प्रसिद्ध हस्तियों पर बायोपिक हमेशा फिल्मेकर्स के लिए एक फेसिनेटिंग टॉपिक रहा हैं. चाहे एक पॉलिटिकल शख्सियत हो या स्पोर्ट्स पर्सनालिटी दर्शकों को बड़े पर्दे पर उनकी सफलता की जर्नी देखना हमेशा अच्छ लगता हैं. अब ओलिंपिक मेडेलिस्ट और पदमश्री भारतीय वेटलिफ्टर कर्णम मल्लेश्वरी के 45 वें जन्मदिन पर सोशल मीडिया पर उनकी बायोपिक की घोषणा की गई हैं. इस फिल्म का ऐलान इसके एक पोस्टर के साथ किया गया था. फिल्म संजना रेड्डी द्वारा निर्देशित और संयुक्त रूप से Kona फिल्म कॉर्पोरेशन और MVV सत्यनारायण द्वारा निर्मित होगी. कोना वेंकट बायोपिक के लेखक के रूप में भी काम करेंगे. कर्णम मल्लेश्वरी की बायोपिक के फिल्ममेकर्स ने फिल्म का एक पोस्टर शेयर कर फिल्म की घोषणा की.
On her birthday today, we proudly announce our next, a biopic on @kmmalleswari, FIRST Indian woman to win a medal at Olympics. A multilingual PAN Indian movie! #HBDKarnamMalleswari
️ by @konavenkat99
by @sanjanareddyd
by @MVVCinema_ & @KonaFilmCorp.#MVVSatyanarayana pic.twitter.com/W2qsBft9iL— KonaFilmCorporation (@KonaFilmCorp) June 1, 2020
वहीं फिल्म के अनाउंसमेंट के बाद एक लीडिंग वेबसाइट की रिपोर्ट के मुताबिक, 'फिल्म में लीड रोल के लिए तापसी पन्नू और रकुल प्रीत सिंह के नामों पर विचार किया जा रहा है. साउथ की फिल्मों में सक्रिय तापसी और रकुल दौड़ में सबसे आगे हैं. बता दें तापसी पन्नू पहले ही इस तरह की कई फिल्मों में काम कर चुकी हैं. वहीं निर्माता रकुल प्रीत सिंह पर भी विचार कर रहे हैं, जो हमेशा फिटनेस को लेकर जागरूक रहती हैं.'
बता दें कि, आंध्र प्रदेश के एक छोटे से गांव वूसावानिपेटा पैदा होने वाली मल्लेश्वरी के परिवार वालों ने कभी नहीं सोचा था कि यह लड़की एक दिन उनका ही नहीं बल्कि पूरे देश का नाम रोशन करेगी. महज 12 साल की उम्र में कोच नल्लामशेट्टी अप्पन्ना के संरक्षण में मल्लेश्वरी ने वेटलिफ्टिंग में प्रशिक्षण शुरू किया. कर्णम मल्लेश्वरी की प्रतिभा को ‘अर्जुन पुरस्कार’ विजेता मुख्य राष्ट्रीय कोच श्यामलाल सालवान ने पहचाना, जब वह अपनी बड़ी बहन के साथ 1990 में बंगलौर कैम्प में गई थीं. बस यहीं से उनका खेल प्रेम जाग उठा और वह पूरी तरह खेल में रम गईं उनकी मेहनत रंग लाई और मात्र एक वर्ष में भारतीय टीम की दावेदारी में आ गईं. 1993 में मल्लेश्वरी ने विश्व चैम्पियनशिप में तीसरा स्थान हासिल किया और उसके बाद 1994 और 1995 में 54 किग्रा डिवीजन में विश्व खिताब की एक श्रृंखला के साथ, 1996 में फिर से तीसरे स्थान पर रहीं. उन्होंने 1994 और 1998 के एशियाई खेलों में दो सिल्वर भी हासिल किए, और 1999 में उन्हें पद्म श्री से सम्मानित किया गया. वर्ष 2000 के सिडनी ओलंपिक में भारत की कर्णम मल्लेश्वरी ने भारोत्तोलन में कांस्य पदक जीतकर पदक तालिका में भारत का नाम जुड़वाया. इस ओलंपिक में भारत को मिलने वाला यह मात्र एक मात्र पदक था और यह कांस्य पदक ‘लौह महिला’ कर्णम मल्लेश्वरी ने दिलाया था. मल्लेश्वरी ने महिलाओं के 69 किग्रा वर्ग में कांस्य पदक जीतकर नया इतिहास रचा था. वह ओलिंपिक पदक जीतने वाली भारत की पहली महिला बनी थीं. उस समय वह व्यक्तिगत पदक जीतने वाली चौथी भारतीय थीं. अंतिम प्रयास में मल्लेश्वरी ने 110 किग्रा भार उठाया. इसके बाद चार भारोत्तोलक आईं लेकिन 100 किग्रा. से ऊपर नहीं जा पाईं. मल्लेश्वरी ने 2000 के ओलिंपिक के बारे में कहा, मेरे पास स्वर्ण पदक जीतने का एक मौका था, क्योंकि मैंने बहुत कठिन प्रशिक्षण लिया था. लेकिन मुझे नहीं पता था कि मैं सिडनी जाऊंगी या नहीं. मैं भावनात्मक रूप से परेशान थी और इसने मेरे काम को प्रभावित किया.'
(Source: Twitter/New Indian Express)