डांसर्स एसोसिएशन का ब्रांड अंबेसडर भी घोषित किया गया था.

इन फिल्मों में सरोज खान के कोरियोग्राफी की थी. जिसमें कलंक (2019), मणिकर्णिका: द क्वीन ऑफ़ झाँसी (2019), तनु वेड्स मनु रिटर्न्स (2015), गुलाब गेंग (2014), दिल्ली -6 (2009), जब वी मेट (2007), नमस्ते लंदन (2007), गुरु (2007), सांवरिया (2007), डॉन - द चेज़ बिगिन्स अगेन (2006), फना (2006), मंगल पांडे: द राइजिंग (2005), श्रृंगाराम (2005) (तमिल), वीर-ज़ारा (2004), स्वदेस (2004), कुछ ना कहो (2004), साथिया (2002), देवदास (2002), लगान: वन्स अपॉन ए टाइम इन इंडिया (2001), फ़िज़ा (2000), ताल (1999), हम दिल दे चुके सनम (1999), सोल्जर (1998), चूड़लानी वुंडी (1998), प्यार हो गया (1997), परदेस (1997), दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे (1995), याराना (1995), मोहरा (1994), अंजाम (1994), बाज़ीगर (1993), आइना (1993), डर (1993), बेटा (1992), आवारगी (1990), सैलाब (1990), चांदनी (1989), निगाहें: नगीना भाग, (1989), तेजाब (1988), मिस्टर इंडिया (1987), नगीना (1986), हीरो (1983) शामिल हैं. 

वहीं टीवी जगत की बात करें तो, साल 2005 में सरोज खान 'नच बलिए' में जज के रूप में एक रियलिटी डांस शो में दिखाई दीं थीं. फिर "उस्तादों के उस्ताद" शो के लिए जज बनी थी. फिर 'नचले वे विद सरोज खान' शो काफी हिट रहा था. वही इसके बाद सरोज खान ने टीवी शो 'तारक मेहता का उल्टा चश्मा' में भी एक डांस प्रतियोगिता में जज के रूप में दिखाई दीं थीं.


सरोज खान ने 3 जुलाई 2020 को दुनिया से अलविदा कह दिया. जो पूरी बॉलीवुड इंडस्ट्री के लिए एक अपूर्णीय क्षति है. ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे.

 

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