By  
on  

PeepingMoon 2020: जाह्नवी कपूर, तृप्ति डिमरी से लेकर विद्या बालन तक, इन एक्ट्रेसेस फिल्मों में अपनी शानदार एक्टिंग से किया खुद को साबित

भारतीय सिनेमा कई सालों बाद फिमेल एक्ट्रेसेस निस्संदेह बेस्ट फेस में है. अब काफी फिमेल लीड फिल्में लिखी जा रही है. एक्ट्रेस एक से बढ़कर एक फिल्म में अपनी अदाकारी के जलवे बिखेर रहीं है. अपना हुनर दिखाते हुए अपने कंधों पर फिल्मे सम्भाल रहीं है. अपने इस स्पेशल सेगमेंट में हम आपको बताएंगा उन टॉप एक्ट्रेसेस के बारे में जिन्होने अपने दम पर पूरी फिल्म को सम्भाला साथ ही अपने एक्टिंग और अपने किरदार से दर्शकों की बीच अपनी अलग पहचान बनाई. आइये नजर डालते है साल 2020 के इन महिला प्रधान फिल्में जिसमें इन अभिनेत्रियों ने साबिक किया कि वो किसी से कम नहीं हैं. 

Recommended Read: PeepingMoon 2020: तब्बू से लेकर पाओली डैम तक, इन सपोर्टिंग एक्ट्रेसेस ने फिल्मों में अपनी दमदार एक्टिंग से बनाया अलग मुकाम

दीपिका पादुकोण: छपाक 
डायरेक्टर मेघना गुलजार की 'छपाक' में दीपिका पादुकोण ने एक एसिड अटैक सरवाइवर का किरदार निभाया था. दर्शकों ने दीपिका पादुकोण की अदाकारी की तारीफ की थी. 'छपाक' की ताकत जहां दिल छू लेने वाली इसकी कहानी है तो इसी इमोशनल कहानी को पॉवरफुल अंदाज में पेश करने वाली दीपिका पादुकोण की एक्टिंग इसकी जान है. दीपिका पादुकोण ने बहुत ही मजबूती के साथ मालती के कैरेक्टर को परदे पर जिया है, और मालती की जिंदगी की हर बारीकी को पकड़ने की कोशिश की है. फिर वह चाहे मालती का दर्द हो, खुशी हो या कोर्ट कचहरी या जिंदगी की जंग हो, हर मोर्चे पर दीपिका पादुकोण ने दिल जीता है. 

तापसी पन्नू: थप्पड़
तापसी पन्नू बॉलीवुड फिल्म इंडस्ट्री की एक शानदार अदाकारा हैं और साल 2020 में रिलीज हुई 'थप्पड़' से उन्होंने एक बार फिर से दर्शकों को चौंकाकर रख दिया था. फिल्म 'थप्पड़' में तापसी पन्नू ने एक हाउस वाइफ का किरदार निभाया था, जो घरेलू हिंसा के खिलाफ आवाज उठाती है. फिल्म को दर्शकों का खूब प्यार मिला. फिल्म में तापसी एक ऐसी लड़की के किरदार में होती हैं जो अपने आत्म सम्मान के लिए मजबूती से स्टैंड लेती हैं.

तिलोत्तमा सेन: सर
तिलोत्तमा सेन ने अपनी एक बेहतरीन परफॉर्मेंस रत्ना के रूप में दी, जो एक महाराष्ट्रियन विधवा हैं, जिन्होंने मुंबई में एक न्यू यॉर्कर के घर में काम किया. रत्ना की कहानी कठिनाइयों से भरी थी जिसने उसे जीवित रहने और जीवन के बारे में समझाया. तिलोत्तमा आपको भावनात्मक रूप से अपनी कहानी में डूबा लेती है. जो सहानुभूति को दर्शाती है और ना का सिम्पैथी को. फिल्म में तिलोत्तमा ने अपने कैरेक्टर के साथ पूरा न्याय किया. 

तृप्ति डिमरी: बुलबुल
अदाकारा तृपति डिमरी हमेशा अपनी शानदार अदाकारी से लोगों को प्रभावित करती हैं और 'बुलबुल' के साथ भी उन्होंने लोगों को खासा प्रभावित किया है.  इस फिल्म में उन्होंने एक बंगाली लड़की का किरदार निभाकर सबका दिल जीत लिया था. अनविता दत्त की इस फिल्म में तृप्ति का किरदार महत्वपूर्ण और स्ट्रॉन्ग था. बुलबुल सत्या के लिए श्रृंगार करती है. उसके साथ हंसती खेलती भी है  अबला हालत में होते अत्याचार में उसका चेहरा करुणा जगाता है. और, जब वह काली बनती है तो दिखता है बुलबुल का रौद्र रूप. वीरता उसका पैदाइशी लक्षण है. भय वह बिल्कुल सही समय पर जगाती है. बुलबुल की मुस्कान उसके अद्भुत बदलाव की वाहक बनती है और आखिर में जब वह घृणा और जुगुप्सा दोनों एक साथ जगाती है तो न सिर्फ वह नौ दुर्गा बन चुकी होती है.

सैयामी खेर: चोक्ड
चोक्ड के सैयामी एक मध्यमवर्गीय परिवार की गृहणी सरीता के किरदार में होती है. सरिता पिल्लई एक बैंकर हैं, जो मुंबई में एक बैंक में काम करती है. सरिता का नोट गिनने में पूरा दिन उसका खर्च हो जाता है और बाद का सारा वक्त घर, पति और बच्चे की देखभाल में बीतता है. एक रात लाइन चोक होती है, पानी बहने लगता है और पानी के साथ-साथ पोलिथिन में पैक किए नोट बाहर आते हैं. ये सिलसिला हर रात होने लगता है.पांच सौ के बाहर आते जाते हैं, लेकिन सरिता ये बात किसी को नहीं बताती, लेकिन इसी बीच प्रधानमंत्री मोदी पांच सौ और एक हजार के नोट को बंद करने की घोषणा कर देते हैं, सरि‍ता चिंतित होती है. फिल्म की कहानी काफी मजेदार और अलग थी. फिल्म का सरप्राइज सैयामी खेर का अभिनय था. उन्होंने इस किरदार के लिए थोड़ा वजन देने का प्रयास किया. बिना ग्लैमरस लुक दिए एक बेहतरीन एक्टिंग नजर आई थी. 

विद्या बालन: शकुंतला देवी
शकुंतला देवी में विद्या बालन ने गणितज्ञ का किरदार निभाया. ये बायोपिक फिल्म थी. 'शकुंतला देवी' को महज चंद सेकंड में जटिल गणितीय समस्याओं को हल करने की क्षमता के लिए दुनिया भर में जाना जाता था. फिल्म में विद्या बालन हिट रहीं. उनकी एक्टिंग शानदार थी. इस फिल्म में विद्या बालन ने जिस तरह से अपने किरदार को पेश किया था, दर्शक भूल गए कि वो अदाकारी कर रही हैं.

रसिका दुग्गल: लूटकेस
फिल्म में रसिका कुणाल खेमू की पत्नी लता के किरदार में नजर आई थी, जिन्होंने मिडिल क्लास हाउस वाइफ का किरदार बखूबी निभाया. रसिका ने अपने प्रदर्शन को विश्वसनीयता प्रदान की. 

जाह्नवी कपूर : गुंजन सक्सेना
गुंजन सक्सेना अगस्त महीने में रिलीज हुई. फिल्म में एयरफोर्स पायलट गुंजन सक्सेना की कहानी दिखाई गई. 1999 के करगिल युद्ध में गुंजन सक्सेना ने चीता हेलीकॉप्टर उड़ाया. देश की रक्षा की और वॉर जोन में जाने वाली पहली वुमेन एयरफोर्स ऑफिसर बनकर हिस्ट्री बदल दी. गुंजन के किरदार को जाह्नवी कपूर ने निभाया था. फिल्म में जाह्नवी को काफी पसंद किया गया था. जाह्नवी कपूर ने फिल्म में अपनी आंखों से अभिनय किया है. गुंजन की परेशानी , हिचकिचाहट लेकिन दृढ व्यक्तित्व को पेश करने में कामयाब रही हैं. जाह्नवी के डायलॉग बहुत कम है और बहुत कम बोलकर ही वो फिल्म की कहानी कहती हैं.

कोंकणा सेन शर्मा और भूमि पेडणेकर: डॉली किट्टी और वो चमकते सितारे 
नेटफ्लिक्स की फिल्म भूमि पेडणेकर और कोंकणा सेन शर्मा लीड रोल में थी, फिल्म की कहानी डाली और काजोल (किट्टी) है. डॉली यानी कोंकण सेन शर्मा शादीशुदा है और उसका अपने पति के साथ सबकुछ ठीक नहीं है. वहीं काजोल यानी भूमि पेडनेकर नौकरी छोड़ देती है और रेड रोज रोमांस ऐप को जॉइन कर लेती है. जहां उसका नाम किट्टी हो जाता है. इस तरह दोनों की जिंदगी में काफी कुछ उतार चढ़ाल आते है. जहां डॉली अपने पति से खुश नहीं है और वह एक डिलिवरी बॉय के साथ प्यार करने लगती है. वहीं, किट्टी का प्रेमी उसके साथ कुछ ऐसा करता है जो उसे तोड़कर रख देता है. इस तरह फिल्म में महिलाओं और उनकी जिंदगी की समस्याओं को उकेरने की कोशिश की गई थी. 
एक्टिंग के मोर्चे पर भूमि पेडणेकर  और कोंकणा सेन शर्मा दोनों ने ही अच्छा काम किया है. दोनों की जुगलबंदी स्क्रीन पर देखने में अच्छी लगती है. 'डॉली किट्टी और वो चमकते सितारे' को कोंकणा और भूमि की अच्छी एक्टिंग और नए विषय दोनों ही लोगों को पसंद आए.

सयानी गुप्ता: Axone
इस फ़िल्म ने पूर्वोत्तर राज्यों की वर्तमान सामाजिक सांस्कृतिक चुनौतियों को बखूबी पेश किया था. दिल्ली में रह रहे पूर्वोत्तर से जुड़े युवाओं के समूह की कहानी के जरिये निकोलस ने इसे जिस तरह केंद्र में पूर्वोत्तर भारत के नागरिकों के प्रश्न को रखा है वह काबिले तारीफ है. ये फिल्म सीधे तौर पर उत्तर पूर्वी राज्यों से आए लोगों के प्रति हमारे बर्ताव पर एकदम साफ कटाक्ष करता है. जब हम उनकी आंखों पर, उनकी भाषा पर, उनके रंग रूप पर और तमाम चीज़ों पर कटाक्ष करते हैं तो उन्हें कैसा लगता है. नॉर्थ ईस्ट लोगों के बीच में अपनी जगह ढूंढती एक नेपाली, उपासना का किरदार सयानी गुप्ता बेहतरीन तरीके से निभाती हैं. 

Recommended

PeepingMoon Exclusive