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Birthday Special: 'गुड्डी' से लेकर 'मिली' तक, अपने इन दमदार किरदारों से जया बच्चन हिंदी सिनेमा में लाई रोशनी की बहार

बॉलीवुड एक्ट्रेस जया बच्चन आज अपना 73वां जन्मदिन मना रही हैं. उनका जन्म 9 अप्रैल, 1948 को मध्यप्रदेश के जबलपुर में हुआ था. बॉलीवुड की सबसे उम्दा कलाकारों में शुमार जया ने अपने निभाए हर किरदार में छाप छोड़ी है. सत्यजीत रे और ऋषिकेश मुखर्जी जैसे दिग्गज निर्देशकों ने उनके हुनर को दूर से देखकर ही पहचान लिया था. जया अब तक 9 फिल्म फेयर पुरस्कार जीत चुकीं हैं. जया बच्चन एक ऐसी महिला हैं, जो करियर हो या निजी जीवन हर रोल में खरी उतरीं हैं. चाहे बात सिनेमा की हो या पॉलिटिक्स या सोशल सर्विस से लेकर एक मां, सास और नानी-दादी की हो..जया जी ने खुद एक आदर्श पेश किया. जया हमेशा से पढ़ाई में भी काफी अव्वल रही थीं. शुरू से जया का रुझान कला की ओर रहा था. उस दौर में जया उन एक्ट्रेस में से एक थीं, जिन्होंने एक्टिंग की बाकायदा पढ़ाई की. उन्‍होंने फिल्‍म एंड टेलीविजन इन्‍स्‍टीट्यूट ऑफ इंडिया पुणे में एक्टिंग सीखी और वहां गोल्ड मेडल हासिल किया.इससे पहले उन्होंने भोपाल में पढ़ाई की थी और वहां भी लगातार अव्वल आती रहीं.


जया के पिता एक दिन उन्हें एक फिल्म की शूटिंग दिखाने ले गए. वहां जया को अभिनेत्री शर्मिला टैगोर ने देखा. उस वक्त फिल्म निर्माता सत्यजीत रे अपनी फिल्म के लिए एक ऐसी लड़की की तलाश कर रहे थे, जो उनकी फिल्म में एक खास किरदार निभा सके. शर्मिला जी जो ये मासूम लड़की भा गई और सत्यजीत दा को शर्मिला टैगोर ने जया के बारे में बताया. सत्यजीत रे की फिल्म 'महानगर' के किरदार में जया एकदम फिट बैठ गईं, और इस तरह जया का करियर बतौर एक्टर महज 15 साल की उम्र में ही शुरू हो गया. इस बीच अभी जया की FTII पुणे से पढ़ाई पूरी भी नहीं हुई थी, कि उससे पहले महान निर्माता-निर्देशक ऋषिकेश मुखर्जी FTII पहुंच गए. उन्होंने प्रिंसिपल से बात करके जया को अपनी फिल्म में लेने की बात कही. यहीं से जया को फिल्म 'गुड्डी' में काम मिला. इसके बाद उन्होंने बॉलीवुड में एक से बढ़कर एक कामयाब और यादगार फिल्में दी जिसमें 'उपहार', 'बावर्ची', 'पिया का घर', 'शोर', 'बंसी बिरजू', 'परिचय', 'अन्नदाता', 'फागुन', 'अभिमान', 'ज़ंजीर', 'कोरा कागज़', 'चुपके चुपके', 'शोले', 'मिली', 'सिलसिला', 'हज़ार चौरासी की माँ' समेत कई फिल्में शामिल हैं.  आज हम जया के जन्मदिन पर उन फिल्मों के बारे में बताएंगे, जिन किरदारों से जया ने समाज को आइना दिखाते हुए, समाज में बदलाव की लहर लाई. 

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गुड्डी (1971)
इस फिल्म से ही जया बच्चन ने हिंदी फिल्मों में एंट्री की थी। ये वो दौर था जब सिर्फ पुरुष कलाकार पर ही फ़िल्में बन रही थी. ऐसे में ऋषिकेश मुखर्जी गुड्डी फिल्म लेकर आये. जहां जया कुसुम यानी गुड्डी के किरदार में थी. इस फिल्म में वो एक बेफिक्र और बिंदास स्कूलगर्ल थी. जिसे स्क्रीन पर दिखने वाले सुपरस्टार धर्मेन्द्र से प्यार हो जाता है. बाद में उसे समझ आता है कि रियल और रील दो अलग दुनिया होती हैं. जया बच्चन ने इस फिल्म में गुड्डी के किरदार को निभा कर और मासूम और प्यारा बना दिया था.

कोशिश (1972)
साल 1972 में रिलीज हुई इस फिल्म में जया बच्चन और संजीव कुमार मुख्य किरदारों में थें. यह हिंदी सिनेमा जगत की यादगार फिल्मों में एक है. फिल्म में बहरे और गूंगे कपल की कहानी दर्शायी गई है कि किस तरह दोनों अपनी मोहब्बत और संघर्ष के चलते पूरे समाज का मुकाबला करते हुए आगे बढ़ते हैं. फिल्म का निर्देशन और लेखन गुलजार ने किया था. इस फिल्म के लिए भी जया बच्चन को फिल्मफेयर के सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया था.

अभिमान (1973)
ऋषिकेश मुखर्जी दौरा डायरेक्टेड ये फिल्म एक ऐसे जोड़े की कहानी थी. जहां एक की सफलता दूसरे को खटकने लगती है. फिल्म में जया उमा कुमार के किरदार में थी. जिनकी शादी एक सफल सिंगर सुबीर यानि अमिताभ बच्चन से हो जाती है. कुछ समय बाद जब उमा का सिंगिंग करियर भी जोर पकड़ता है और वो अपने पति सुबीर से ज्यादा पोप्यूलर हो जाती हैं, ये बात सुबीर से बर्दाश नहीं होती और उनकी शादीशुदा जिंदगी ख़राब होने लगता है. इस फिल्म में एक सफल पत्नी की कहानी थी, जो अपने पति की सफलता की तो कद्र करती है पर अगर वो खुद आगे बढ़ती है तो उसके पति को ये खटकता है. लोगों को ये कहानी काफी रास आई थी. 

कोरा कागज (1974)
ये एक साधारण सी कहानी थी. फिल्म में लीड रोल निभा रही जया यानी अर्चना की मुलकात सुकेश (विजय आनंद) से बस में होती है. इसी मुलाकात के बाद दोनों एक दूसरे को पसंद करने लगते हैं और शादी कर लेते हैं. अर्चना की माँ को सुकेश की कम कमाई से दिक्कत होती है, और एक दिन उनके ताने इतने चुभ जाते हैं कि सुकेश और अर्चना अलग हो जाते हैं. बाद में अर्चना को दूसरी शादी के लिए मनाया जाता है लेकिन सुकेश से अधिक प्यार और लगाव होने के कारन अर्चना दूसरी शादी नहीं करती. फिल्म में जया बच्चन ने पहले प्यार और फिर तकरार की परिस्थितियों में फंसी लड़की का अच्छा किरदार निभाया है जिसके लिए उन्हें करियर में दूसरी बार फिल्मफेयर के सर्वश्रेष्ठ पुरस्कार से नवाजा गया.

मिली (1975)
जया बच्चन और डायरेक्टर ऋषिकेश मुखर्जी की जोड़ी ने कई बेहतरीन फ़िल्में दी हैं. उनमें से एक थी ‘मिली’ ये फिल्म मिली खन्ना नाम की ऐसी लड़की की होती है जो एक लाइलाज बीमारी से पीड़ित हैं. लेकिन अपने चेहरे की हंसी-ख़ुशी से वो इस बात का एहसास किसी को भी नहीं होने देती. फिल्म में अमिताभ बच्चन उनके पडोसी के रोल में थे, इन्हें मिली की मासूमियत भा जाती और वो मिली की तकलीफ के आगे अपने सारे दुःख भूल जाते हैं.


चुपके चुपके (1975)
यह एक कॉमेडी फिल्म थी. फिल्म में जया बच्चन ने बहुत ही दिलचस्प किरदार निभाया था. जो एक छात्रा होती है और अमिताभ बच्चन से क्लास लेते लेते उनसे प्यार करने लगती है. फिल्म का निर्देशन ऋषिकेश मुखर्जी ने किया था.

नौकर  (1979)
इस फिल्म में जया बच्चन और संजीव कुमार की जोड़ी नजर आई फिल्म में जया गीता नाम के किरदार में होती हैं. जो इस फिल्म के अंत में अमर यानी संजीव कुमार की दूसरी बीवी बनती हैं. फिल्म में जया बच्चन का अभिनय इतना शानदार था कि उन्होंने करियर का तीसरा फिल्मफेयर का सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार अपने नाम कर लिया. फिल्म का निर्देशन स्माइल मेमन ने किया था.

सिलसिला (1981)
यह हिंदी रोमांटिक फिल्म है जिसका निर्देशन यश चोपड़ा ने किया था. फिल्म में अमिताभ बच्चन, जया बच्चन, रेखा, शशि कपूर और संजीव कुमार मुख्य किरदारों में दिखे. इस फिल्म को लेकर निर्देशक यश चोपड़ा ने खुलासा किया था कि उन्होंने जया बच्चन और रेखा की जगह पहले स्मिता पाटिल और परवीन बॉबी को साइन किया था लेकिन अमिताभ बच्चन से सलाह मशविरा के बाद उन्होंने जया बच्चन और रेखा को चुना. यह रेखा और अमिताभ बच्चन की साथ में आखिरी फिल्म रही. फिल्म में अमिताभ अपने प्यार का बलिदान देता है और अपने दिवंगत भाई की गर्भवती मंगेतर से शादी करता है. हालांकि, जब वह अपनी पूर्व प्रेमिका से संयोगवश मिलता है, तब वह अपनी इच्छाओं के आगे हार मानने का फैसला करता है. 

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