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Mother's Day Exclusive: बचपन में होस्टल भेजने पर 5 साल तक उर्वशी ढोलकिया से नाराज थे दोनों जुड़वां बच्चें सागर और क्षितिज, अब है दोस्त जैसा रिश्ता

एक मां अपने बच्चों के लिए किसी भी तूफान से टकरा सकती है. मां का प्यार और उसके त्याग को कोई भी नहीं समझ सकता और ना ही उसकी तुलना कर सकता है. ऐसे में, अब जब मदर्स डे का खास दिन बेहद करीब है, तो चलिए आपको हम ऐसी ही मां द्वारा PeepingMoon.com से की गयी खास बातचीत के बारे में बताते हैं. जी हां, हम बात कर रहे हैं टीवी एक्ट्रेस उर्वशी ढोलकिया की जिन्होंने, इस खास सेगमेंट में अपने ट्विन्स सागर और क्षितिज के साथ बॉन्डिंग से लेकर उन्हें लेकर देखे जाने वाले सपनों पर भी रोशनी डाली है. 

प्र: सिंगल मॉम की आपकी कठिन यात्रा के बारे में सभी जानते हैं, लेकिन इसे लड़ने के लिए आपको प्रेरणा या फिर ताकत कहां से मिकी?

-- मेरे ख्याल से ये हर औरत में शक्ति होती है. कई लोगों में ये शांत हिती है और कई लोग इस शक्ति को उभार पाते हैं. ये एक सबसे बड़ी खूबी है औरत में. प्रेरणा की जब बात आती है, तो वह मुझे हर उस औरत से मिलती है जो सशकत है, अपने आप में कॉन्फिडेंट है. क्योंकि हर औरत में ये चीज होती है मैं दिल से मानती हूं.

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प्र: एक वर्किंग वुमन होने के साथ आप एक सिंगल मॉम भी हैं, तो क्या आपके लिए ये चैलेंजिंग था?

-- सभी को सभी बातें पता नहीं होती हैं. मेरे लिए ये मुश्किल था भी और नहीं भी. क्योंकि मेरे पास मेरे मां बाप थे उस वक़्त. उन्हीने मुझे काफी प्रोत्साहित किया है कि निकलो जाओ काम करो. लेकिन एक पॉइंट के बाद एक डिसिशन आया था उन्हें दूर रखने का. मुश्किलों की जहां बात आती है, तो हर एक उम्र में अलग-अलग परेशानियां आती हैं. हर किसी का कठिनाइयों का सामना करने का तरीका अलग रहता है. इस तरह से हम किस की दूसरे से तुलना नहीं कर सकते हैं. हम सब अपनी अपनी यात्रा को जी रहे हैं. मैं भी आज तक अपनी यात्रा को जीती ही आई हूं.

प्र: कितना मुश्किल रहा दोनों बच्चों को खुद से दूर बोर्डिंग स्कूल में डालना?

-- बहुत मुश्किल था, क्योंकि मैं खुद उस बात को समझ नहीं पा रही थी. मैं बोर्डिंग स्कूल में पढ़ाई नहीं कि थी, तो मुझे उसका कोई आईडिया नहीं था. मैं उस वक़्त जो कुछ भी कर रही थी, उनके लिए कर रही थी. उस वक़्त दिमाग में चल रहा था कि जब वही नहीं होंगे साथ में तो मैं क्या करने वाली हूं. बोलते हैं फैमिली की तरफ से एक गाइडेन्स होती है और वो मुझे मम्मी से मिली. उन्होंने मिझे बताया कि बच्चे अभी छोटे हैं और इस समय उन्हें अपने पास रख कर इंडिसिप्लिन लाइफ देने से अच्छा बोर्डिंग भेजकर डिसिप्लिन लाइफ देना अच्छा होगा. उस बात को मैंने समझी और आज तक उसे लेकर चल रही हूं, वो मेरी मम्मी की बुद्धिमत्ता थी. जाहिर सी बात है उस समय मेरे लिए करना बहुत मुश्किल था, क्योंकि मेरी पूरी जिंदगी उनके इर्द-गिर्द ही घूमती रही है. फिर मैंने ठंडे दिमाग से सोचा और सब की सहूलियत के हिसाब से यह काम किया. दुख तो बहुत हुआ मेरे ख्याल से मैं उस समय इस बात को लेकर 3 महीने तक काफी दुखी रही. लेकिन धीरे-धीरे करके थोड़ी समझ आई और उन्हें भी समझाया, वो भी काफी दुखी थे और होस्टल नहीं जाना चाहते थे. वो तो पूरे 5 साल गुस्से में ही रहे हैं और मैं पूरे 5 साल तक दुखी थी (हंसते हुए).

प्र: अब जब आपके बच्चे बड़े होने के साथ काफी हैंडसम हो गए हैं, तब क्या उनके साथ एक दोस्त के रूप में रिश्ता साझा करती हैं?

-- एक दोस्त के तौर पर क्योंकि मैंने पहले से ही अपना एक दायरा बना कर रखा था. क्योंकि जैसे कि सब लोग जानते हैं और जो हैडलाइन में लिखा जाता है कि कम उम्र में शादी की है, इस बात पर इतना जोर देते हैं, मुझे समझ नहीं आता कि क्या मैं पहली लड़की हूं जिसने कम उम्र में शादी की, लेकिन कोई बात नहीं. लेकिन मैं कहना चाहती हूं कि मैं अन्य मांओं की तरह नहीं हूं और मेरी सोच भी ऐसी नहीं है. और अब तो वो काफी बड़े हो गए हैं, 25 साल के हो गए हैं. उन्हें कॉम्प्लिमेंट देने के लिए थैंक यू, मैं भी यही चाहती हूं कि उनका कैरियर आगे बढ़े, लेकिन इस समय में जहां सबके कैरियर होल्ड पर हैं, वक़्त तो ऐसे ही बीत रहा है हमारा. मेरे ख्याल से मैन बिग बॉस के बाद से ही फैसला कर लिया था कि उन्हें ज्यादा से ज्यादा समय दूंगी, क्योंकि बचपन तो मैंने देखा नहीं अपने साथ, तो कम से कम बड़े होते हुए तो देखूं. जब वह एक आदमी में टर्न हो रहे हैं तब मैं उनके युथ में उनके साथ रहूं.

प्र: आपके प्रोजेक्ट्स को लेकर क्या बच्चों से किसी तरह के सजेशंस मिला करते हैं?

-- सच कहूं तो नहीं, कभी कभार जैसे जब मुझे नच बलिए करना था, उस समय मैंने सबसे पूछा था कि क्या आपको ठीक लगता है,  क्या आप लोगों को लगता है कि आप लोग इसे लेकर अनकंफरटेबल नहीं हो, यह तो आप लोग मुझे बोले. क्योंकि यह जो एक ऐसी चीज होती है. जब आपकी पर्सनल लाइफ सामने आती है, तब सीधी सी बात है इसका असर फैमिली पर भी पड़ता है. और मेरी हमेशा से कोशिश रही है कि मैं अपनी फैमिली को काफी प्रोटेक्ट करूं. मेरी या पहले से ही आदत रही है. ऐसे तो मुझे नहीं लगता कि वह लोग इतना कुछ करते हैं, वह कुछ ज्यादा बोलते नहीं है हां लेकिन उनको शायद कुछ ठीक ना लगे तो सामने आकर जरूर बोलेंगे. वैसे मैंने ऐसा कोई काम ही नहीं किया है जो उन्हें कभी गलत लगे.

प्र: हर मदर्स डे आपको कुछ ना कुछ सरप्राइज तो मिलते ही होंगे तो इस बार आप क्या उम्मीद कर रही हैं?

बिल्कुल भी नहीं, ऐसा कुछ भी नहीं है. क्योंकि मेरे हिसाब से यह कांसेप्ट कुछ ही टाइम से है, हम स्कूल में क्या करते थे हैप्पी मदर्स डे बोलकर बस खत्म हो जाया करता था. हम अपनी मां को किस करते थे गले लगते थे, तो यहां अब और भी ज्यादा कॉन्सेप्टुआलाइज और  कॉन्सेप्ट्लाइज और कमर्शियलाइज हो चुका है. मेरे ख्याल से मैंने 20 मिनट पहले अपने बेटे को बोला कि मदर्स डे आ रहा है, वह बोला कब है (हंसते हुए).  क्योंकि उनके लिए हर रोज मदर्स डे है.

प्र: आने वाले समय में अपने बेटों के साथ स्क्रीन शेयर करने के बारे में आपका क्या कहना है?

-- ये मेरा भी सपना है कि मैं उनके साथ स्क्रीन शेयर करूं. अगर मेरे साथ नहीं तो मैं उनको स्क्रीन पर देख लूं. 

प्र: एक्टिंग इंडस्ट्री में उनकी एंट्री पर आपका क्या कहना है ?

-- ये होने की बात नहीं है, इसमें किस्मत की भी बात है, टैलेंट तो होना ही चाहिए लेकिन किस्मत भी एक चीज हिती है.  के साथ लक की भी बात है. इसके पीछे बहुत सारी मेहनत होती है, एक्टर बनना आसान नहीं है, न पहले होता था और न आज है. पहले से लेकिन चीजें अब अलग हो चुकी हैं, कंपटीशन बहुत ज्यादा हो चुका है. मैं तो कम बोल रही हूं, आज की तारीख में मेहनत दुगनी तीन गुनी नहीं बल्कि सौ गुनी ज्यादा हो चुकी है. मैं अपने बच्चों को यही बात बोलती रहती हूं कि अपने दिमाग में घुसा लो, कि आपको बहुत मेहनत करनी पड़ेगी. टैलेंट, किस्मत और मेहनत जब यह तीनों चीजें मिल जाए तो आप सक्सेस को पा सकते हैं.

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