15 जुलाई को 'इश्कबाज' एक्ट्रेस श्रेनु पारिख के कोविड- 19 पॉजिटिव आने की खबर सामने आयी थी. इसके बाद श्रेनु के फैंस उनके ठीक होने की प्रार्थना करने लगे. एक हफ्ते से भी कम समय अस्पताल में रहने के बाद श्रेनु को छुट्टी मिल गयी है. सोशल मीडिया पर अपनी तस्वीर शेयर करते हुए उन्होंने अस्पताल से छुट्टी मिलने की जानकारी दी थी. वहीं श्रेनु ने एक लीडिंग वेबसाइट से बात करते हुए कोरोना के डर की अपनी जर्नी को शेयर किया.
श्रेनु पारिख ने कहा कि, '4 जुलाई को मुझे ठंड पकड़ ली थी..और मुझे लगा की ये मौसम का असर है...मेरे पास विकोरील टैबलेट था . मैं दवाई खाकर सो गई थी. पर जब ये तीन दिनों तक जारी रहा और मुझे बीच बीच में खांसी भी हो रही थी. तब...मैंने पहले से ही एहतियात के तौर पर परिवार से दूर रहना शुरू कर दिया था. हालाँकि मेरी माँ को लगा था कि मैं बहुत निगेटिव सोच रही हूं....पर मैं अवेयर थी कोरोना के सिम्टम्स को लेकर तो मैंने ऐसा किया...फिर 7 जुलाई को मुझे बुखार हो गया और मैंने Dolo टैबलेट लेना शुरू कर दिया...मैंने डॉक्टरों से फोन पर सलाह ली थी, क्योंकि डॉक्टर के पास जाना भी सेफ नहीं था. फिर भी मेरा बुखार नहीं उतरा और मुझे सच मे कोरोना होने का बिल्कुल यकीन नहीं था...क्योंकि मैंने मुश्किल से अपने घर से बाहर कदम रखा था. बुखार होने पर भी मैं नियमित रूप से प्राणायाम और योग कर रहा था, और इसीलिए शायद मैं थोड़ा बेहतर महसूस कर रही थी.'
श्रेनु पारिख ने आगे कहा कि, 'लेकिर फील तब हुआ जब मैं अपनी ब्लैक कॉफ़ी पी रही थी पर मुझे उसकी स्मैल फील नहीं हुई, तब मेरे भाई ने कहा कि तुम्हे सर्दी में कौन सी स्मैल फील होगी...लेकिन फिर, हमने परफ्यूम और सैनिटाइज़र से लेकर रूम फ्रेशनर तक सब कुछ आज़माया और मुझे कुछ भी स्मैल फील नहीं हुई......चूंकि मेरे में कोरोना के सभी लक्षण थे, इसलिए मैंने डॉक्टर की सहमति से कोरोना टेस्ट कराने का फैसला किया. वे 24 घंटे मेरे जीवन के सबसे बुरे थे, क्योंकि मैं उस समय इतनी चिंतित, नर्वस और डरी हुई थी..जितना कभी नहीं हुई. अगली सुबह, मैं बेहतर महसूस कर रही थी, तब मैंने सोचा की, शायद वायरल ही था...अब ठीक हो गया हो. पर ये एक थोड़े टाइम के लिए खुद को तसल्ली देने जैसा था. फिर 10 जुलाई की सुबह, मुझे अपने डॉक्टर से फोन आया और उन्होने बताया कि मेरी टेस्ट रिपोर्ट पॉजिटिव आई है.'
श्रेनु पारिख ने आगे कहा कि, 'डॉक्टर की कॉल के बाद, मैं बस पूरी तरह से शॉक्ड हो गई और कुछ घंटों के लिए अहसास नहीं हुआ...लेकिन मुझे उस समय स्ट्रॉन्ग रहने की जरूरत थी. मैंने अपनी माँ को अपने कमरे के अंदर से बुलाया, जो रसोई में थी, और उन्हे समझाया...वह यह भी नहीं जानती थी कि कैसे रिएक्ट करे. मेरे माता-पिता ने तुरंत अपने ऑफिस को ये इन्फॉर्म किया...हमने अपने नौकरानियों को भी इन्फॉर्म किया, उन्हें घर आने के लिए मना किया. मुझे अपना सामान लेकर एक COVID अस्पताल जाने के लिए कहा गया.लेकिन तब भी मेरे लिए ये यकीन कर पाना मुश्किल था की मुझे कोरोना है. फिर अस्पताल में, कोई बिस्तर उपलब्ध नहीं थे...और भी कई दिक्कतें आई...भर्ती होने के बाद, जब मेरा भाई चला गया, तो जब मैंने वास्तविकता का सामना किया. यह इस तरह के समय के दौरान होता है जब आपकी इच्छाशक्ति बढ़ती है..मैंने बहुत सारे इमोशन्स को फील किया इस दौरान. मैंने केवल एक बार बाहर कदम रखा था, और मुझे यकीन नहीं है कि अगर मैंने इसे शूट के दौरान पकड़ा तो क्या होता...मैंने अस्पताल में लगभग एक सप्ताह बिताया, और वहां के लोग मेरे लिए एक परिवार की तरह हो गए थे.'
(Source: TOI)