फिल्म: मास्टर
कास्ट: विजय, विजय सेतुपति, मालविका मोहनन, अर्जुन दास, एंड्रिया, शांथनु, गौरी किशन
निर्देशक: लोकेश कनगराज
रेटिंग: 3 मून्स
विजय और विजय सेतुपति की मास्टर ने शुभ पोंगल त्योहार पर दर्शकों को सिनेमाघरों तक लाया. फिल्म में हीरो की एंट्री, लॉकडाउन के बाद दर्शकों के लिए किसी जश्न के जैसा लग रहा है. लोकेश कनगराज ने वादा किया था कि विजय की फिल्म उनके द्वारा की गयी बाकी फिल्मों से अलग होगी, और उन्होंने अपना यह वादा निभाया है. विजय द्वारा की गयी मास्टर शायद सबसे मजेदार, समझदार और शानदार दिखने वाली फिल्म है. ऐसे में लोकेश ने विजय के सामने बतौर मजबूत किरदार दिखाने के लिए विजय सेतुपति को विलन की भूमिका में लिया.
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लोकेश का मास्टर सेतुपति के भवानी खलनायक अवतार की स्थापना के साथ शुरू होता है. भवानी एक शक्तिशाली विरोधी है, जो अपने परिवार को मारने वाले पॉवरफुल लोगों द्वारा जुवेनाइल होम में भेजे जाने के बाद, वहीं बड़ा होता है. जुवेनाइल होम में कठिन हालात में रहने की वजह से भवानी कठोर और राक्षस बन जाता है, जिसपर सिस्टम अंकुश लगाना चाहता है. भवानी अपने लिए जुवेनाइल उपद्रवियों का इस्तेमाल करता है और रिमांड होम के अंदर अपने आपराधिक उद्यम का निर्माण करता है.
ऐसे में अब विजय के किरदार जेडी उर्फ जॉन दुर्यराज की एंट्री होती है, जिसका सेतुपति से आमना-सामना होता है. चेन्नई के एक लोकप्रिय कॉलेज में एक अनियंत्रित प्रोफेसर की भूमिका निभाते हुए, जेडी छात्रों द्वारा पसंद किया जाता है और कॉलेज प्रबंधन द्वारा उसके शराब पिने की आदत की वजह से ना पसंद किया जाता है. वह मनोविज्ञान का प्रोफेसर होता है और एक विषय के रूप में ध्यान केंद्रित करना सिखाता है, कुछ ऐसा जो वह खुद नहीं कर सकता. वह उपदेश देता है लेकिन अपने नियमों का पालन खुद नहीं करता और उसे इस तरह से आसानी से एक पाखंडी के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है. जेडी खुद को बहुत गंभीरता से नहीं लेता है, लेकिन समय उसे ऐसे मोड़ पर लेकर आता है कि वह बच्चो को भवानी की क्राइम की दुनिया से बचाने के लिए सामने आता है.
फिल्म में विजय का प्रदर्शन शानदार है और उनका डांस कमाल का. वह कॉलेज के सीन्स में उबेर कूल है और दर्जनों लोगों पर अपनी सलाह से प्रभाव डालने का काम भी करते हैं. हालांकि, विजय सेतुपति ने सभी का ध्यान अपनी तरफ खींचा है. फिल्म में सेतुपति का किरदार उसकी क्रूरता से अधिक गहन और भयावह बनती है. दोनों पावरहाउस एक्टर्स के बीच का आखिरी टकराव फिल्म को अपने चरम पर पहुंचाता है.
लोकेश कनगराज मास्टर के साथ लिटमस टेस्ट पास करने का प्रबंधन करते हैं. वह नायक और खलनायक के लिए दो विविध सीन स्वर लाता है- विजय के लिए शांत नीला और सेतुपति के लिए लाल उग्र. हालांकि, जो उन्होंने कमाल का काम किया है वो है दोनों किरदारों के बीच समानता. जेडी और भवानी एक ही सिक्के के दो पहलू हैं, और एक रेलवे ट्रैक के समानांतर लाइनों की तरह हैं. लोकेश की राइटिंग उनके को-राइटर रत्ना कुमार और पोन पार्थीभान ने विजय के बेस्ट मूव्स को ध्यान में रखा है और इस तरह से फिल्म एक्टर के फैंस के लिए किसी तोहफे के तरह होने वाली है.
हालांकि, मास्टर फैंस के लिए एक लिप-सर्विस की तरह बनाकर आता है, जो फिल्म के प्रभाव को कम करता है. फिल्म जेडी की ज्यादा शराब पीने के पीछे की वजह को स्थापित करने के लिए थोड़ी खींची हुई लगती है. एंड्रिया, शांथनु, गौरी किशन और श्रीमान जैसे सपोर्टिंग किरदार दिखावे की तुलना में और शायद ही प्लॉट के लिए महत्वपूर्ण हैं. यहां तक कि फीमेल लीड मालविका मोहनन का किरदार तुलनात्मक रूप से कोई भावपूर्ण भूमिका नहीं है. अनिरुद्ध रविचंदर का फुट-टैपिंग संगीत शानदार है.
PeepingMoon.com मास्टर को 3 मून्स देता है.