शो: द फैमिली मैन 2
कास्ट: मनोज वाजपेयी, सामंथा अक्किनेनी, प्रियामणि, शारिब हाशमी, शरद केलकर, सीमा बिस्वास, दर्शन कुमार, सनी हिंदुजा, श्रेया धनवंतरी, शाहब अली, वेदांत सिन्हा, महक ठाकुर, माइम गोपी, रवींद्र विजय, देवदर्शिनी चेतन, आनंदसामी , एन. अलगमपेरुमाली
निर्देशक: राज एंड डीके, सुपर्ण वर्मा
ओटीटी: अमेज़न प्राइम वीडियो
अवधि: 9 एपिसोड
रेटिंग: 3.5 मून्स
मनोज बाजपेयी की अमेज़न प्राइम वीडियो सीरीज़ द फैमिली मैन ने राज एंड डीके के ट्रेडमार्क ह्यूमर के साथ अपनी तगड़ी कहानी के लिए बहुत तारीफें बटोरी है. ऐसे में अब, मच अवेटेड सीरीज के दूसरे सीजन को रिलीज कर दिया गया है. एक बार फिर से मनोज ने श्रीकांत तिवारी के रूप में वापसी की है, जिसमें शारिब हाशमी और प्रियामणि ने अपनी भूमिकाओं को दोहराया है. सामंथा अक्किनेनी एक तमिल विद्रोही राजी के रूप में कास्ट में शामिल हुई हैं.
ओरियन केमिकल्स गैस रिसाव की घटना के बाद, राष्ट्रीय जांच एजेंसी के विंग थ्रेट एनालिसिस एंड सर्विलांस सेल (TASC), के एक वरिष्ठ विश्लेषक श्रीकांत ने '9-5 नौकरी' के साथ एक आईटी फर्म को ज्वाइन करने के लिए खुफिया एजेंसी छोड़ दी होती है. जहां श्रीकांत के ऊपर पिछले मिशन के असफलता का बोध होता है, वही उसके सामने एक असफल परिवार की समस्याओं से भी निपटना होता है. एक तरफ वह अपनी पत्नी सुचित्रा (प्रियामणि) के साथ होने वाली अपनी समस्याओं को सुलझा कर उसे खुश करने की कोशिश करता है, तो दूसरी तरफ अपनी वर्क प्लेस पर एक न्यूनतम आदमी नहीं बनने की पूरी कोशिश करता है. श्रीकांत जो एक स्मार्ट सरकारी नौकर है वह मिशन पर जाने की बातों को याद करता रहता है. ऐसे में उसे अपने पूर्व सहयोगी और दोस्त जेके तलपडे (शारिब हाशमी) से एक खुफिया जानकारी मिलती है. जेके के मुताबिक, श्रीकांत को FOMO यानी फियर ऑफ मिसिंग आउट की बीमारी है. आखिरकार श्रीकांत अपने बॉस से परेशान होकर 9 से 5 की नौकरी छोड़ देता है और प्रधानमंत्री बसु (सीमा विश्वास) के आदेश पर एक श्रीलंकाई तमिल विद्रोही की तलाश में मिशन के लिए TASC में शामिल हो जाता है. श्रीलंका के राष्ट्रपति रूपातुंगा (अभिषेक शंकर) के साथ पीएम बसु के अच्छे संबंध रहते हैं.
सीरीज उत्तरी श्रीलंका में होने वाली घटनाओं को दर्शाती है, जिसमे एक तमिल उग्रवादी संगठन को दिखाया जाता है, जिसे उम्मीद होती है कि समुदाय को स्वतंत्रता मिलेगी और वे युद्ध के समर्थन में नहीं होते हैं. हालांकि, श्रीलंका की एक टीम अपने बेस में एक विस्फोटक लगाती है जिससे कई आतंकवादी मारे जाते हैं. विस्फोट से बचकर, भास्करन (माइम गोपी), प्रमुख या थलाइवर, दीपन (अज़गम पेरुमल) और सुब्बू (श्रीकृष्ण दयाल) के साथ दुनिया के विभिन्न हिस्सों में भाग जाते हैं. सुब्बू चेन्नई में शरण लेता है, जबकि भास्करन और दीपन लंदन में होते हैं. ऐसे में TASC सुब्बू को ट्रैक करता है और जैसे ही उसे पुलिस हिरासत में लिया जाता है, एक बम विस्फोट में उसकी मौत हो जाती है.
भास्करन, जो अपने छोटे भाई की मौत का शोक मना रहा है, वह ISI मेंबर मेजर समीर (दर्शन कुमार) से मिलता है, जो गैस रिसाव योजना का हिस्सा था. समीर भास्करन का ब्रेनवॉश करता है और उसके दिमाग में ये बात डालता है कि पीएम बसु ने सिर्फ अपने सहयोगी श्रीलंका को खुश करने के लिए विस्फोट की योजना बनाई थी. भास्करन राजी उर्फ राजलक्ष्मी (सामंथा अक्किनेनी), सेल्वा (आनंद सामी), कार्तिक (एम. रंजीत) और प्रभु (राजेश बालचंदिरन) को साथ लेकर एक प्लान को अमल में लाता है. एक कारखाने में काम करने वाली राजी की जिज्ञासु आंखों में कई रहस्य छिपे रहते हैं. जैसे ही श्रीलंकाई तमिल विद्रोहियों की टीम को हरी झंडी मिलती है, वैसे वैसे ही पीएम बसु राष्ट्रपति रूपातुंगा के साथ बैठक की योजना बनाती हैं. ऐसे में दूसरी तरफ श्रीकांत, अपने परिवार को मुंबई में छोड़कर, समस्या से निपटने के लिए चेन्नई जाता है और मुथु (रवींद्र विजय) नाम के एक अधिकारी से मदद लेता है.
द फैमिली मैन 2 में विद्रोहियों का पता लगाने के लिए श्रीकांत और TASC के मिशन को दिखाया गया है. ऐसे में अब सवाल उठता है कि क्या TASC में श्रीकांत और उनकी टीम समस्या को सुलझा पायेगी ? राजी से जुड़े कौन से रहस्य हैं? क्या द फैमिली मैन अपने प्रियजनों को अपनी बेहद खतरनाक नौकरी के नतीजों से बचपायेगा ? इन सभी सवालों के जवाब जानने के लिए दर्शकों को लगभग 40-50 मिनट के 9 एपिसोड को देखना पड़ेगा.
सुपर्ण वर्मा के साथ निर्देशक राज एंड डीके एक आकर्षक क्राइम-थ्रिलर सीरीज लेकर आये हैं.पहले सीज़न की यूएसपी में से एक इसका ह्यूमर था और अच्छी बात यह है कि यह शुरुआती एपिसोड में अपनी जगह पाता है. सीरीज के साथ, राज एंड डीके और सुमन कुमार, जो लेखक हैं, ने यह साबित करने का प्रयास किया है कि आतंकवादी इंसान क्यों हैं और कौन सी स्थिति उन्हें ऐसा कदम उठाने पर मजबूर करती है.
द फैमिली मैन 2 के साथ राज और डीके भले ही राजनीतिक बातचीत में गहराई से शामिल नहीं होते हैं, लेकिन उन्होंने इसमें एक समुदाय द्वारा सामना की जाने वाली सदियों पुरानी समस्याओं की झलक दिखाई है, जो बेहद अनुशासित, ईमानदार, मेहनती और देशभक्त हैं जो अपनी विरासत और सम्मान की रक्षा के लिए मर और मार भी सकते हैं. इसमें ना कोई हीरो है और ना कोई विलेन. द फैमिली मैन 2 के किरदार त्रुटिपूर्ण हैं, उनकी अपनी खुद की परेशानियां होती हैं जिससे वह निपटते हैं और किसी को गलत साबित करने का लक्ष्य नहीं रखते हैं. जी हां, द फैमिली मैन 2 पहले एपिसोड से ही सही तरीके से एंगेजिंग है, लेकिन जिन्होंने कहानी में अचानक आने वाले ट्विस्ट और टर्न की उम्मीद की होगी, उन्हें थोड़ी निराश हो सकती है. हर एपिसोड का क्लिफहैंगर अंत स्वचालित रूप से आपको तुरंत अगले पर ले जाएगा और निश्चित रूप से आपका ध्यान आकर्षित करेगा. हाल ही में रिलीज़ हुई अन्य क्राइम-थ्रिलर फिल्मों से अलग, द फैमिली मैन 2 सिस्टम में खामियों की खोज करता दिखाई नहीं दे रहा है. उनका अहम उद्देश्य कुछ घंटों का मनोरंजन प्रदान करना है और वह इसमें सफल रहे हैं. ये कहना गलत नहीं होगा कि द फैमिली मैन 2 पहले सीज़न से बड़ा और बेहतर है.
बात करें श्रीकांत तिवारी के रूप में मनोज के किरदार की तो, उन्हें हम 'वड़ा पाव' लवर से 'सलाद' खाने तक के शुरुआती एपिसोड में ह्यूमर का तड़का लगाते देख सकते हैं. उनके किरदार को हम लगभग टूटी हुई शादी और एक घातक मिशन के बीच संतुलन बनाते हुए देखते हैं. इसके अलावा वह वर्ल्ड क्लास स्पाई होने के साथ एक प्यार करने वाला पिता है, जो अपने परिवार की रक्षा करना चाहता है. ऐसे में कहना गलत नहीं होगा कि मनोज ने किरदार में जान फूंकी है.
मनोज को सामंथा के रूप में अपनी शानदार प्रतिद्वंद्वी मिलती है. साउथ स्टार ने अपने डेब्यू वेब शो में नॉकआउट परफॉर्मेंस दी है. हालांकि, सीरीज में उनके पास मुश्किल से कुछ डायलॉग्स हैं, लेकिन ऐसे में उनके किरदार से डूबते हुए वह अपनी आंखों से बहुत कुछ कह जाती हैं. पहले कुछ एपिसोड में, वह एक साधारण लड़की की तरह लग सकती है, लेकिन उनमे तेजी से आने वाले बदलाव को देख आप आश्चर्य से भर जायेंगे. सीरीज में उनकी एक्टिंग कमाल की है. साथ वह राजी के रूप में श्रीलंका के तमिलों को श्रद्धांजलि अर्पित करती है, जो अतीत में बहुत कुछ झेल चुके हैं.
वहीं, इसमें मौजूद अन्य किरदारों की बात करें तो, प्रियामणि श्रीकांत की पत्नी सुचित्रा के रूप में शानदार हैं. दूसरे सीजन में उनका किरदार ज्यादा बहुस्तरीय है. वहीं, शारिब हाशमी की स्क्रीन उपस्थिति आपको अच्छी लगेगी. वह बड़ी आसानी से जेके तलपड़े की भूमिका में खुद को ढाल लेते हैं. सनी हिंदुजा ने मिलिंद के रूप में अच्छा काम किया है. वहीं, अपने कुछ सीन्स में शरद केलकर अपनी चमक बिखेरते नजर आये हैं. रवींद्र विजय, माइम गोपी, अझगम पेरुमल और श्रीकृष्ण दयाल अपनी भूमिका में फिट बैठे हैं. हालांकि, अश्लेषा ठाकुर उर्फ धृति एक स्तरित किरदार को आसानी से निभाने के लिए एक विशेष उल्लेख की पात्र हैं. दर्शन कुमार अच्छे हैं जबकि सीमा बिस्वास पीएम के रूप में फिट बैठती हैं. दिलीप ताहिल अपने किरदार में अच्छे लग रहे हैं. जबकि, आसिफ बसरा ने भी सीरीज के जरिये अपना एक प्रभाव छोड़ा है, हालांकि उनका निधन इंडस्ट्री के लिए एक बड़ी क्षति है.
क्रिएटर्स का विशेष उल्लेख इस शो को एक संपूर्ण हिंदी-भाषा सीरीज बनाने या इसे विभिन्न भाषाओं में डब करने के बजाय तमिल संवादों को शामिल करके शो को एक स्थानीय स्पर्श देने के लिए. फोटोग्राफी के निदेशक कैमरन एरिक ब्रायसन ने मुंबई की व्यस्त और घटित सड़कों और लंदन की शांति के साथ-साथ चेन्नई की देहाती, सांस्कृतिक और प्राकृतिक सुंदरता को पूरी तरह से सभी के सामने लाया है.एक्शन डायरेक्टर एजाज गुलाब के स्टंट सीक्वेंस अच्छे और रोमांचकारी हैं. केतन सोढा का बैकग्राउंड स्कोर द फैमिली मैन 2 में वैल्यू जोड़ता है.
हम यह कह सकते हैं कि सपोटिंग कास्ट के साथ मनोज और सामंथा द फैमिली मैन 2 को एक और ऊंचाई पर ले जाते हैं. ऐसे में अगर इस वीकेंड आप अपने समय का सही इस्तेमाल करना चाहते हैं, तो यह सीरीज आपके लिए एक सही चॉइस है.
PeepingMoon द फैमिली मैन 2 को 3.5 मून्स देता है