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PeepingMoon Exclusive: 'जननायक सॉन्ग से यंग जनरेशन इंस्पायर्ड होने के साथ अपनी विचारधारा को भी बदलेगी': लिरिसिस्ट कौशल किशोर

बिहार के ढाका के रहने गीतकार कौशल किशोर कोरोना काल में अपने गाने 'मुस्कुराएगा इंडिया' से लोगों का दिल जितने का बाद अब फिर अपने नए गाने 'जन नायक’ के साथ हाजिर है.  फिल्म नोटबुक के  बुमरो बुमरो गाने को लिखने वाले कौशल को पहला ब्रेक मलयालम फिल्म 'गांधार' से मिला था इसके बाद कौशल ने  अपने कौशल से बॉलीवुड में अलग मुकाम बनाया है. पीपिंग मून ने लेखक और लिरिसिस्ट कौशल किशोर से एक्सक्लूसिव बातचीत की है. इस दौरान कौशल ने अपने सफर, अपने नए सॉन्ग के साथ साथ यंग राइटर्स के लिए कुछ जरूरी टिप्स भी साझा किए है. 

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सवाल- आप बिहार के ढाका से हैं. 17 साल की उम्र में मुंबई आए. घर में पहला कैसा रिएक्शन था जब आपने बोला की मुंबई जाना हैं, राइटर बनना हैं ? 
कौशल- मेरे घर में ऐसी कोई दिक्कत नहीं हुई थी, क्योंकि पापा मेरे खुद राइटर थे और पापा को कभी इस तरह से मौका मिला नहीं अपने हुनर को दिखाने का, उनको कहीं ना कहीं था कि मेरा बेटा मेरा ड्रीम पूरा करेगा. पापा बोलते नहीं थे लेकिन मैंने हमेशा उनकी आखों में देखा है कि वो अपना सपना मेरे में जीते है, तो उन्होंने मुझे कभी रोका नहीं बहुत सपोर्ट किया मुझे. हद से ज्यादा सपोर्ट किया मुझे और उन्होने कभी ये भी नहीं बोला की पहले अपनी पढ़ाई पूरी करो या ये कर लो वो कर लो. बल्कि उन्होने कहा कि तुम्हें जो करना है करो ये दुनिया तुम्हारी है आसमां तुम्हारा है. ट्राई करो जो तुम्हे करना हैं मैं तुम्हारे साथ खड़ा हूं. जब तुम्हे लगे नहीं हो रहा है. मेरे पास आ जाना मैं सम्भाल लूगा तुम्हे. तो मैं बहुत ब्लेस्ड रहा हूं इस मामले में. 

सवाल- लॉकडाउन के दौरान आया आपका सॉन्ग 'मुस्कुराएगा इंडिया' काफी हिट रहा था. उस दौरान इस गाने लोगों को बहुत पॉजिटिवी दी थी. वहीं 'जननायक' भी लोगों में उत्साह भर देने वाला गाना है. बिहार के दिवंगत सीएम कर्पूरी ठाकुर जी को ये गाना आपने समर्पित किया है. आप खुद बिहार से है तो कितना इंस्पायर्ड है कर्पूरी ठाकुर जी के जीवन से ?
जवाब- मैं बिहार से हूं और कर्पूरी ठाकुर जी के सम्मान में लिखने का अवसर मिलना मेरे लिए किसी सौभाग्य से कम नहीं है. मैं बचपन से उनके विचारों से बहुत सहमत रहा हूं. पापा हमेशा उनकी कहानियां सुनाते रहते थे. लेकिन मैंने उनको करीब से तब जाना जब मुझे उनसे रूबरू होने का मौका मिला. एक बार में उनके गांव गया था वहां जाकर मुझे एहसास हुआ कि आज जब लोग छोटी-छोटी पोस्ट पर पाकर अपने आप को सजाने संवारने में लगे रहते हैं  कर्पूरी ठाकुर जी इतने बड़े आदमी हो कर भी सिर्फ देश के हित के बारे में सोचते थे. उनके बारे में जितना भी कहें उतना ही कम है. जब मैंने जननायक गाना लिखा तो मुझे उनकी राजनीति के तरीके को जानने का भी मौका मिला, उनके विरोधी भी उनके सामने एकदम नतमस्तक रहते थे. उनकी बात से सहमत रहते थे. और मुझे यकीन है कि आज का युवा उनकी यात्रा से प्रेरित होगा और निश्चित रूप से राष्ट्र को चलाने के लिए अपनी विचारधाराओं को शामिल करेगा.

सवाल- हालिया सॉन्ग कोई आपने सुना हो और आपको एक दम बहुत अच्छा लगा हो ? 
जवाब- मुझे कबीर सिंह के गाने बहुत अच्छे लगे थे. एकदम फील करने वाले और ओरिजिनल सॉन्ग थे, सुनकर मजा आ गया था. 

सवाल- अपनी जर्नी के बारे में बताएं ? 
कौशल- 'गांधार' फिल्म में अमिताभ बच्चन जी और मोहनलाल जी थे. मोहनलाल जी के प्रोडक्शन हाउस की फिल्म थी और मोहन लाल जी ने ही मुझे ब्रेक दिया था और बहुत कम उम्र का था उस समय मैं. उनको भरोसा था मुझपर. मोहन लाल जी को मेरी राइटिंग पसंद आई थी. मैंने कुछ मेल वगैरह किए थे उनको, तो उन्होने मुझे मौका दिया. फिर मोहन लाल जी ने समीर चढ्डा जो म्यूजिक डारेक्टर है उनको बोला की इस लड़के से ट्राई करवाओं कुछ लिखवाओं . ये अच्छा लिख सकता हैं. हुनर हैं इसमें. तो मैंने लिखा सबको बहुत पसंद आया. ब्रेक मिला मुझे साल 2010 में कैलाश खैर ने गाया था वो गाना. फिर साल 2011 में एक फिल्म आई थी 'बबल गम' छोटी सी फिल्म थी पर बड़ी प्यारी फिल्म थी और लोगों ने बहुत पसंद किया था फिल्म को. उसके बाद मैंने र भी 2  3 फिल्में की. फिर एक मैंने एक सीरीयल लिखा 'भारत की शान' डीडी नेशनल पर आता था. मैं काम कर रहा था पर कही ना कही लग रहा था की ये मेरा बेस्ट नहीं है. मुझे अभी और पढ़ना चाहिए मैं तो सीधे आ गया हूं. अभी किताबें भी बहुत सारी नहीं पढ़ी हैं . फिर मैंने एक ब्रेक लिया. ब्रेक लेने के बाद मैं किताबें पढ़ने लगा. फिर में जम्मू-कश्मीर से लेकर कन्या कुमारी तक मुझे लगता है भारत में बहुत कम ऐसी जगह होगी जो मैंने नहीं धूमी है. मतलब मैंने ट्रेवल शुरू किया और आप इत्तेफाक देखिये मुझे जब भी फिल्म 'नोटबुक' का गाना मिलता है उसका नाम होता है 'सफर' तो मैंने इस पर लिखा 'सफर में हूं पर खोया नहीं तो सबकुछ रिलेट करती हैं चीजें. और बीच में मैंने बहुत सारी फिल्में की है, जिसमें एक फिल्म थी 'इश्क कभी करियो ना' जिसमें अरिजीत सिंह ने गाने गाएं हैं. जीत गांगुली और राघव सच्चर का म्यूजिक था. बहुत अच्छा हुआ था वो पर रिलीड नहीं हो पाई फिल्म. बहुत सी फिल्में है ऐसी जो मैंने की है पर रिलीज नहीं हो पाई है. लेकिन 'नोटबुक' मेरे लिए टर्निंग पाइंट था. 

सवाल- न्यूकमर्स को क्या टिप्स देना चाहेगे ?
जवाब- जो नया लिख रहे हैं मैं उन्हें सिर्फ यह कहूंगा लिखने से पहले बहुत पढ़े. और एक चीज का हमेशा ध्यान रखें कि आप जो भी लिख रहे हैं वह बहुत लोगों तक पहुंचेगा और उनको असर करेगा. जो तड़कती फड़कती चीजें है सिर्फ उस पर ध्यान ना दें अपने क्राफ्ट पर काम करें. कुछ ऐसा लिखने की कोशिश करें जिससे लोग आप से इंस्पायर्ड हो. और सिर्फ गाना लिखने के लिए नहीं लिखें एक कहानी के तौर पर लिखना चाहिए. और जब तक आपके पास कुछ कहानी कहने को ना हो तो ना लिखे. और जब आपको लगे कि यह कहानी लोगों तक पहुंच नहीं चाहिए इस कहानी को गाने में पिरोया जा सकता है तो  ही लिखिए. 

सवाल- अपने अपकमिंग प्रोजेक्ट के बारे में कुछ बताइए ? 
जवाब- दो-तीन महीनों में 8-10 गाने आने वाले हैं, तब लोगों को पता चलेगा कि मेरे अंदर अपने काम को लेकर कितना जज्बा है. और मैं हर फ्लेवर के गाने लिख सकता हूं. धीरे-धीरे लोग मुझे जान रहे है और मुझे लोगों का बहुत प्यार मिल रहा है उसके लिए मैं बहुत शुक्रगुजार हूं. 

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