फिल्म: मीनाक्षी सुंदरेश्वर
कास्ट: न्या मल्होत्रा और अभिमन्यू दसानी
डायरेक्टर: विवेक सोनी
ओटीटी: नेटफ्लिक्स
रेटिंग: 3.5 मून्स
लॉन्ग डिस्टेंस रिलेशनशिप में होने के साथ-साथ कई तरह की समस्याएं भी आती हैं, लेकिन अगर इसे सही तरीके से बनाए रखा जाए तो यह रोमांचक भी हो सकता है. नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुई सान्या माल्होत्रा और अभिमन्यू दसानी की फिल्म मीनाक्षी सुंदरेश्वर में लॉन्ग डिस्टेंस रिलेशनशिप में आने वाली दिक्कतों की पूरी दास्तान है. डायरेक्टर विवेक सोनी की यह फिल्म एक न्यूलीवेड्स जोड़े की कहानी है. जो लॉन्ग डिस्टेंस रिलेशनशिप से निपटते है. फिल्म में बड़ी खूबसूरती से बताया कि कैसे दो नवविवाहितों को अपनी नौकरी के लिए अलग रहने पर मजबूर होने के बाद परेशानियों, दुख, अकेलेपन का सामना करना पड़ता है.
तमिल कल्चर पर बेस्ड 2 घंटे 21 मिनट की ये फिल्म सुपरस्टार रजनीकांत की बहुत बड़ी फैन मीनाक्षी (सान्या मल्होत्रा) और कोडिंग लवर सुंदरेश्वर (अभिमन्यु दासानी) की कहानी है. दरअसल एक अरेंज मैरिज में मीनाक्षी (सान्या मल्होत्रा) की शादी सुंदरेश्वर (अभिमन्यू) से होती है. लेकिन ये इत्तेफाक होता है कि लड़के के घरवाले गलत लड़की के घर चले जाते है, फैमिली वाले लड़के लड़की को बातचीत के लिए अलग रूम में भी भेज देते हैं और बाद में पता चलता कि उन्हें किसी और घर में जाना था लेकिन मीनाक्षी के घर के मुखिया को लगता है कि ये तो भगवान की मर्जी है क्योंकि उनके नाम मीनाक्षी सुंदरेश्वर भगवान शिव और पार्वती के प्रसिद्ध मदुरै मंदिर के नाम से मेल खाते हैं, उनके परिवार उनकी शादी करने के लिए सहमत हो जाता है.
खैर शादी होती है...सुंदेश्वर को शादी के बाद इंटर्नशिप मिल जाती है जहां उसे ये नहीं बताना होता है कि वो शादी शुदा है. इसिलए मीनाक्षी को भी अपने साथ नहीं रख सकता. मीनाक्षी अपने ससुराल वालों के साथ मदुरै में रहती है. फिल्म तब रिश्ते की यात्रा बताती है क्योंकि वे लंबी दूरी की शादीशुदा जिंदगी में तालमेल बिठाना सीखते हैं. कई उतार-चढ़ावों के बावजूद, मीनाक्षी और सुंदर अपने लॉन्ग डिस्टेंस रिलेशनशिप को अपनी शादीशुदा जीवन को कैसे ठीक रखते है. यही फिल्म मेंताजगी और दिल को छू लेने वाले तरीके से दिखाया गया है.
विवेक सोनी के निर्देशन में जो सबसे अच्छा है वह यह है कि रोमांटिक कॉमेडी ऑन-स्क्रीन कपल की इनसिक्योरिटीज, कलह, खामियों और असमानताओं के बीच सान्या और अभिमन्यु की दिल को छू लेने वाली प्रेम कहानी को उजागर करती है. लेकिन फिल्म का विनर वही होना चाहिए जिस तरह से इसे फिल्म को दिखाया गया है. तमिल संस्कृति के खिलाफ सेट होने के बावजूद, फिल्म में कोई रूढ़िवादिता नहीं है, जैसा कि हमने कई अन्य बॉलीवुड फिल्मों में देखा है. उच्चारण नहीं बदला है और तमिल का उपयोग बहुत कम है. फिल्म आपको बांधें रखने में कामयाब होती है.
एक्टिंग की बात करें को अपनी पहली मर्द को दर्द नहीं होता के बाद अभिमन्यु की ये दूसरी फिल्म, मीनाक्षी सुंदरेश्वर उनके सर्वश्रेष्ठ को सामने लाती है. अपनी पत्नी को खुश रखने के लिए संघर्ष कर रहे एक साधारण तमिल लड़के के रूप में अभिमन्यु अपना काम बखूबी करते हैं. इससे भी अच्छी बात यह है कि एक्टर अपने कैरेक्टर में अच्छी तरह से घुलमिल जाते है. वे अपने किरदार में कमाल के लगे है.
सान्या फिल्म दर फिल्म निखर रही है. वो अपना बेस्ट देती हैं. उनका पार्ट बिल्कुल परफेक्ट है और फिल्म को एक नया नजरिया पेश करता है. हालांकि, जो चीज शो को चुरा लेती है, जब मीनाक्षी अपने लिए एक स्टैंड लेती है और बुआ को बोलती है कि अगर टाइम से मंदिर जाने की बजाय टाइम के साथ बदल गए होते तो ठीक होता. सान्या और अभिमन्यु एक-दूसरे के साथ परफेक्ट लगे है. दोनो की केमिस्ट्री प्यारी और दिल को छू लेने वाली दिखीं है. सपोर्टिंग कास्ट पूर्णेंदु भट्टाचार्य, रितिका श्रोत्री, शिवकुमार सुब्रमण्यम और सुकेश अरोड़ा ने शानदार काम किया है.
फिल्ममेकर विवेक सोनी का निर्देशन अपनी पहली फिल्म में अच्छी गति से आगे बढ़ता है. विवेक और अर्श वोरा द्वारा लिखित, फिल्म की कहानी सिंपल है. इसमें कई कैरेक्टर्स शामिल नहीं हैं. जस्टिन प्रभाकरन का म्यूजिक फिल्म में एक ऐड-ऑन है. सिनेमैटोग्राफर देबोजीत रे ने दक्षिण भारत को कुशलता से कैप्चर किया हैं. और सबसे बढ़कर, प्रशांत रामचंद्रन की एडिटिंग जादू करती है. मीनाक्षी सुंदरेश्वर की शादी और प्यार के जश्न मनाने के लिए फिल्म देख सकते है क्योंकि ''इंजीनियर मेक द बेस्ट हस्बैंड'
पीपिंगमून ने 'मीनाक्षी सुंदरेश्वर' को देता है 3.5 मून्स