फिल्म: चेहरे
कास्ट: अमिताभ बच्चन, इमरान हाशमी, क्रिस्टल डिसूजा, रिया चक्रवर्ती, सिद्धांत कपूर और अन्नू कपूर
निर्देशक: रूमी जाफरी
रेटिंग: 4 मून्स
पुराने जमाने की मर्डर मिस्ट्री जॉनर को नए जमाने का ट्विस्ट, देते हुए रूमी जाफरी दर्शकों के लिए 'चेहरे' लेकर आये हैं. अमिताभ बच्चन, इमरान हाशमी, क्रिस्टल डिसूजा, रिया चक्रवर्ती, सिद्धांत कपूर, अन्नू कपूर, समीर सोनी, धृतिमान चटर्जी और रघुबीर यादव स्टारर इस फिल्म को मिस करना मुश्किल ही नहीं ना मुमकिन है.
2 घंटे-19 मिनट की इस फिल्म की शुरुआत समीर मेहरा (इमरान हाशमी) से होती है, जो बर्फीले रस्ते से गुजरते हुए एक शॉर्टकट लेकर शिमला से दिल्ली की यात्रा करता है. हालांकि, समीर की गाड़ी उसे धोखा दे देती है और बीच रस्ते में ख़राब हो जाती है. ऐसे में उसके पास रिटायर्ड जस्टिस जगदीश आचार्य (धृतिमान चटर्जी) का दरवाजा खटखटाने के अलावा कोई और विकल्प नहीं बचता है. समीर अपना परिचय एक ऐड एजेंसी एग्जीक्यूटिव के रूप में देता है. दोनों के बीच शुरुआत में बातचीत बेहद सामान्य होती है, लेकिन कहानी में यू टर्न तब आता है, जब आचार्य अपने दोस्तों, रिटायर्ड प्रोसिक्यूटर लतीफ जैदी (अमिताभ बच्चन), डिफेन्स लॉयर परमजीत सिंह भुल्लर (अन्नू कपूर) और जल्लाद हरिया जाटव (रघुबीर यादव) के साथ गेम खेलने के लिए आमंत्रित करता हैं.
समीर से उसके निजी जीवन और उसकी गर्लफ्रेंड नताशा ओसवाल (क्रिस्टल डिसूजा) के बारे में पूछने के बाद, लतीफ, हरिया, जगदीश और परमजीत उसे अपराध और न्याय के रियल लाइफ गेम में फंसा देते हैं. फिल्म में एक नकली ट्रायल के रूप में पेश किया गया खेल बोर्ड गेम क्लू जैसा दिखता है. समीर, जिसे अपराधी की भूमिका निभाने के लिए कहा जाता है, पहले तो उसे ये दिलचस्प लगता है लेकिन जल्द ही वह खुद को फंसा हुआ महसूस करने लगता है. वह भाई-बहन एना (रिया चक्रवर्ती) और जो (सिद्धांत कपूर) को भी चेतावनी देता है लेकिन इसका कोई फायदा नहीं होता है. कहानी में आगे जो होता है, वह है लतीफ द्वारा नियंत्रित समीर के जीवन में घटने वाली दिलचस्प और रोमांचकारी घटनाओं की एक श्रृंखला है.
फिल्म देख आपको यकीन हो जाएगा कि अगर आपने कोई अपराध किया है, तो आपको उसकी सजा इसी जीवन में ही भुगतनी होगी. फिल्म की शुरुआत जितनी मजेदार है, आपको उसकी एंडिंग भी उतनी ही रहस्यपूर्ण और दिलचस्प लगेगी. फिल्म दर्शकों को सच्चाई, झूठ, अपराध और न्याय के जाल में फसाएगी. हालांकि, चेहरे बिना किसी शक ओटीटी पर एक बड़ी और बेहतर रिलीज हो सकती थी.
इमरान हाशमी और अमिताभ बच्चन ने फिल्म को खूबसूरती से अपने कंधो पर संभाला है. फिल्म में बिना किसी किसिंग सीन के इमरान ने अपनी एक्टिंग का दम दिखाया है. लेकिन बिग बी ने 14 मिनट के लंबे मोनोलॉग के साथ सभी का ध्यान अपनी तरफ आकर्षित किया है. इसे उन्होंने एक टेक में दिया और उसे खुद ही लिखा है. यह आपको उनकी 2016 की फिल्म पिंक की याद दिलाएगी.
क्रिस्टल डिसूजा ने बेहद इम्प्रेसिव डेब्यू किया है और अपने एक्टिंग स्किल का प्रदर्शन किया है. अन्नू कपूर और धृतिमान चटर्जी अपनी भूमिका में शानदार हैं, हालांकि, बेहतरीन एक्टर रघुबीर यादव को अपनी भूमिका के साथ ज्यादा कुछ करने को नहीं मिला है. दूसरी तरफ रिया चक्रवर्ती अपने चेहरे पर रहस्य लेकर चलती हैं, लेकिन सिद्धांत कपूर के पास फिल्म में ज्यादा कुछ करने के लिए नहीं है.
रूमी जाफरी का निर्देशन एकदम सही है. इंटेलेक्टुअली पॉवरफुल फिल्म होने के रूमी ने इसे सादगी से बनाया है. लाइट हार्टेड कहानी को दर्शकों के लिए लाने वाले फिल्म निर्माता ने चेहरे जैसी मर्डर मिस्ट्री को बेहतरीन तरीके से पेश किया है. रंजीत कपूर और रूमी द्वारा लिखे डायलॉग्स बेहद प्रभावशाली हैं. सिनेमैटोग्राफर बिनोद प्रधान ने मुख्य रूप से एक बंगले में स्थित कहानी के होने के बावजूद फिल्म के सार को कुशलता से पकड़े रखा है. बोधादित्य बनर्जी ने अपनी एडिटिंग से फिल्म में रहस्य और रोमांचकारी अनुभव पैदा किया है. क्लिंटन सेरेजो द्वारा म्यूजिक और विशाल-शेखर और गौरव दासगुप्ता के सॉन्ग्स फिल्म को सही दिशा में ले जाते हैं. चेहरे के टाइटल ट्रैक के साथ अमिताभ बच्चन ने कई सालो बाद कविता लिखी है, जिसे विशाल-शेखर द्वारा कंपोज़ किया गया है.
अगर आप लम्बे समय बाद किसी रहस्य और रोमांच से भरी मर्डर मिस्ट्री को एन्जॉय करना चाहते हैं, तो इमरान हाशमी और अमिताभ बच्चन की चेहरे एक सही चॉइस है.
PeepingMoon चेहरे को 4 मूंस देता है!