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'तारक मेहता का उल्टा चश्मा' के जेठालाल यानी दिलीप जोशी ने अपने करियर के शुरुआती दिनों को किया याद, बताया- 'प्रति रोल मिलते थे 50 रुपए'

'तारक मेहता का उल्टा चश्मा' फेम जेठालाल उर्फ दिलीप जोशी आज किसी पहचान के मोहताज नहीं है. लेकिन बोलने है ना सफलता के पीछे की कहानी हमेशा बहुत संघर्षो भरी होती है. हाल ही में दिलीप जोशी ने अपनी इस संघर्ष भरी कहानी का खुलासा किया है. दिलीप ने अपने करियर के शुरुआती दिनों को याद करते हुए बताया कि एक वक्त था, जब उन्हें कोई काम नहीं देता था. वे कॉमर्शियल थिएटर में बैकस्टेज आर्टिस्ट के तौर पर काम करने को मजबूर थे. यह बात दिलीप ने एक कॉमेडियन सौरभ पंत के पॉड-कास्ट में बताई.

बात करते हुए दिलीप जोशी ने कहा, 'मैंने करियर की शुरुआत कॉमर्शियल स्टेज में बैकस्टेज आर्टिस्ट के तौर पर की थी. कोई मुझे रोल नहीं देता था. मुझे प्रति रोल 50 रुपए मिलते थे.  लेकिन उस समय थिएटर करने का पैशन था. मैंने इस बात की परवाह नहीं की कि मुझे बैकस्टेज रोल मिलते थे. बड़े रोल भविष्य में मिलेंगे, लेकिन मैं थिएटर से चिपका रहना चाहता था.'

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दिलीप जोशी ने आगे कहा कि, 'मैंने 25 साल तक गुजराती थिएटर में काम किया। मेरा आखिरी प्ले 'दया भाई' था, जो 2007 में पूरा हुआ था. साल 2008 में मैंने तारक मेहता का उल्टा चश्मा' के लिए रविवार समेत हर दिन 12-12 घंटे शूटिंग शुरू किया था. थिएटर के लिए आपको अलग तरह का अनुशासन चाहिए. आपके पास वीकेंड के साथ-साथ वीक-डेज में भी शो होते हैं. इसलिए थिएटर और टीवी को मैनेज करना मुश्किल हो गया. मैं थिएटर को बहुत मिस करता हूं.'

बता दें कि, दिलीप जोशी सबसे पहली बार फिल्मों में नजर आए थे. दिलीप 'मैंने प्यार किया', हम आपके हैं कौन', 'यश', 'फिर भी दिल है हिंदुस्तानी', 'खिलाड़ी 420' और 'हमराज' जैसी फिल्मों में नजर आ चुके है. वहीं टीवी की बात करें तो दिलीप ने सबसे पहले साल 1995 में शो 'कभी ये कभी वो' में काम किया था. इसके बाद वह 'कोरा कागज', 'हम सब एक हैं', 'सीआईडी', 'एफआईआर' जैसे धारावाहिकों में भी नजर आए पर दिलीप को सही मायनो में पहचान 'तारक मेहता का उल्टा चश्मा' से ही मिली है.  
(Source: Sorabh Pant podcast)

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