फिल्म: 200 हल्ला हो
कास्ट: रिंकू राजगुरु, अमोल पालेकर, बरुण सोबती, साहिल खट्टर, इंद्रानील सेनगुप्ता, फ्लोरा सैनी, सलोनी बत्रा, उपेंद्र लिमाये
डायरेक्टर: सार्थक दासगुप्ता, अलोक बत्रा
ओटीटी: जी5
रेटिंग्स: 3.5 मून्स
आज, भले ही हम एक ऐसे समाज में रहते हैं जहाँ महिलाओं को समान अधिकार दिए जाते हैं और उन्हें सेफ्टी का ध्यान रखने की बातें होती है. लेकिन इस सब के बावजूद महिलाओं के खिलाफ अपराध बड़े पैमाने पर होते हैं. Zee5 की ओरिजिनल फिल्म '200 हल्ला हो' एक ऐसी घटना से हमें रूबरू कराती है जहां महिलाएं अत्याचार, बलात्कार और हत्याओं से छुटकारा पाने के लिए कानून को अपने हाथों में लेती हैं. नागपुर की एक रियल घटना पर बेस्ड '200 हल्ला हो' महिलाओं के दर्द की वो कहानी है, की वो दर्द इंतेहा पार कर देता है तो कैसे महिलाएं एक सीरियल रेपिस्ट की हत्या कर देती हैं. ये रेपिस्ट लगभघ 15 सालों से महिलाओं की जिंदगी को नर्क बना देता है. यह फिल्म हमारे देश में जातिवाद भेदभाव को दिखाते हुए कई सवाल उठाती है. ये फिल्म उन दलित समाज की महिलाओं की आवाज उठाती है जो अक्सर शोषण का शिकार होती है. पर शायद ही कभी उनकी आवाज सुनी जाती है.
फिल्म की कहानी भीड़ और चिल्लाती हुई महिलाओं से शुरु होती है जिसके बाद पुलिस स्टेशन और कोर्ट रूम का सीन देखने को मिलता है. नाक पर रुमाल बांधें पुलिस वाले जब कोर्ट रूम जाते हैं तब उन्हें बल्ली चौधरी की कटी लाश मिलती है. बल्ली को मारते समय उसके इतने टुकड़े कर दिए जाते हैं कि खुद पुलिस वाले यह देखकर हैरान रह जाते हैं. पुलिस वालों के लिए इसे हत्या कहना बेहद कठिन था क्योंकि कोर्ट रूम में पुलिस कस्टडी के अंदर 200 महिलाओं के झुंड ने बल्ली को मौत के घाट उतार दिया था. इससे प्रशासन के ऊपर एक बड़ा सवाल खड़ा हो गया था. इसी बीच इंस्पेक्टर पाटिल राही नगर की दलित महिलाओं का नाम लेते हैं. जो इस कहानी को नया रुख देता है.
बल्ली की मौत के बाद पुलिस बार बार राही नगर की महिलाओं पर बल्ली की हत्या का प्रेशर डालती है. 5 महिलाओं को पुलिस पकड़ कर ले जाती है जो मारना शुरू कर देती है. जिसके बाद अमोल पालेकर रिटायर्ड जज एक फैक्ट चैक कमेटी का हिस्सा बनते हैं और महिलाओं को न्याय दिलवाने की कोशिश करते हैं, लेकिन राही नगर की दलित महिलाएं इस फैक्ट चैक कमेटी का साथ नहीं देती हैं और पाचों महिलाओं को कोर्ट उम्र कैद की सजा सुना देती है. इस दौरान रिटायर्ड जज को एक ही बात सताती है कि आखिर ये 5 महिलाएं ही क्यों? जबकि बल्ली को 200 महिलाओं के झुंड ने मारा. सभी का चेहरा काले कपड़े से ढका था, लेकिन इन महिलाओं ने बल्ली को मारा ही क्यो ? जबकि वह पहले से ही वह पुलिस कस्टडी में था. जिसके बाद रिटायर्ड जज राही नजर खुद जाकर मामले की छानबीन करते हैं. बाकी फिल्म न्याय की लड़ाई और मामले में महिलाओं को बरी करने की कोशिश से संबंधित है. बरुन सोबती ने 200 में दलित महिलाओं के बरी होने के लिए लड़ने वाले वकील उमेश जोशी की भूमिका में है. हल्ला हो में रिंकू और बरुण के बीच एक प्यारी सी लव स्टोरी भी दिखाई गई है जो आपके दिलों को छू लेगी क्योंकि यह शुरू से ही जातिवाद के कारण काफी कुछ झेलते है. बरुण एक ब्राह्मण की भूमिका निभा रहा है जबकि रिंकू निचली जाति से है.
200 हल्ला हो की जान अनुभवी कलाकार अमोल पालेकर हैं. विट्ठल दांगड़े सीनियर रिटायर्ड जज यानी अमोल दलित है. जो इस पूरे मामले की तह तक जाता है. अमोल पालेकर एक्टिंग के मामले में टॉप पर हैं. वह कही भी एक सीन में भी नहीं चूकते है. उन्होंने एक बार फिर अपने किरदार को यादगार बना दिया. बरुण उमेश जोशी के किरदार में जमें है. वे हर सीन में बहुत शानदार और अद्भभूत है. वहीं रिंकू अपनी एनर्जी, उत्साह और मजबूत इरादों के साथ फिल्म की ताकत बनीं है. रिंकू आशा के किरदार में नजर आती हैं जो सभी महिलाओं के लिए आवाज उठाती हैं. वहीं पुलिस अधिकारी के रूप में इंद्रनील सेनगुप्ता बिल्कुल फिट बैठे है.
सार्थक दास गुप्ता का डायरेक्शन बहुत सटीक और कट टू कट है. सार्थक ने स्क्रिप्ट को बहुत मजबूत बनाया है. कही भी ये कसावट ढ़ीली नहीं होती है. राइटर्स अभिजीत दास, सौम्यजीत रॉय और दासगुप्ता ने एक फीचर फिल्म में एक सच्ची कहानी को बुनने का सराहनीय काम किया है, जो निश्चित रूप से दर्शकों को सोचने पर मजबूत करेंगी.
'200 हल्ला हो' हमारे ज्यूडिशियल सिस्टम पर तंज कसने के साथ साथ हमारे भारतीय समाज से सवाल भी पूछती है. फिल्म एक सराहनीय पहल है. ये देखें जाने वाली फिल्म है.
PeepingMoon.com '200 हल्ला हो' 3.5 मून्स देता है.