By  
on  

Sherni Review: विद्या बालन की फिल्म डालती है मैन वर्सेज वाइल्ड के साथ पॉलिटिक्स, पावर और सेक्सिज्म के मुद्दों पर रोशनी

फिल्म: शेरनी 
कास्ट: विद्या बालन, विजय राज, शरत सक्सेना, नीरज काबी, बृजेंद्र कला, मुकुल चड्ढा, इला अरुण, संपा मंडल
निर्देशक: अमित मसुरकर
ओटीटी: अमेज़न प्राइम वीडियो
अवधि: 2 घंटे 10 मिनट
रेटिंग: 3 मूंस 

विद्या बालन ने अमित मसुरकर की अमेजन ओरिजिनल फिल्म, शेरनी में एक रोमांचक सफर को जिया है. विजय राज, शरत सक्सेना, नीरज काबी, बृजेंद्र कला, मुकुल चड्ढा, इला अरुण और संपा मंडल को-स्टारर इस फिल्म को दर्शकों को एक दिलचस्प सफर पर ले जाने के लिए OTT प्लेटफॉर्म पर दस्तक दिया है. फिल्म पॉलिटिक्स और पावर पर झलक दिखाती है. फिल्म की कहानी मध्य प्रदेश के घने जंगलों पर स्थित है, साथ ही यह फिल्म मैन वर्सेज पर चिरस्थायी बहस पर प्रकाश डालती है.

(यह भी पढ़ें: The Family Man 2 Review: ट्विस्ट, टर्न, एक्शन और सस्पेंस से भरपूर है मनोज बाजपेयी और सामंथा अक्किनेनी का शो)

फिल्म में विद्या विन्सेंट (विद्या बालन) नई संभागीय वन अधिकारी बनकर आई हैं. उन्हें एक आदमखोर बाघिन, टी-12 का पता लगाने की जिम्मेदारी दी जाती है, जिसे स्थानीय लोग जंगल में लोगों की मृत्यु के लिए जिम्मेदार मानते हैं. ऐसे में विद्या अपनी टीम की मदद से उसे सुरक्षित राष्ट्रीय उद्यान में पहुंचाने के मिशन पर निकल पड़ती हैं. इस मिशन और जांच में, हसन नूरानी (विजय राज), एक डीएनए एक्सपर्ट और एक कॉलेज प्रोफेसर, उनका सबसे बड़ा सहयोगी है.

फिल्म में विद्या की बाघिन की पहचान करना, ग्रामीणों को बचाना और बाघिन की सुरक्षा सुनिश्चित करना ही एकमात्र मुश्किल नहीं है. जहां, स्थानीय ग्रामीण अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं, वहीं नेता स्थिति का फायदा उठाकर राजनीतिक खेल खेलने में व्यस्त हैं. विद्या की इस यात्रा में उनके हेड बीएन बंसल (बृजेंद्र कला) से लेकर स्थानीय विधायक जीके सिंह और पीके सिंह तक, पुरुष प्रधान समाज मानव और वन्य जीवन के बीच संतुलन बनाए रखने के लिए बाधा के रूप में काम करते हैं. एक और बाधा रंजन राजहंस (शरत सक्सेना) है, जो एक संरक्षणवादी और निजी शिकारी है जो यह पहचान सकता है कि बाघिन आदमखोर है या नहीं.

2016 की बाघिन अवनी की हत्या पर आधारित शेरनी की कहानी सामाजिक मुद्दों से बनी है. मुख्य कहानी अवनि, या टी-1, दो शावकों के साथ एक वयस्क बाघिन की हत्या से प्रेरित प्रतीत होती है, जिसे महाराष्ट्र के यवतमाल जिले में गोली मार दी गई थी. उस पर 13 लोगों की हत्या का शक था. अवनी की हत्या शिकारी नवाब शफात अली खान के बेटे असगर अली खान ने की थी. अवनी को लुभाने के लिए वन अधिकारियों ने असगर के साथ एक और बाघिन का पेशाब और एक अमेरिकी इत्र फैलाया था. इससे विवाद छिड़ गया और पर्यावरणविदों में व्यापक आक्रोश की लहर दौड़ गई.

टेक्नीकलिटीज़ में आने से बहुत पहले, फिल्म का टाइटल शेरनी, सबसे अधिक समस्याग्रस्त है. क्योंकि बाघिन पर आधारित फिल्म का नाम शेरनी रखा गया है. हालांकि, ऐसा लगता है कि निर्माता खुद भ्रमित हैं क्योंकि वे बाघिन को 'बाघिन' के बजाय 'शेरनी' कहते हैं, जो कि सही शब्द होना चाहिए. जो नहीं जानते, असल में, टी-12 बाघिन का नाम माया रखा गया था और कहा जाता है कि यह ताडोबा अंधेरी टाइगर रिजर्व की सबसे करिश्माई बाघिन है.

निर्देशन की बात करें तो, अमित, जिन्होंने व्यापक रूप से प्रशंसित न्यूटन (2017) का निर्देशन किया है, एक महत्वपूर्ण और प्रासंगिक कहानी को ड्रामा के साथ बताते हैं. जैसे ही कहानी जंगल की गहराई में गोता लगाती है, जिसके बाद वह धीरे-धीरे राजनीतिक एंगल को सामने लाते हैं. फिल्म में डायरेक्टर प्रचलित लैंगिक मुद्दों और भ्रष्टाचार की झलक दिखाते हैं, जो सिस्टम में चलता है. उन्होंने फिल्म में अपने दृष्टिकोण को रॉ और रियल रखा है. आस्था टीकू जिन्होंने शेरनी की कहानी और स्क्रिप्ट लिखी है, वह उसे जितना हो सके रियल टच देने की कोशिश करती हैं. हालांकि, फिल्म की कहानी वन्यजीवों के पक्ष में बात करती है, लेकिन फिल्म का अंत स्पष्ट रूप से उसके उद्देश्य को सही नहीं ठहराता है. कहानी का कमजोर अंत पूरे आख्यान में बाधा डालती है. अमित और आस्था आसानी से एक शक्तिशाली संदेश भेज सकते थे, लेकिन कुछ पहलुओं में, वे निशान तक नहीं पहुंच सके.

विद्या फिल्म में एक वन अधिकारी की भूमिका निभाती है. फिल्म में उन्होंने सच्ची 'शेरनी' की तरह, दमदार दहाड़ लगाई है. विद्या विन्सेंट के रूप में बालन ने किरदार में जैसे जान फूंक दी है. हालांकि, फिल्म में हम उन्हें एक 'महिला अधिकारी' होने के नाते, वह अपने निजी और पेशेवर जीवन दोनों में सेक्सिज्म का सामना करती हैं. 

प्रोफेसर नूरानी के किरदार में विजय राज ने अच्छी भूमिका निभाई है, यह कहना गलत नहीं होगा कि वह फिल्म का स्ट्रांग पिलर हैं. अपने शानदार प्रदर्शन से विजय स्क्रीन पर सभी का ध्यान अपनी तरफ खींचा है. शरत सक्सेना ने रंजन उर्फ पिंटू के रूप में अच्छा काम किया है. नीरज काबी, नांगिया सर के रूप में एक छोटे किरदार में नजर आये हैं. बीएन बंसल के रूप में बृजेंद्र कला भी अपनी जगह बेहतरीन हैं. मुकुल चड्ढा को विद्या के पति की भूमिका निभाने के लिए मिला है और उन्होंने अपनी छोटी भूमिका होने के बावजूद अच्छा प्रदर्शन किया है. इला अरुण की मौजूदगी फिल्म में खुशनुमा है. फोटोग्राफी के निदेशक राकेश हरिदास ने मध्य प्रदेश के घने जंगल को खूबसूरती से कैद किया है. अपने लेंस के साथ, वह जंगल के भय, रोमांच और खिंचाव की भावना पैदा करने की कोशिश को दिखाने में सफल रहे हैं.

शेरनी की कहानी बेहद शानदार है, लेकिन उसकी एंडिंग ने उसे कमजोर बनाती है. अगर फिल्म का अंत कुछ होता तो, शायद इसे देखने का मजा शायद कुछ और ही होता. हालांकि, शेरनी को अमित, विद्या और पूरी कास्ट और क्रू की बहादुरी के प्रयास के लिए देखना चाहिए.

PeepingMoon शेरनी को 3 मून्स देता है.

Recommended

PeepingMoon Exclusive