दिवा, क्वीन, सुपरस्टार.....खूबसूरती की मिसाल रेखा 10 अक्टूबर को अपना 66वां जन्मदिन सेलिब्रेट कर रहीं है. 10 अक्टूबर, 1954 को चेन्नई में जन्मी रेखा असली नाम भानुरेखा गणेशन है. जब बात होती है रेखा की तो सामने आता है उनका खूबसूरत चेहरा और उनकी आंखें... जिनके मस्ताने हजारों हैं. रेखा की लाइफ हमेशा कन्ट्रोवर्शियल रही है. कुछ सालों पहले लॉन्च हुई यासिर उस्मान की क़िताब 'रेखा- द अनटोल्ड स्टोरी' को लोगों ने बहुत पढ़ा और बहुत पसंद भी किया. इस किताब ने अभिनेत्री रेखा की ज़िंदगी के कई अनछुए पहलुओं से हमें रू-ब-रू कराती हैं. रेखा की जिंदगी से जुड़ी कुछ और अनसुनी बातें इस किताब में दर्ज हैं, जिसे पढ़ने के बाद आप भी चौंक जाएंगे. रेखा और अमिताभ बच्चन के अफेयर के किस्से और उनकी विनोद मेहरा से शादी की खबरों से तो आप वाकिफ ही होंगे, लेकिन उनकी जिंदगी से जुड़े कुछ और भी राज हैं जो शायद ही कभी बाहर आए हों, लेकिन यासीर उस्मान की किताब ‘रेखा: एन अनटोल्ड स्टोरी’ है में न सिर्फ रेखा के फिल्मी करियर, बल्कि उनकी निजी जिंदगी से जुड़ी कई बातों का विस्तार से वर्णन किया गया है.
- यासिर उस्मान ने अपनी किताब में इस बात का जिक्र किया है कि रेखा पर शुरुआत से ही नाजायज होने का ठप्पा लग गया था. रेखा की मां पुष्पवल्ली 50 के दशक में तमिल की जानीमानी एक्ट्रेस थी. पुष्पवल्ली का अफेयर उनके समकालीन एक्टर जेमिनी गणेशन के साथ था. पुष्पवल्ली, जेमिनी के प्यार में इस कदर डूबी हुई थीं कि उन्होंने बिना समाज की परवाह किए शादी से पहले ही जेमिनी के बच्चे यानी भानूरेखा को जन्म दे दिया. मगर जेमिनी ने कभी भी रेखा को कबूल नहीं किया और न ही अपना नाम दिया. पहले रेखा अपने नाम के साथ अपने पिता का नाम जोड़ती थीं, मगर 14 वर्ष की उम्र में जब उनकी मां पुष्पवल्ली का करियर ढलान पर था तब रेखा को मुंबई में फिल्मों में करियर बनाने के लिए जाना पड़ा. वहां पंहुच कर लोगों के ताने सुन कर रेखा ने तय किया कि वह अब अपने नाम के साथ गणेशन लिखना छोड़ देंगी.
- रेखा ने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत बेहद कम उम्र में कर दी थी. 'अनजाना सफर फिल्म की शूटिंग के दौरान उनकी उम्र महज 15 साल की थी. फिल्म की शूटिंग के दौरान एक दर्दनाक किस्सा भी इस किताब का हिस्सा है, जिसने रेखा को रोने पर मजबूर कर दिया था. दरअसल, एक रोमांटिक गाने की शूटिंग के लिए रेखा सेट पर पहुंचीं. वहां जैसे ही डायरेक्टर ने एक्शन बोला एक्टर विश्वजीत ने उन्हें होठों पर किस करना शुरू कर दिया जोकि 5 मिनट तक चला. कैमरा रोल करता रहा. रेखा ने अपनी आंखें बंद की जिसमें आंसू भरे हुए थे. यूनिट के सदस्य इस सीन पर सीटियां मार रहे थे. सीन के बारे में रेखा को कोई जानकारी नहीं थी. बाद में उन्होंने इस सीन पर आवाज उठाने का फैसला किया लेकिन अंजाम के डर से खामोश हो गईं.
-किताब के मुताबिक रेखा को पहला प्यार एक्टर जितेंद्र से हुआ था. मगर, जितेंद्र एक कमिटेड रिलेशनशिप में थे. बाद में जितेंद्र ने अपनी गर्लफ्रेंड से शादी भी कर ली. इसके बाद रेखा को अपने साथी कलाकार विनोद महरा से प्यार हुआ. विनोद महरा के साथ रेखा ने कई फिल्में भी की हैं.
-विनोद मेहरा के साथ शादी का भी जिक्र इस किताब में किया गया है. जब रेखा और विनोद कोलकाता में शादी करने के बाद मुंबई लौटे तो विनोद की मां ने रेखा का स्वागत चप्पल से किया. दरअसल रेखा की सास कमला इस शादी को लेकर बेहद नाराज थीं, जैसे ही रेखा आशीर्वाद लेने के लिए झुकीं तुरंत उनकी सास ने उन्हें ढकेल दिया. इतना ही नहीं, कमला गुस्से में इतनी आग बबूला हो गईं कि उन्होंने रेखा को मारने के लिए चप्पल भी निकाल लिया था और घर में घुसने से मना कर दिया.
- 1978 में मुकद्दर का सिकंदर जैसी फिल्मों ने अमिताभ और रेखा का नाम एक दूसरे के साथ जोड़ा और ये जोड़ी बड़े पर्दे पर सुपरहिट जोड़ियों में से थी. दो अंजाने और सिलसिला फिल्म के बाद अफवाहें ये भी आईं कि रेखा और अमिताभ बच्चन एक दूसरे के साथ रिलेशनशिप में हैं. मगर कभी इन दोनों ने इस बात पर खुलकर कुछ नहीं कहा.
-किताब में इस बात का भी जिक्र है कि रेखा जब मुंबई में आईं तो जया बच्चन उनकी फ्लैटमेट हुआ करती थीं. जया को रेखा दीदी कह कर संबोधित करती थीं मगर जया ने अपनी शादी में रेखा को नहीं बुलाया क्योंकि उन्हें इस बात का आभास था कि रेखा और अमिताभ को लेकर लोंगे के मन में शंका है.
- रेखा ने साल 1990 में रेखा दिल्ली के एक कारोबारी मुकेश अग्रवाल के साथ शादी के बंधन में बंध गई. मगर, शादी के बाद भी रेखा के जीवन में सुख नहीं आया. मुकेश रेखा की फिल्मों में दखल देने लगे. रेखा और मुकेश के बीच अक्सर अनबन होती. इससे तंग आकर रेख मुकेश का दिल्ली वाला घर छोड़ कर मुंबई आ गईं. मुकेश ने रेखा को मनाने की कोशिश भी की मगर रेखा नहीं मानी। रेखा के जाने के बाद मुकेश डिप्रेशन का शिकार हो गए और हार कर उन्होंने मौत का गले लगा लिया.
-किताब में इस बात का भी जिक्र है कि आइकॉनिक फिल्म 'उमराव जान' के निर्देशक मुज़फ़्फ़र अली ने उमराव के लिए रेखा का चयन कैसे किया. मुज़फ़्फ़र बताते हैं, 'यह सच है कि पहली बार में ही मेरे ज़हन में रेखा का नाम नहीं था, चूंकि उस दौर में स्मिता पाटिल भी इस तरह के किरदार के लिए परफेक्ट मानी जाती थीं. वह काफी ज़हीन अभिनेत्री थीं. फिर शबाना भी इस किरदार को निभाने के लिए सही थीं, लेकिन मुझे एक तस्वीर मिली थी और उस तस्वीर मैं मैंने रेखा की आंखों में वह कैफ़ियत देख ली थी. उनकी आंखों में दोगुने जज़्बात और एक अकेलेपन की झलक दिख गयी थी. तभी तय कर लिया कि यही होगी उमराव.'
- यासिर कि किताब में रेखा की फ़िल्म 'सिलसिला' को लेकर भी मजेदार किस्सा शेयर है. यासिर को लेखक सागर सरहदी ने उन्हें रेखा के बारे में एक ख़ास बात यह बताई कि रेखा डायलॉग रटने में उस्ताद थीं. उन्हें सब रटंतू तोता बुलाते थे. उन्हें किसी भी भाषा का संवाद दे दो. बस रोमन में लिखा हो तो वह जापानीज़ स्क्रिप्ट भी पूरी की पूरी रट जाती थीं.
(Source: Yasser Usman's Book Rekha-The Untold Story)